अब सरकार ने अध्यापिकाओ के मातृत्व और ममता के साथ सम्पूर्ण अध्यापक संवर्ग को चुनौती दी है ।
अध्यापको के साथ विसंगति और भेदकारी नीति का कोई अवसर सरकार छोड़ना ही नहीं चाहती ,लोक शिक्षण आयुक्त का निर्देश की महिला अध्यापक संतान पालन अवकाश की पात्र नहीं है ,।
।क्या अध्यापक बहने माँ नहीं है?,
क्या उनके बच्चों को देखभाल की जरूरत नहीं है ,?
क्या शिक्षिका का बच्चा अलग ,और अध्यापिका का बच्चा अलग तरह का होता है।
बच्चे को समय पर दूध ,दवाई ,पोषण ,पालन ,ममता इसलिये न मिले की वह अध्यापिका की कोख से जन्मा है । मेरी छोटी बुद्धि के समझ के बाहर है की दोष अबोध बच्चे का इतना है की उसकी माँ अध्यापिका है शिक्षिका नहीं ,
।अध्यपिका को संतान की देखभाल का अवसर और अधिकार नहीं मिलना चाहिए।
ये है मध्यप्रदेश की संवेदनहीन सरकार का असली अत्याचारी चेहरा जो कफ़न में भेद कर सकती है वह कोख में भेद तो कर ही सकती है । हर अध्यापक को अपने साथ हो रहे अत्याचार का एक स्वर में प्रतिकार करना ही होगा ,भेदकारी सरकार का भेद हर मंच से खोले बिना अब कुछ भी संभव नहीं है ।
विसंगति रहित 6वे वेतनमान के आदेश शीघ्र जारी होना चाहिये और अपने पर हो रहे हर अत्याचार के खिलाफ हमें एक साथ लामबंद होना होगा
## जय भवानी ##
सारिका अग्रवाल
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