सादर वंदन
सुनो,सुनो,सुनो..... आंदोलन का महाबिगुल.......
साथियो मैं दावे के साथ छाती ठोकर कह रहा हूं।कि 6टवे वेतन के आदेश विसंगतिपूर्ण होगे।क्यूंकि 1125 करोड़ की राशि में शिक्षक संवर्ग का वेतन मिलना नामुंकिन है।इसके लिये शा.अध्यापक संघ ने संयुक्त मोर्चा के बैनरतले एक महाआंदोलन की घोषणा कर दी।आदेश आने के ठीक पांचवे दिन हम महाआंदोलन का बिगुल बजायेगे।चूंकि हम एकता में विश्वास रखते है।इसलिये। सभी संघो का स्वागत है।आंदोलन में आने के लिये।यदि कोई संघ पूरी सत्यनिष्ठा ईमानदारी से आना चाहे तो उसका स्वागत है।और यदि नही तो शास को कमजोर समझने की गुस्ताखी न करे।यह हमारी कमजोरी नही बल्कि एकता की मिशाल है।शास पूरी ईमानदारी ,सत्यनिष्ठा से निर्भीक होकर आम अध्यापकों की लड़ाई लडे़गा।क्योकि इतिहास गवाह है शास का नेत्तव न कभी बिका है और न कभी झुका है।यदि इस बार हम शांत रहे तो 2013 के नासूर की तरह 2016 में भी पुनरावृति होगी।और प्रदेश का अध्यापक फिर से ठगा सा रह जायेगा। ये दर्द का दंश हमें जीवन भर चुभ चुभ कर जीने नही देगा।शा.अ.संघ ने अध्यापकों के लक्ष्य की उन्नति के लिये अपना कदम बढ़ा दिया हे।हम पूरी ताकत से निष्पक्ष रहकर अध्यापक संवर्ग के हितों के मैदान में पलटकर नही देखेगे।चाहे परिणाम कुछ भी और परिस्थियां कैसी भी।मैं कौशल
क्रांतिकारी चम्बल और शा.अ.संघ प्रदेश के अध्यापकों से नतमष्तक होकर नमन करते हुये निवेदन करता है।अब सभी अपने हक और अधिकार के लिये इस महाआंदोलन में कन्धे से कन्धा मिलाकर साथ दे।ताकि हम अध्यापक संवर्ग के अधिकारों के लिये एक बेबाक एक बेहतरीन लड़ाई लड़कर सरकार से अपने अधिकारों को छीन सके।इस युध्द में हम और आप सभी कृष्ण के अनुसार गीता में दिये गये उपदेश के अनुसार अर्जुन की भांति लड़ेगे।इस युध्द से निकाला सूर्य का प्रकाश समूचे म.प्र.के आम अध्यापको को उनके अधिकार दिलायेगा।ऐसा मेरा विश्वास है।अब शा.अ.संघ संयुक्त मोर्चा के बैनरतले मैदान ए जंग में कूदेगा।शास ने अब जंग का एलान कर दिया है।
भाईयों हम चाणक्य के वंशज है।हमें अपने अधिकार छीनने का हुनर आता है।हम जिधर भी चल पड़ेगे रास्ता हो जायेगा।जब तक तुम दोड़ने का साहस नही करोगे।तब तक तुम्हारे लिये तुम्हारे अधिकार पाना सदैव असंभव सा बना रहेगा।कामयाब लोग ही अपने फैसले से दुंनियां बदल लेते है।और नाकामयाब लोग दुनियां के डर से अपने फैसले बदल लेते है।हम कभी कमजोर नही पड़े है।पूर्व की यादो को ताजा करो।तो दिग्गी जी को भी हम अपनी शक्ति का एहसास करा चुके है।
"तुम याद करो दिग्गी ने भी हमारी मांगो को ठुकरा डाला,
फिर हमने भी उसका सिंहासन हिला डाला"
अब भाईयों हो जाओ तैयार मैदान ए जंग में कूदने के लिये।बहुत हो चुकी मान मनोती की बाते।अब आपकी एक बीरता पूरे जीवन को बदल देगी।साथियों अब आगे बढ़ने कै बाद हमैं अपना पैर पीछे नही हटाना है।क्योकिं ...
"दुश्मन प्रबल कितना भी हो,मरने से वह भी डरता है,
सीधे सींगों वाले पशु का कौन सामना करता है।,
शेर भी उससे मैदान छोड़ भाग जाता है।"
अब उठो अपनी शक्ति पहचानो और लोगो को जागरुक करों।क्यूंकि,.....
"हारे नही इंसान ,है संदेश जीवन का यहीं,
जो मैदान ए जंग में आने से पीछे हटे, वह सच्चा शूर नहीं।"
दोड़ो मंजिल पाने के लिये।अब ये देखना है कि कौन किसके साथ है।
"कोई इसके साथ है कोई उसके साथ है,
अब ये देखना है कि मैदान किसके हाथ है।"
खुद पर भरोसा करो अब कोई तुम्हे तुम्हारे अधिकार नही दिलायेगा।हिम्मत के साथ खडे़ हो जाओ।हम और आप सभी मिलकर अपने अधिकार छीनेगे। यहसच है कि
पानी में तैरने वाले ही डूबते है।किनारे पर खडे़ होने वाले नहीं।मगर ऐसे लोग कभी तैरना भी नहीं सीख पाते और ना ही अपना लक्ष्य पाते।अपने अंदर जोश पैदा करो।प्रताप ,शिवाजी,चाणक्य के इतिहास को दोहराओ।हम किसी से कम नही।
"अपनी तकदीर बदल देगे,हमारे पुख्ता इरादे,
हमारी किस्मत अब हाथों की लकीरों की मोहताज नहीं।"
अब रुको मत चल पड़ो बहुत हो गया दिलाशा और विश्वास का खेल।जो लोग अब मैदान ए जंग में कूदने के लिये तैयार है।वो अब शास का साथ दे।क्योकि म.प्र.अध्यापक संघ अध्यापक हितों के लिये महाआंदोलन का बिगुल बजाकर मैदान ए जंग में कूदने के लिये तैयार है।उसका साथ दे।अब शिशुपाल की सौ गाली पूर्ण हो चुकी है।
"सौ गाली शिशुपाल की पूर्ण हो चुकी कृष्ण,
अब शास के पटल पर है ,संविलियन का प्रश्न।"
हो जाओ एक लड़ने के लिये अब हमें बिखरना नही निखरना है। अब गुलाम बनकर नही जीना ।गुलाम बनकर जीओगे तो कुत्ता समझकर लात मारेगी दुनियां यदि नबाब बनकर जीओगे तो सलाम ठोकेगी ये दुनियां।अब बक्त आ गया है।गुलामी की जजीरों को तोड़ने का अपने अधिकार पाने का।अब लाख तलवारें बढी़ आती है गर्दन की तरफ सर झुकाना नही आता तो झुकाये कैसे।हम लड़ेगे......हम जीतेगे।जो फिक्र सबकी करते है।वो नही किसी से डरते है।परिणाम कुछ भी हो।
"झूठी वार्ता करके ,तुम किस मद पर फूल गए,
चाणक्य वीरों को शायद तुम भूल गए।"
क्रांतिकारी चम्बल और शा.अ.संघ प्रदेश के अध्यापकों से नतमष्तक होकर नमन करते हुये निवेदन करता है।अब सभी अपने हक और अधिकार के लिये इस महाआंदोलन में कन्धे से कन्धा मिलाकर साथ दे।ताकि हम अध्यापक संवर्ग के अधिकारों के लिये एक बेबाक एक बेहतरीन लड़ाई लड़कर सरकार से अपने अधिकारों को छीन सके।इस युध्द में हम और आप सभी कृष्ण के अनुसार गीता में दिये गये उपदेश के अनुसार अर्जुन की भांति लड़ेगे।इस युध्द से निकाला सूर्य का प्रकाश समूचे म.प्र.के आम अध्यापको को उनके अधिकार दिलायेगा।ऐसा मेरा विश्वास है।अब शा.अ.संघ संयुक्त मोर्चा के बैनरतले मैदान ए जंग में कूदेगा।शास ने अब जंग का एलान कर दिया है।
भाईयों हम चाणक्य के वंशज है।हमें अपने अधिकार छीनने का हुनर आता है।हम जिधर भी चल पड़ेगे रास्ता हो जायेगा।जब तक तुम दोड़ने का साहस नही करोगे।तब तक तुम्हारे लिये तुम्हारे अधिकार पाना सदैव असंभव सा बना रहेगा।कामयाब लोग ही अपने फैसले से दुंनियां बदल लेते है।और नाकामयाब लोग दुनियां के डर से अपने फैसले बदल लेते है।हम कभी कमजोर नही पड़े है।पूर्व की यादो को ताजा करो।तो दिग्गी जी को भी हम अपनी शक्ति का एहसास करा चुके है।
"तुम याद करो दिग्गी ने भी हमारी मांगो को ठुकरा डाला,
फिर हमने भी उसका सिंहासन हिला डाला"
अब भाईयों हो जाओ तैयार मैदान ए जंग में कूदने के लिये।बहुत हो चुकी मान मनोती की बाते।अब आपकी एक बीरता पूरे जीवन को बदल देगी।साथियों अब आगे बढ़ने कै बाद हमैं अपना पैर पीछे नही हटाना है।क्योकिं ...
"दुश्मन प्रबल कितना भी हो,मरने से वह भी डरता है,
सीधे सींगों वाले पशु का कौन सामना करता है।,
शेर भी उससे मैदान छोड़ भाग जाता है।"
अब उठो अपनी शक्ति पहचानो और लोगो को जागरुक करों।क्यूंकि,.....
"हारे नही इंसान ,है संदेश जीवन का यहीं,
जो मैदान ए जंग में आने से पीछे हटे, वह सच्चा शूर नहीं।"
दोड़ो मंजिल पाने के लिये।अब ये देखना है कि कौन किसके साथ है।
"कोई इसके साथ है कोई उसके साथ है,
अब ये देखना है कि मैदान किसके हाथ है।"
खुद पर भरोसा करो अब कोई तुम्हे तुम्हारे अधिकार नही दिलायेगा।हिम्मत के साथ खडे़ हो जाओ।हम और आप सभी मिलकर अपने अधिकार छीनेगे। यहसच है कि
पानी में तैरने वाले ही डूबते है।किनारे पर खडे़ होने वाले नहीं।मगर ऐसे लोग कभी तैरना भी नहीं सीख पाते और ना ही अपना लक्ष्य पाते।अपने अंदर जोश पैदा करो।प्रताप ,शिवाजी,चाणक्य के इतिहास को दोहराओ।हम किसी से कम नही।
"अपनी तकदीर बदल देगे,हमारे पुख्ता इरादे,
हमारी किस्मत अब हाथों की लकीरों की मोहताज नहीं।"
अब रुको मत चल पड़ो बहुत हो गया दिलाशा और विश्वास का खेल।जो लोग अब मैदान ए जंग में कूदने के लिये तैयार है।वो अब शास का साथ दे।क्योकि म.प्र.अध्यापक संघ अध्यापक हितों के लिये महाआंदोलन का बिगुल बजाकर मैदान ए जंग में कूदने के लिये तैयार है।उसका साथ दे।अब शिशुपाल की सौ गाली पूर्ण हो चुकी है।
"सौ गाली शिशुपाल की पूर्ण हो चुकी कृष्ण,
अब शास के पटल पर है ,संविलियन का प्रश्न।"
हो जाओ एक लड़ने के लिये अब हमें बिखरना नही निखरना है। अब गुलाम बनकर नही जीना ।गुलाम बनकर जीओगे तो कुत्ता समझकर लात मारेगी दुनियां यदि नबाब बनकर जीओगे तो सलाम ठोकेगी ये दुनियां।अब बक्त आ गया है।गुलामी की जजीरों को तोड़ने का अपने अधिकार पाने का।अब लाख तलवारें बढी़ आती है गर्दन की तरफ सर झुकाना नही आता तो झुकाये कैसे।हम लड़ेगे......हम जीतेगे।जो फिक्र सबकी करते है।वो नही किसी से डरते है।परिणाम कुछ भी हो।
"झूठी वार्ता करके ,तुम किस मद पर फूल गए,
चाणक्य वीरों को शायद तुम भूल गए।"
हम डरते नही एटमबंमो से ,विस्फोटो से जलपोतो से,
हम डरते है तो केवल झूठे समझोतो से।"
हम डरते है तो केवल झूठे समझोतो से।"
"उठ!खड़ा हो,संघर्ष के लिये,कस ले कमर,
इस बीच मर भी गया ,तो समझ ले ,हो गया अमर
इस बीच मर भी गया ,तो समझ ले ,हो गया अमर
"लाल कर दिया लहू से तुमने,अध्यापक की छाती को,
किसी गफलत में मत रखना ,इस चम्बल की माटी को।"
किसी गफलत में मत रखना ,इस चम्बल की माटी को।"
कौशल क्रांतिकारी चम्बल
म.प्र.शा.अध्यापक संघ
संभागीय मीडिया प्रभारी
9691171268
म.प्र.शा.अध्यापक संघ
संभागीय मीडिया प्रभारी
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