अध्यापक/संविदा शिक्षक/गुरुजी साथियों, हम शिक्षक हैं, विद्यार्थीयों को सतत प्रयास करते रहने, हार से निराश न होने तथा शोषण के खिलाफ लड़ने की सीख देते हैं। समाज में केवल शिक्षक ही ऐसा व्यक्तित्व है जिसकी हर गतिविधि, मूल्य एवम् आदर्शों का लोग अनुसरण करते हैं। लेकिन कभी अपने अंत:करण को टटोला भी है कि हम भी पाठ्यक्रम की तरह कितने औपचारिक हो गये हैं। मुझे नाज़ है शिल्पी शिवान पर जो एक डाक्टर की पत्नी (आर्थिक रूप से सक्षम) एवम् महिला होकर भी पूरा समय अपने पेशे एवम् गरीब अध्यापकों को देती है। मुझे नाज़ है जावेद खान पर जो दोनों पैरों से अपंग होकर भी अध्यापकों के हितों के लिए पूरे प्रदेश में हिरन जैसे चौकड़ी भरता है। शासन द्वारा छटे वेतनमान का लालीपॅाप दिखा देने के बाद WhatsApp पर उग्र और प्रेरणादायी पोस्ट भेजनेवाले सभी साथियों से निवेदन है कि अपने अधिकारों के लिए जागो वरना भुक्तो ।
आगामी 21 एवम् 28 फरवरी के प्रस्तावित कार्यक्रमों के महत्त्व को यदि आप नहीं समझ पाते हैं तो संघर्षशील साथी यही समझेंगे कि "सर्व-शिक्षा-अभियान" के लिये आपसे योग्य ओर कोई नहीं।
मेरे प्यारो दोस्तों आप सभी से करबद्ध विन्रम अपील है की आने वाली 21 फरवरी को मुख्यालय पर अधिक से अधिक संख्या में उपस्थित हो कर मुख्यमंत्री स्मरण मोन रैली में भाग लेकर शासन के नाम ज्ञापन सौपना है ।विगत दो माह बीतने के बाद भी शासन ने अभी तक छटवे वेतनमान के आदेश प्रसारित नही किये ।हमे फिर अपनी एकता दिखाना होगी।हमे अपनी सोंई हुई शक्ति को फिर जगाना होगा । और एकजुट होकर अपनी शक्ति का प्रदर्शन करना होगा ।दोस्तों आप सभी को कोई न कोई महत्वपूर्ण कार्य रहते है ।किन्तु हमारी लड़ाई हमारे संघर्ष के लिए क्या समय नहीँ है ।क्या हम इतने निराश व् हताश हो गए की जो भी टुकड़ा मिलेगा उसमे खुश रहेंगे ।क्या हम आज इतने निराशावादी हो गए ।
अपने अंदर के जमीर को जगाओ अपने स्वाभिमान को जगाओ अपना आत्मविश्वास को अपनी शक्ति में बदलो जागो दोस्तों जागो बार बार रैली निकालना बार बार ज्ञापन देना बार बार हड़ताल करना क्या हम ख़ुशी से करते है ।नही ये हमारी मज़बूरी है ।क्योकिं जितना हम लड़ते है जितना संघर्ष करते है ।उतना मिलता है ।क्योकिं हम सिर्फ 30 से 40 प्रतिशत साथी ही आगे आते है ।खासकर हमारी महिला शक्ति की संख्या भी कम रहती है ।जिससे हम अपनी पूरी ताकत से शासन से नही लड़ते जिस दिन आप सभी मैदान में होंगे उस दिन कोई भी सरकार होगी। छठा तो क्या, सातवाँ क्या ,संविलियन भी करेगी ।पर उसके पहले हर साथी एक बार आत्ममंथन करे की उसने कितनी अपनी सहभागिता निभाई है ।अगर नहीं निभाई है दोस्तों तो अब घर से निकल कर मैदान संभालो और भोपाल की एक एक गली में अध्यापको के नारो व संघर्ष से गरजाने के लिए तैयार हो जाइये । दोस्तों फिर कहता हुँ, की एक बार आर पार के लिए आगे आओ।
शिवराज वर्मा बडवाह
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