शोषण का रावण जिन्दा हैं शोषण का रावण जिन्दा हैं रामायण अभी अधूरी। हम हर खतरे से वाकिफ है। सच कहना मगर जरूरी है,सच कहना बहुत जरूरी है । सच कहना बड़ा जरूरी है।संविदा शिक्षक की पीड़ा जस की तस धरी है, जस की तस धरी। सच कहना मगर जरूरी है। सच कहना मगर जरूरी है।
मेरे संविदा शिक्षक साथीयो क्यो मुह ताकते हो गैरो का। आप खुद ही सम्बल हो पथ पकड लो कोशिशों का , और शोषण के रावण को घेरो। साथियो आज नही तो कल आप विजयश्री का वरण करोगे। बनके अर्जुन संविदा शिक्षक के साथ अन्याय का हरण करोगे। मेरे संविदा शिक्षक साथीयो संघर्ष करते हमने आपको रण मै देखा है, आपके अपनो ने ही फिर दूध से मक्खी की तरह निकाल आपको फेंका है। इस धोखे से कुछ तो सीख लो। हाथ बढा कर छिन लो अधिकार अपना , ना किसी के अहसानो की भीख लो। क्यों संघो के फेरो मै पडते हो, क्यू विश्वास गैरो पर करते हो। इस विश्वास ने तुमको छला है, इसके पीछे गैरो का स्वार्थ ही फला है। संघो की गुटबाजी से खुद को गुटनिरपेक्ष बना लो। खुद ही लडकर जीतना होगा अब ये अभियान चला लो।
क्यो गैरो के मुह ताकते है,क्यू कर्तव्य पथ से भागते है
ठान लो की अब तुम रण क्षैत्र मै हो, या तो आगे बढना होगा ,या संविदा अवधी मै ही सडना होगा,ना अब तुमको डरना होगा,अपने हिस्से का श्रम।खुद तुमको ही करना होगा।
अब नही हमारे प्रयासों से किसी ओर की इच्छा का पोषण होगा,हम संविदा शिक्षक है कब तक हमारा यूही शोषण होगा।शोषण का रावण जिन्दा हैं शोषण का रावण जिन्दा हैं रामायण अभी अधूरी। हम हर खतरे से वाकिफ है। सच कहना मगर जरूरी है,सच कहना बहुत जरूरी है । सच कहना बड़ा जरूरी है।संविदा शिक्षक की पीड़ा जस की तस धरी है, जस की तस धरी। सच कहना मगर जरूरी है। सच कहना मगर जरूरी है।
राशी राठौर देवास
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