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अध्यापको के कुछ मामले जो उच्चन्यायालय/सर्वोच्च न्यायालय तक गए ,उनकी स्थिति आज क्या है ?

Wednesday, 10 February 2016

अध्यापको के कुछ मामले जो उच्चन्यायालय/सर्वोच्च न्यायालय  तक गए ,उनकी स्थिति आज क्या है ?

(1) शिक्षाकर्मी भर्ती नियम को अवैध घोषित करना :  सर्वोच्च न्यायलय ने 1995 के शिक्षा कर्मी भर्ती नियम को अवैध घोषित कर दिया ,राज्य शिक्षाकर्मी संघ ने सरकार से लड़ाई लड़ कर भर्ती नियम में अनुभव के अंक सम्मिलित करवाये जिसमे 1 दिन भी कार्य कार्य करने पर पुरे वर्ष के अनुभव के अंक प्राप्त हो पाये ।और लगभग सभी शिक्षाकर्मी 1998 में नोकरी में वापस आये ।

(2) समान वेतन मान की माँग : समान वेतन की मांग सर्वोच्च न्यायालय ने यह कह कर ख़ारिज कर दी की ,यह अधिकार सामान पद व समान भर्ती नियम के लिए हैं ।

(3) 2001 की संविदा भर्ती : 2001 की संविदा भर्ती को उच्चन्यायालय व सर्वोच्च न्यायलय ने अवैध ठहराया था ,संविदा शिक्षक संघ ने ,मांग कर के और मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की सक्रियता से 2001 के संविदा शिक्षक साथियो की नोकरी सुरक्षित हुई ।

(4) परिवीक्षा अवधि की वेतन वृद्धि : शासन इस निर्णय के खिलाफ सर्वोच्च न्यायलय तक गया,कौर्ट ने 2007 में वेतन वृद्धि में कटौती का कहा लेकिन वसूली नहीं करने के  आदेश दिए । 2007 से समान स्थिति में वेतन देने के आदेश ।

(5) स्वयं के व्यय पर डीएड / बीएड : इस मामले में भी न्यायलय ने आदेश दिए परन्तु सरकार ने  न्यायालयों में अपील कर के आदेश को रुकवा दिया ।

(6) 2001 से वेतनमान की गणना : यह आदेश अभी फिर चर्चाओ में आया जब आलोट जिला रतलाम के जनपद ceo ने 1998 में नियुक्त अध्यपको को 2001 से वेतन मान प्रदान करने के आदेश जारी किये परंतु एक सप्ताह में ही ceo ने अपने आदेश को यह कहते हुए रुकवा दिया की यह मामाला अभी अपील में है इस लिए लाभ प्रदान न किया जाए ।इस मामले में भी सरकार ने अपील की है।

(7) गुरूजी को 1998 से शिक्षा कर्मी के समान वेतन मान : इस मामले में भी सरकार द्वारा अपील की जा चुकी है और भुगतान रोक दिया गया है ।

उक्त प्रकरणो में देखने में आया है की कई जगह आर्थिक लाभ ले लिया गया है। परन्तु सरकार ने अपील कर के न्यायलय के आदेशो को ,हि रुकवा दिया है ।हमारे साथियों की वर्तमान स्थिति भी इतनी मजबूत नहीं है की वे सर्वोच्च न्यायलय तक लाड़ई लड़ सकें जबकि ,शासन अपने कई महाधिवक्ता न्यायलय में तैनात रखती हैं ।लेकिन हम सिर्फ उच्चन्यालय तक ही लड़ाई लड़ते हैं ।

मित्रो अभी भी कई साथियो ने इस प्रकार के आदेशो का लाभ लेकर ,वेतन प्राप्त किया है और लाभ ले रहे हैं ।परंतु आगामी वेतन निर्धारण के आदेश में स्पष्ठ उल्लेख है की ,हर अध्यापक का वेतन निर्धारण ,"संपरीक्षा निधि कार्यालय" तक जायेगा । अब तय है की एक समान वेतन मान किया जाएगा ।में नहीं कह सकता की इस असमान वेतन की वसूली होगी या नहीं होगी लेकिन ,भविष्य  में सभी अध्यापको का वेतन जरूर सामान हो जाएगा ।
धन्यवाद। 

सुरेश यादव
कार्यकारी जिलाध्यक्ष
राज्य अध्यापक संघ
जिला रतलाम

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