अध्यापक साथियों,
आप सभी लोग जानते हैं कि CM साहब ने 25 दिसम्बर 2015 को हमें 6 टा वेतनमान देने की घोषणा की थी। इस घोषणा को हम एक तरफ हमारी सबसे बड़ी जीत मान रहे हैं तो दूसरी तरफ CM साहब की दयालुता। परन्तु आज लगभग दो माह बित जाने के बाद भी हम उक्त आदेश से वंचित हैं। एक बार फिर साबित होने जा रहा है कि नेता और कसाई में कोई अन्तर नहीं होता, ये केवल अपने फायदे के अवसर तलाशते रहते हैं।
साथियों, यदि आप संवैधानिक व्यवस्था को समझते हैं तो एक बात अच्छी तरह से समझ लें कि यदि बजट सत्र से पूर्व आदेश प्रसारित नहीं होता है तो दो शंसय निश्चित हैं--
(1) आदेश में विसंगति है, इस कारण ठीक परीक्षाओं के समय कोई बड़ा विद्रोह नहीं हो।
(2) आदेश में विसंगति पैदा कर जैसे-तैसे एक साल निकाल दिया जाए ताकि वर्तमान में बड़े आर्थिक बोझ से भी बचा जा सके एवम् इसे चुनावी लाभ में बदला जा सके ।
लेकिन मुझे इससे भी बड़ा अन्देशा लग रहा है; वो यह कि केन्द्र के सातवें वेतनमान के पूर्व यदि आदेश प्रसारित नहीं होते हैं तो हमारा भी सातवें वेतनमान के लाभ से वंचित रहना निश्चित है। मात्र घोषणा पर मत जाईये । हमने कई भूमि पूजन देखें हैं जहाँ चुनाव के बाद कभी एक ईंट भी नहीं लगी ।
अत: बजट से पूर्व आदेश प्रसारित करने का सरकार पर दबाव बनाया जाना आवश्यक है, इसके लिए संघ द्वारा किये जा रहे चरणबद्ध आंदोलन/ग्यापन जैसे कार्यक्रमों को सफल बनाना आवश्यक है।
आगामी 21 फरवरी और 28 फरवरी के कार्यक्रमों की सफलता ही यह साबित करेगी कि अध्यापक केवल समान कार्य समान वेतन की बात ही करते हैं कि अपने शोषण के खिलाफ लड़ने का माद्दा भी रखते हैं।
-संतोष नामदेव
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