सब एक दुसरे की टांग खीचो ।कोई भी आन्दोलन मत करो। छठे के आदेश पोस्ट से सभी के घरो पर आ जायेंगे। पिछले आन्दोलन सितम्बर /अक्तूबर में भी यही सब किया था । अध्यापको को उस वक्त भी भड़काया था की अभी इस आन्दोलन से झुन झुना भी नही मिलेगा। बाद में जब मुख्यमंत्री ने छठे वेतनमान की घोषणा की तो विरोध करने वाले मेरे भाई ढोल तमाशे लेकर खूब नाचे। मेने हे भाषण बाजी इसलिए की हे की जिन्दगी में एक बात याद रखो अगर कोई संघ कोई आयोजन या आन्दोलन कर रहा हे तो उसका विरोध कभी मत करो। आपको सही लगता हे तो उसमे शामिल हो जावे। और अगर अच्छा नही लगे तो चुपचाप अपने घर बेठना चाहिए। क्योकि आन्दोलन और अध्यापक हित का ठेका किसी एक संघ का नही हे। सबको अपनी अपनी सामर्थ्य से आन्दोलन करने देना चाहिए।
एक और मजेदार बात जो संघ आन्दोलन करता हे उसके पदाधिकारी जो अध्यापक आन्दोलन में भाग नही लेता या हड़ताल पर नही रहता हे उसे चुडिया भेंट करते हे। लेकिन जब कोई संघठन आन्दोलन करे तो वो चुडिया भेंट करने वाले पदाधिकारी ही हड़ताल पर नही उतरते हे उन्हें क्या कहना चाहिए। ऐसा कही बार हो चूका हे। आन्दोलन में शामिल होना स्वेच्छिक हे किसी पर दबाव न बनाते हुवे उससे सिर्फ विनती करना चाहिए तथा उस व्यक्ति का दिल जीतकर उसको आन्दोलन में शामिल करना चाहिए जबरदस्ती नही। आपका आन्दोलन और आपका किरदार इतना मजबूत होना चाहिए की आपकी एक आवाज पर लोग आ जाये
हर तरफ वर्चस्व की लड़ाई चल रही हे इससे कोई भी संघ या संघठन अछूता नही हे जो अध्यापको का अहित कर रही हे। सभी प्रांताध्यक्ष इसे समझे । वर्तमान परिस्थिति बहुत संवेदनशील हे । छठे वेतनमान और संविलियन पर एकता होना चाहिए ।अन्यथा फिर एक बार हम धोका खा जायेंगे। हमारे नेताओ की तो बढ़िया बढ़िया दुकानदारी चल रही हे। आम अध्यापक पिस रहा हे।
हबीबुल्लाह खान
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