सादर वंदन
साथियों कहा जा रहा है कि सरकार अध्यापको के पाले में है बिना आदेश देखे किसी भी प्रकार की टिप्पणी करना गलत होगा।लेकिन मैं कहना चाहुगा कि क्या सरकार अध्यापको के आक्रोश को समझ नही पाई है।तो फिर क्यों नही विसंगतिरहित आदेश करके सरकार अध्यापको के भ्रम को दूर करती है।इतना विलंम क्यो?? एक तरह तो सरकार प्रदेश के लाखो अध्यापको का भला बनना चाहती है।वहीं दूसरी तरफ विसंगतिपूर्ण आदेश।क्या एक म्यान में दो तलवार रह सकती है।जो भी हो साफ साफ क्लीयर करना चाहिये।फिर विलंम क्यों??शासन और प्रशासन ने मीडिया में 6पे वेतन की घोषणा कर जनता की नजर में वाहवाही लूट चुकी है।और अभी दिया कुछ नही।यदि है भी तो विसंगतिपूर्ण आदेश।इसलिये भाईयों जोरशोर से 27/01/2016 को माननीय मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन देते हुये ऐसी जबरदस्त रैली निकाले जिससे पब्लिक को भी शासन की मंशा का पता लगे ।यदि आप खामोश बने रहे तो आप अपने लक्ष्य मे सफलता नही पा सकते है।कयोकि खामोश होने से ये समझा जायेगा कि अध्यापकों की इस विसंगति से कोई परेशानी नही है।और वे इससे संतुष्ट है।इसलिये आप अपने आक्रोश को प्रदर्शित करते हुये।27/1/2016 को पूरी शक्ति के साथ एकजुट होकर अपने अधिकार के लिये ऐसी आवाज लगाये।जिससे भोपाल में बैठे अधिकारियों के कानों में हमारे दर्द की चीखें सुनाई दे।ताकि हमारे हित में फैसला हो सकें।
जब तक ऐसी ही चीखेगे चिल्लायेगे,
जब तक विसंगतिरहित आदेश नही आयेगे।
"खून भरा आंखों में ,हम नदी खून की बहा देगे,
कसम चाणक्य की हम आदेश विसंगतिरहित ही पायेगे।
अब कुछ लोगो को विश्वास जरुरत से ज्यादा दिखाई दे रहा है,
अब हमें सूरज उगाना ही पडे़गा,
विश्वास को दरवार में नंगा नचाया जा रहा है,
अब हमें तांडव दिखाना ही पड़ेगा।
कौशल क्रांतिकारी चम्बल
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