साथियों अध्यापक बंधुओ आज इस विषम परिस्थिति में हमें एक रहने की आवश्यकता है।बार बार तारीको की दिलाशा हमें निराश कर रही है।शासन हमारे साथ आंख मिचोली का खेल खेल रही है।और हमारे कुछ साथी भी सरकार की बातों मे आके नई नई तारीके देकर अध्यापकों को भ्रमित कर रहे है ।अब सब्र का बांध टूट रहा है।अब तो केवल आंदोलन ही तय है।जब शास सबके साथ आंदोलन के लिये आ गया है।तो हम सभी को भी अध्यापकहित में शास का साथ देना चाहिये।संयुक्त मोर्चा को आगे आना चाहिये।सबको संघ संगठनो की राजनीति से ऊपर उठकर अपने हक के लिये इस समय एक रहना होगा।जब लक्ष्य एक तो संघ एक क्यों नही हो रहे।क्या कारण??क्या उन्हे अध्यापकहितों की चिंता नही??? यदि चिंता है तो सब संघ साथ क्यों नही???
मै यह नही कहता कि आंदोलन शास का है ये आंदोलन आम अधयापको का है।बिना आम अध्यापको के कोई भी संघ आंदोलन नही कर सकता??यदि और कोई भी संघ आंदोलन के लिये आगे आ रहा हो।तो हम सब उसका साथ देगे ।लेकिन जब शास ने पहले आंदोलन की पैरवी की है तो सबको उसका साथ देना चाहिये।अगर इस समय जो भी संघ साथ नही देगा उसे यह समझा जायेगा कि वह कहीं न कहीं संदेह के घेरे मे है।या फिर उसे अध्यापकहितो की चिंता नही।
इसलिये सभी भाईयों से निवेदन है कि दलीय राजनीति से ऊपर उठकर अध्यापकहित में शास को साथ दे।ताकि हम सभी अपने लक्ष्य प्राप्ति कर सकें।सब साथी सभी संघो पर दबाब बनाये संयुक्त मोर्चा के लिये।या फिर जो भी संघ आंदोलन की परिणीति में साथ नही दे।उसका सभी साथी भाई बहिष्कृत करें।
क्योकिं यदि इस समय यदि आप लोगो का साथ नही हुआ तो 2013 के इतिहास की फिर से पुनरावृति होगी।हर बार सरकार ने हमारे विघटन का लाभ लिया है।इस बार भाईयों किसी को मोका मत दो।
आओ सभी साथी भाई एकता के साथ इस महाआंदोलन के युद्ध के अपनी सहभागिता दर्ज करवाये ताकि हमें विसंगति रहित आदेश प्राप्त हो सके।
"वक्त का आव्हान है भाई,
अब लाघंना आसमान है भाई,
हर घड़ी आंधियों में चलना है,
अब सब्र का इम्तिहान नहीं है भाई"
"इस विसंगति के दोर में क्या होना चाहिये,
स्वागत ,बधाई या संघर्ष होना चाहिये,
अब फैसला आप करो भाई,
मेरे हिसाब से तो अब आर पार होना चाहिये"
कौशल क्रांतिकारी चम्बल
"सबका साथ सबका हाथ,
यही है शास का विश्वास"
9691171268
18 अध्यापक शहीदो का बलिदान
सादर वंदे
खोलता हुआ रगों में चाणक्य वाला लहू,लहू का उफान कभी चुकने न पायेगा,
18 अध्यापक शहीदो का बलिदान, आंदोलन की कुर्बानी में कभी भूला न जायेगा,
शेखर विस्मिल की धरा है यह, क्रांति का प्रवाह यहां रुकने न पायेगा,
2 लाख अध्यापकों के दिल की तम्मना है,संविलियन की चाह में कुछ भी कर जायेगा,
सभी साथियों ने मिलके लड़ी है जंग,6पे वेतन के लिये दी है कुर्बानियां,
लालघाटी पर फहराया तिरंगा,उनके बलिदान की न भूलेगे निशानियां,
लाठियों के आगे वक्ष को अड़ाते रहे,बहनों को एक भी न घाव लगने दिया,
आप समझोता वाली मेज पे न जीत पाये,लालघाटी पे हमने तिरंगा लहराया दिया,
आन,बान,शान पे न दाग लगने दिया,स्वाभिमान अपना संवारकर लाये हम,
लालघाटी जैसी जंग जीती हमने बार बार,हर बार अपनो से हारकर आये हम,
हर बार पीठ में छुरा खोंपा गया,वहीं इतिहास फिर से न दोहराया जायेगा,
सत्ता से तो जीत गये इस बार हम सब,इस बार कोई न टिकिट में बिक पायेगा,
सबका हाथ सबका साथ चाहिये शास को अब,वही इस बार अधिकार दिला पायेगा।।
कौशल क्रांतिकारी चम्बल
9691171268
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