एकता के बाधक जरा शर्म करो लोगो का वेतन कटवा के ,भावनाओ से खिलवाड करके अपनी राजनीतिक गलियारो में पैठ बनाके सत्ता की गोद में बैठने वालो अध्यापकहित के बारे मे सोचो नही तो ये प्रदेश का अध्यापक तुम्हे कभी माफ नही करेगा।उन शहीदो के बारे मे सोचो जो आदोलन मे बलिदानित हो गये अभी कटा तो दूर छटा भी नही मिला
उन लोगो का शुक्रिया तो दूर जिन्होने आंदोलन को उग्र बनाया । तुम यदि विसंगति रहित आदेश न करवा पाये तो धिक्कार है।आज जब कुछ नही हुआ तो टूटे दिलो को जोड़ने मे लग गये तुम्हारी सच्चाई प्रदेश का अध्यापक सब समझ गया ।हम जानते है कि तुम कभी भी लोगो का भला नही कर सकते जिनकी शब्द शैली अनुचित और अर्मायादित हो वह क्या कभी किसी का भला कर सकता है।आज पता चला कि मनुष्य जब पशु बन जाता है तो पशु से भी बत्तर हो जाता है।याद रखो एक शेर को भी मधुमख्खियो से अपनी रक्षा करनी पड़ती है।बात करते हो प्रदेश का अध्यापक हमारे साथ है।तभी तो उपवास में प्रत्येक जिले में 10-10 लोग भी एकत्रित न कर पाये।और 27 के ज्ञापन का विरोध।खुद तो कुछ कर पाये नहीे। अन्य संघो पर दोषारोपण करना क्या यह सही है। यदि अन्य संघ आंदोलन में न आये होते तो आंदोलन की कमर ही टूट गई होती ।सच को हजम करना सीखिये ।नादानी करना छोड़िये।शोहरत वासना अंकार को छोडिये।बेहतर होगा कि आलोचना को छोड़कर अध्यापक होने का धर्म निभाओ ।अब सार्वजनिक रुप से साफ हो गया कि संयुक्त मोर्चा का विरोध कौन कर रहा है।अब प्रदेश के अध्यापको के सामने तुम्हारी असलियत सामने आ गई ।ये प्रदेश का अध्यापक तुम्हें कभी माफ नही करेगा।
हम अभी से क्या बताये क्या हमारे दिल में है।हमने हमेंशा पत्थरों को खोदकर पानी पीया है।बूंद भर एहसान समुन्द्र का नही।अक्सर लोंग मुझसे कहते है तुम्हारी निंदा होती है।और मैं जबाब देता हूं।निंदा उसी की होती है जो जिंदा होता है।
"न पूछों हमारी मंजिल है कहां अभी तो सफर का इरादा किया है,
ना हारेगे उम्र भर होंसला किसी और से नही खुद से वादा किया है"
कौशल क्रांतिकारी चम्बल
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