सादर वंदन
भाईयो शा.अ.सं. द्वारा यह विचार किया जा रहा है कि यदि 25 जनवरी तक विसंगति रहित आदेश नही होते है तो आंदोलन की रुपरेखा तय की जायेगी या की जा रही है।मैं किसी भी संघ का समर्थन नही कर रहा हूं मै केवल उसका समर्थन करता हूं। जिसमें अध्यापक हित हो।यदि भरत भाई भी आंदोलन की रुपरेखा तय करते तो उनका भी समर्थन करता या अन्य कोई संघ तो उसका भी।
जो ये कहते है कि शाश ने कभी आंदोलन किया है क्या जो अब करेगा तो उनके लिये मैं एक बात कहूंगा कि संघ कोई आंदोलन नही करता आंदोलन आम अध्यापक करता है।पूर्व का आंदोलन भी आम अध्यापको का था लेकिन संघ नेत्तव का कार्य करता है।जो नेत्तव अध्यापकहित में हो उसमें शायद सभी अध्यापक भाईयो का समर्थन होता है।या रहता है और पूर्व में रहा भी।
भाईयो यह समय संकटकालीन विपरीतपरिस्थियो का समय है।इस समय हम सबको एक साथ रहकर ताकत से अपने अधिकारो के प्रति सजग रहकर लड़ना होगा ।तभी सफलता मिलेगी।विघटन से नही।यदि संघीय विघटन हुआ या हो रहा है।तो शायद उनके विघटन से प्रदेश का अध्यापक ठगा सा रह जायेगा ।हम अपनी मंजिल के बहुत करीब है बस थोडे़ से एक होकर एक बार फिर दोड़ लगा दे।मंजिल पर पहुच जायेगे।
अत:सभी भाईयो से निवेदन है कि जो आंदोलन का निर्णय शास ने लिया है।वह संयुक्त मोर्चा के बैनरतले हो तो शायद अधिक सार्थक रहेगा।कोई यह न कहे कि ये तो फंला संघ का आंदोलन है।इसमें हम समर्थन नही करेगे।मै समझता हूं यह किसी संघ का आंदोलन नही है।यह केवल अध्यपको का आंदोलन है।अपने दबे कुचले अधिकार पाने के लिये।क्या 6पे विसंगतिपूर्ण आदेश होना प्रदेश के अध्यापको का शोषण नही है।तो फिर आओ सभी संघ सभी अध्यापक एक होकर 25 के बाद महाआंदोलन की परिणिति को मूर्त रुप देकर अपने अधिकार पायें।और इस आंदोलन को संयुक्त मोर्चा का नाम देकर फिर से एकता के बंधन में बधकर पूर्व के इतिहास को दोहराते हुये सत्ता और अधिकारियों को अपनी चाणक्यरुपी ताकत से हिलाकर अपने अधिकारों को छीने।
"हर बात, हर सवाल की काट रखता है,
गर्दिश में हिम्मत विराट रखता है,
चाणक्य ने क ई बार बताया जमाने को,
शेर का जिगर तो बस अध्यापक रखता है।"
-कौशल क्रांतिकारी चम्बल
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