कल यानि 14 फरवरी को आजाद अध्यापक संघ के उपवास कार्यक्रम में 2 जिलो में आजाद टीम के साथ सहभागिता हुई ।
मैं बहन शिल्पी शिवान भाई दिनेश सालवी जी और अजय जैन जी के साथ खरगोन और बड़वानी जिले के अध्यापको का जोश देखा । अध्यापको एक इशारे की राह देख रहे है ।
कल नर्मदा जयंती और कई वैवाहिक आयोजनों के बावजूद अध्यापको का हुजूम उपवास में मौजूद था ।
हर किसी का एक ही संकल्प है की यदि सरकार की नियत में खोट निकली तो मुहतोड़ जवाब दिया जायेगा ।
कल मध्यप्रदेश के जिलो से सरकार को सूचनाये भेजी जा चुकी है की हमारी ये मांगे जो आश्वासनों के राजतवर्ण में लपेटकर रखी गई है आखिर कब आदेशित कर अस्तित्व में आएगी ।
1. वेतन के विसंगति रहित आदेश के साथ लिखित रूप से सातवे वेतन का मार्ग प्रशस्त हो ।
2.गुरुजियों को वरिष्ठता का लाभ एंव अपात्र घोषित किये जा चुके एवम् रिटायरमेंट के नजदीक आ चुके गुरुजियों को संवर्ग में शामिल किया जाये ।
3.तबादला नीति बिना किसी शर्त के लागु की जाये एवं वरिष्ठता का हास् न हो ।
4. संविदा अवधि कम हो अथवा मानदेय में वृद्धि हो ।
5.पदोन्नति के अवरोध दूर हो ।
साथियो बजट सत्र के दौरान हमारे आदेश जारी किये जाने का हमारा लक्ष्य हमें प्राप्त करना है ।
शिवराज जी द्वारा आश्वस्त किये जाने के बावजूद आदेशो में देरी धोके के संदेह को बलवती करता है ।
हमारे पास अब समय नहीं है । आप अपनी एकजुटता का परिचय देते हुए आर पार की मानसिकता बना लेवे ।
हमने पहले भी कहा है की हम सरकार विरोधी नहीं है लेकिन आंदोलन वापसी के 3 माह बाद भी आदेश नहीं किये जाने से प्रदेश का अध्यापक आक्रोशित है ।
किसी संघ को राजनितिक लाभ पहुचाये जाने की कोई भूल यदि राजनितिक स्तर पर की जा रही है तो इसे हम सरकार की राजनीतिक समझ की विफलता ही कहेंगे ।
मध्यप्रदेश का अध्यापक इस समय अपने अनुत्तरित सवालो के जवाब चाहता है इसलिए वह जिज्ञासावश किसी भी संघ के आयोजन में अपनी उपस्थिति देता रहा है । या सोचकर की शायद उन्हें कोई उपयोगी जानकारी मिल जाये ।
साथियो शिक्षा के निजीकरण के मुद्दे की सम्भावना मात्र से अध्यापको की राजनीति शुरू कर जड़े जमाये जाने की कवायद की जाना कदापि उचित नहीं है । वर्तमान तात्कालिक मुद्दों को षडयंत्र पूर्वक दबाकर सरकार की सहायता कर खुद को सरकार हितेषी साबित किया जा रहा है लाखो अध्यापको की भावनाओ को एक बार फिर छलने का जाल बिछा दिया गया ।
खैर हमें इस बात को आज ज्यादा व्यापकता से कहने की आवश्यकता नहीं है क्यूंकि आजाद के लाखो साथी अपने हक़ के लिए मैदानी होने को आतुर है ।
हम 21 फरवरी को मध्यप्रदेश के प्रत्येक जिले में व्यापक और और प्रभावी रैली करने जा रहे है । आप सभी अपने को इस आहुति के लिए तैयार कर लीजिये । बजट सत्र के बाद हमारे विकल्प बंद किये जायेंगे । परीक्षाओ के नाम पर मनुहार की जायेगी । फिर ग्रीष्मावकाश ।
याद रखो जीत के मुहाने से कंगाली के फलसफे का आलिंगन नहीं करना है वरन् हमें अपनी समस्त ऊर्जा का संग्रहण कर दिखा देना है की सम्मान की खातिर हम अपना सबकुछ दावपर लगाने के लिए तैयार है चाहे हमें एक बार फिर लाल घाटी और तिरंगा यात्रा भाग 2 क्यों न करना पड़े ।
हमें पूर्ण विशवास है की 21 के आयोजन के बाद ही सही मुख्यमंत्री जी को यह निर्णय लेने में सहूलियत तो अवश्य होगी की उन्हें किनके साथ आगे बढ़ना है । अध्यापको के भविष्य का सौदा करने वाले कतिपय सौदागरों के साथ या उन 4 लाख अध्यापक परिवारो के साथ जो रोज भगवान् के बराबर ही उनके नाम को भी जपता है ।
शिवजी अध्यापको की भावनाओ को समझो ये आपके ही प्रतिरूप है ।
याद रखिये अगर आप शिव है तो अध्यापक भोले है ।
जावेद खान
महासचिव आजाद अध्यापक संघ मध्यप्रदेश
No comments:
Post a Comment