आई टी सेल
राज्य अध्यापक संघ मध्यप्रदेश।
मध्यप्रदेश में 1994 से त्रिस्तरीय पंचायती राज व्यवस्था के अस्तित्व में आने के उपरान्त 1995 से शिक्षा विभाग में शिक्षाकर्मी के रूप अल्पवेतन भोगी शिक्षित युवाओं के हितों की रक्षार्थ विकासखंड, जिला , प्रादेशिक स्तर से लेकर माननीय हाईकोर्ट, माननीय सुप्रीम कोर्ट व राष्ट्रीय स्तर पर देश की राजधानी दिल्ली तक माननीय मुरलीधर जी पाटीदार संरक्षक (पूर्व प्रदेश अध्यक्ष) व सम्मानीय श्री दर्शन जी चौधरी प्रांतीय महासचिव के नेतृत्व में राज्य अध्यापक संघ ने आवाज बुलन्द करते हुए संघर्ष का ऐसा कीर्तिमान स्थापित किया है जिस्की साक्षी आज कार्यालय महालेखाकार ग्वालियर में लिखी पंक्तियाँ " संघर्ष करना सीखो तो शिक्षाकर्मी संघ से सीखो" हैं। उक्त पंक्तियाँ राज्य अध्यापक संघ के त्याग, संघर्ष व अल्पवेतन भोगी कर्मियों के हितों की रक्षार्थ जुनून को प्रगट करती हैं। आजकल हमारे कुछ साथी पदलोलुपता के नाम मतभेद की बात कहकर यात्रा निकालकर नए संघ गठन करने में मशगूल हैं और कहते कि राज्य अध्यापक संघ ने क्या किया है। राज्य अध्यापक संघ ने शिक्षाकर्मी से लेकर 2000 में शिक्षाकर्मियों के नियमितीकरण , 2003 में तात्कालिक माननीय श्री दिग्विजय सिंह जी कांग्रेस नीत शासन से अंतरिम राहत घोषणा (जिसे नवीन सरकार व अफशरशाही की कुटिल नीतियों ने फाइलों में दबा दिया) व 2007 में शिक्षाकर्मी संवर्ग से अध्यापक संवर्ग में संविलियन और 2013 में छटे वेतन का चतुर्थ वार्षिक किश्तों में लाभ और 2015 में छटे वेतन की घोषणा में महती भूमिका का निर्वहन करते हुए सतत प्रयास करता रहा है, और आज शिक्षा के निजीकरण के विरुद्ध, सबको शिक्षा -सबको काम, सम्मान काम के समान दाम के उद्देश्य को लेकर "शिक्षा क्रान्ति यात्रा" का आगाज किया है, जिसे प्रदेश में मिल रहे अपार समर्थन को देखते हुए कुछ संघठन अपने पैरों के तले से जमीन खिसकती देख बोखलाहट में इतने अमर्यादित हो गए है कि अपने निजी स्वार्थों के चलते व्यक्तिगत मान सम्मान व मर्यादायों की सीमा का उल्लंघन कर शिक्षकीय गरिमा को धूमिल करने में भी पीछे नही हैं।
राज्य अध्यापक संघ सदैव अध्यापक हित में संघर्ष करने में विश्वाश करता है व्यक्तिगत द्वेष भाव में नही।
राज्य अध्यापक संघ द्वारा किये गए सद्प्रयासों में अपना महत्वपूर्ण योगदान , त्याग व समर्पण के साथ कार्य करने वाले उन सभी साथियों के सम्मान में राष्ट्रीय कवी "श्री रामधारी सिंह जी दिनकर" दिनकर चार पक्तियां समर्पित करते हुये
जला अस्थियाँ बारी-बारी
चिटकाई जिनमें चिंगारी,
जो चढ़ गये पुण्यवेदी पर
लिए बिना गर्दन का मोल
कलम, आज उनकी जय बोल।
जो अगणित लघु दीप हमारे
तूफानों में एक किनारे,
जल-जलाकर बुझ गए किसी दिन
माँगा नहीं स्नेह मुँह खोल
कलम, आज उनकी जय बोल।
पीकर जिनकी लाल शिखाएँ
उगल रही सौ लपट दिशाएं,
जिनके सिंहनाद से सहमी
धरती रही अभी तक डोल
कलम, आज उनकी जय बोल।
अंधा चकाचौंध का मारा
क्या जाने इतिहास बेचारा,
साखी हैं उनकी महिमा के
सूर्य चन्द्र भूगोल खगोल
कलम, आज उनकी जय बोल।
विनम्र अपील है कि
दिनांक 21 फरवरी 2016 - गुना
28 फरवरी 2016- नर सिंहपुर
में आयोजित "शिक्षा क्रान्ति यात्रा" में अपनी गरिमामयी उपस्थिति प्रदान करते हुए अपना अमूल्य सहयोग प्रदान करेंगे।
आपका अपने साथी-
अजीत जाट, जिलाध्यक्ष नरसिंहपुर।
नरेंद्र भार्गव, जिलाध्यक्ष गुना।
नागेन्द्र त्रिपाठी, प्रांतीय प्रवक्ता, नरसिंहपुर।
कोमल सिंह पटेल, प्रदेश प्रतिनिधि, नरसिंहपुर।
प्रदेश मीडिया प्रभारी
सियाराम पटेल, नरसिंहपुर।
सुरेश यादव रतलाम।
भारत भार्गव, इंदौर।
एच.एन. नरवरिया।
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