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छटवें वेतन के रहस्य पर पर्दा कुछ इस  तरह से रखा गया जैसे कोई मर्डर मिस्ट्री हो।

Thursday, 18 February 2016

अध्यापक आन्दोलन का बीता हर पल बेहद पवित्र और बेहद निश्पक्ष और ईमानदारी के साथ हर अध्यापक ने जीया । हम यह मानते है कि यदि इस आन्दोलन में जरा सी भी दगाबाजी होती तो हमें इसका प्रतिफल कदापि नही मिलता ।
अब तक के सबसे बड़े इस आन्दोलन के आगे और पिछे यदि हम देखे तो हम जैसे नये चेहरो को आपने सम्मान से षिखर पर पहूॅचाया वही मुख्यमंत्री श्री षिवराज सिंह चैहान की मुम्बई से की गई घोशणा के बाद प्रदेष के अध्यापको का हदय आस्था से भर गया कि सरकार हो तो हमारे मुख्यमंत्री षिवराज सिंह चैहान जैसी हो और प्रदेष और देष का नेता हो तो वह भी हमारे मुख्यमंत्री जैसा हो ।
हर पल , हर घर , हर दर से दिल से दुआएॅ निकल रही थी कि वाकई इस मुख्यमंत्री ने राजनीति के अध्याय में जनता के  सेवक होने का हक अदा कर दिया।
फिर यकायक राजनीतिक उहापोह एक के बाद एक घटनाक्रम के रूप् में दिखाई देने लगी । हमारी आस्थाओं पर वज्रपात हुआ जब विसंगति से लबरेज संक्षेपिकाएॅ बेहद कुटील तरीके से सार्वजनिक कि गई।
कही अधिकारी जिम्मेदार ठहराएॅ गए तो कही अन्य संगठनों के कतिपय नेताओं की भूूमिका पर भी संदेह जताया गया ।
लेकिन इस छटवें वेतन के रहस्य पर पर्दा कुछ इस  तरह से रखा गया जैसे कोई मर्डर मिस्ट्री हो और कातिलों का पता ही नही चल रहा हो ।
आज अहम सवाल यह है कि क्या हमें यह जानने का हक नही है कि हमें छटवें वेतन के रूप में क्या अभिषाप मिलने वाला है या क्या वरदान साबित होने वाला है ?
हम प्रदेष के लाखों अध्यापको के प्रति जवाबदेह है यह हमारा भी हक है कि हमें बताया जाए कि आदेष जारी करने में आखिर क्या कठीनाईयाॅ है ?
हर उस अध्यापक को यह जानने का हक है कि आखिर 5000 में अपना घर कैसे चलाया जाए ?
हर उस अध्यापक को यह जानने का हक है हजार किलोमीटर दूर बैठे बैठे क्या वह अपने माता पिता या परिजनों के अंतिम संस्कार के बाद ही घर जा पाएगा या जीवीत रहते उनकी साथ चार पल भी गुजार पाएगा ?
हर अध्यापक को हक है कि अभी उसे जीतनी भीख मिल रही है उसी भीख को जो हिस्सा अन्य भिखारी एन एस डी एल में खा रहे है उसका कभी हिसाब दिया जाएगा या नही ?
प्रदेष के अनाथ बच्चो को उनके पिता की मौत के एवज में सरकार कितने टूकड़े डालेगी क्या वह जान सकते है ?
प्रदेष की विधवाओं को क्या यह जानने का हक है कि आखिर कब गिरे हुए सम्मान के निम्न स्तर यानि की चपरासी के लायक भी उन्हे कभी समझा जाएगा या नही ?
आजाद अध्यापक संघ ने भरोसा किया अपने प्रदेष के मुखिया पर , भरोसा किया अपने प्रदेष के आला अधिकारीयों पर , भरोसा किया अपने देष की न्यायव्यवस्था पर । यदि भरोसे की कीमत धोखा या इंतजार है तो इसके प्रतिफल में भी तो कुछ होगा ।
सरकार की और से यह सोचा जा रहा हो कि हम प्रदेष की अध्यापक एकता को संघो में बाॅट देंगे और आपस में लड़ाकर वही करेंगे जो अब तक किया है तो तरस आता है ।
हम निष्चित ही अब मोर्चा के स्वांग का हिस्सा नही होंगे यह बात सरकार और सरकार हितेशियों को अवगत हो।
देष को आजाद कराने के पिछे कभी पुरे देश के नागरिको ने ष्षहादत नही पाई । हर अबला ने जौहर नही किया । हर बच्चा खुदीराम बोस नही बना ।
हर कोमलांगी विरांगना नही बनी । हर कोई सुभाष , आजाद ,मंगल पाण्डे या भगत सिंह नही हुए । यदि एसा होता तो आज हमारा देष कब्रस्तान में तब्दील हो गया होता ।
मुठठी भर लोग थे जिन्होने अपनी जानो पर खेलकर अंग्रेजो को नाको तले चने चबवा दिये ओर मुल्क छोड़ने पर मजबुर कर दिया ।
साथियों ठीक इसी तरह हमारे अध्यापक आन्दोलन की हालत है। कहने को तो लाखो है लेकिन कुर्बानियों की बाते करने वालो की संख्या हजारो में है , जस्बा रखने वालो की संख्या सेकड़ो में और कुर्बानि जो दे जाते है वह उंगली पर गिने जाते है।
इस वक्त आपसे कुर्बानियाॅ कोई नही मांग रहा और न वह दौर है कि हमें लोकतंत्र के ढांचे पर मातम पुरसी करना पड़े । वजह यह है कि अभी हम कम कम से कम इतना साहस तो रखते है कि सरकार की बंद तिजोरियों से अपने हक को आजाद करवाने की बात पुरे दमखम के साथ रख सकते है।
तो साथियों हमारे संघर्ष के अभी कुछ पड़ाव अभी आने बाकी है यहा पर अभी इस वेतन को हासिल करो क्योंकि हमें इस बात का आभास तो हो ही गया है कि सातॅवे की राह भी इतनी आसान नही होगी।
ये सब पटकथा लिखने वाले लेखक का कुछ नही जाएगा बल्कि आज यदि छटवें वेतन के इस रहस्य पर यदि किसी का दाॅव पर लगा है तो वह है हमारे प्रदेष की मुखियाॅ की प्रतिष्ठा ।
फिलहाल आप 21 फरवरी की रैलियों से प्रदेष संचालको को यह उसी जस्बे के साथ अवगत कराओं जो आपने लाल घाटी पर दिखाया था कि यदि वेतन विसंगति रही तो प्रदेष का हर अध्यापक अपना हक लेने भोपाल के राजनीतिक गलियारों को थर्रा देने के लिए अपने कदम राजधानी की और जरूर बढ़ायेगा ।
दोस्तों आजाद संघ का शानदार आंदोलन हुआ ।सभी साथियो की सहभागिता से आंदोलन काफी सफल रहा । यह आंदोलन अपने आप में एक इतिहास लिख गया ।कोर्ट का सम्मान किया हमने मामाजी की अपील का सम्मान किया हमने आंदोलन के दौरान अपने  18 साथियो को खोया हमने ।आज उन परिवारो पर क्या बीत रही होगी ।उनके बारे में कभी सोचना साथियो की उनका परिवार किस हालात में जी रहे है ।न अनुकम्पा न पेंसन हमारे साथी क्या छोड़ कर गए है ।सोचो तो आँखे भर आती है ।उनका दोष सिर्फ यह था की वो अध्यापक संविदा थे ।क्या हममे से अगर किसी के साथ कोई अनहोनी होगी तो क्या होगा ।कभी सोचना ।पर हमे फुर्सत कहा है दोस्तों की हम अब तो अपने अधिकारो के लिए जाग जाये अब तो अपनी लड़ाई के लिए आगे आये ।मामाजी ने तो 2 माह से ऎसे मामू बनाया की रात में भी नजर आते है ।और मुह चिड़ाते है की छटवे वेतन का आदेश चाहिए क्या  और हम जैसा अपना अधिकार नही जैसे भीख मांग रहे है । अपना स्वाभिमान अपना जमीर हमे जगाना होगा दोस्तों व् हम सब को आगे आना होगा । और हमारी लड़ाई को लड़ना होगा ।हमारा संघर्ष को आर या पार् में बदलना होगा ।आज फिर से हमारी प्रांतीय टीम ने शासन के विरुद्ध बिगुल बजाया है ।आने वाले रविवार को शानदार संख्या में पहुंचकर अपने अपने मुख्यालय मोन रैली को सफल बनावे ।

सभी महिला शक्ति को सत सत् प्रणाम आप सभी की कार्यक्षमता पर किसी को कोई शक नही आपके ऊपर काफी जिम्मेदारियो का निर्वाहन होता है । आपके संघर्ष व् बलिदान के आगे सब फीके है ।किन्तु आप जिस पद पर कार्य कर रही है ।जो संघर्ष हमारी किस्मत में लिखा जा चूका है ।की हमे आज बार बार क्यों संघर्ष करना पड़ता है ।क्या आप ने। कभी सोचा की इन संघर्षो में आपने कितना किया ।क्या आपने अपने इस संघर्ष में कितनी सहभागिता निभाई है ।अगर आप या कहु हमारी सभी महिला साथी यदि ठान ले तो आज हम छटवे के नही सातवे वेतन के आदेश के इंतजार में होते ।किन्तु न हम खरगोन जायेंगे न हम भोपाल जायेंगे ।और न हम अपने  ब्लाक तक आएंगे ।क्योकि हमे बहुत काम है हम बहुत व्यस्त है ।यही सोचती हो ना की में नही जाउंगी तो क्या होगा ।या में रैली व् हड़ताल में जाउंगी तो लोग क्या कहेंगे ।आज महिलाये अपने हक व् अधिकार के लिए समानता का अधिकार रखती है तो फिर अपने संघर्ष व् अपनी लड़ाई के लिए बहाने क्यों इतना पीछे क्यों क्या ये लड़ाई क्या ये संघर्ष आपका नही है ।जिस दिन आप आगे आओगी उस दिन भोपाल तो क्या दिल्ली की सरकार हिल जायेगी ।एक कदम आगे तो बढ़िए ।सफलता आपके कदम चूमेगी व् आपको किसी आदेश का इंतजार नही करना पड़ेगा ।बुरा लगा हो तो माफ़ करना ।पर अपने अंदर की अंतरात्मा को जगाई ।आशा करता हु की आने वाले संघर्ष में आप हम से भी आगे रहोगी।आपकी  महिला शक्ति को अपने स्वाभिमान को जरूर जगाइए ।
  शिवराज वर्मा

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