वर्तमान में प्रशासन में बैठे अनेक अधिकारियों को निजीकरण का भूत सवार है और वो इसमें सफल भी हो रहें हैं प्रदेश में राज्य परिवाहन ,विद्युत मंडल से सभी परिचित है ।
इन्हीं की भाँति वर्तमान में शासन प्रशासन के कुछ लोग जी जान से लगे हुये हैं कि यह और स्वास्थ्य विभाग भी निजीकरण के दायरे में आ जाये इसकी वाकायदा मुहिम जारी है इसके लिये इन विभागों के कर्मचारियों को बहुत बदनाम करो जिससे आम जन इनके विरूद्ध हो जाये और कोई कुछ न बोले ।
राज्य परिवाहन को बहुत सुनियोजित ढंग से बंद किया गया उसके कर्मचारियों को कोई सुबिधा नहीं और काम बहुत ,बसे ठीक नहीं और बदनाम किया गया कि कन्डेकटर ,डाइवर और कर्मचारी मिलकर पैसे खा रहे ।जबकि यदि सुबिधाये दी जाती बसे ठीक रहती तो आज अपने प्रदेश में भी महाराष्ट् ,उत्तरप्रदेश,राज्यस्थान, दक्षिण के राज्यों की भांति हमारे राज्य मैं भी राज्य की अपनी परिवाहन व्यवस्था होती और कर्मचारियों को वेरोजगार न होना पडता और रोजगार के अवसर भी होते । पर बदनाम कर कर के उस विभाग को बंद कर दिया उसकी अरबों की संपत्ति पर आज मक्खियां बैठ रही हैं । यही हाल विजली विभाग का रहा और वह भी कब निजी हाथों में चला गया शायद ही किसी को याद हो ।
यही हाल शिक्षा विभाग का बनाया जा रहा है ,शासकीय प्राथमिक ,माध्यमिक एवं नये हाईस्कूल/हा.से. स्कूलों में सफाई कर्मचारी (भृत्य)को शासन द्वारा रखा ही नहीं जा रहा अब सफाई के नाम पर कि शिक्षक छात्रों से करा रहे सफाई ऐसा बदनाम किया जा रहा है ,पंचायत द्वारा भी नियुक्त करने के निर्देश भी दिये गये पर शायद ही किसी पंचायत ने स्कूलों हेतु रखा हो । शिक्षकों को अनेक कामों में लगाये रखों और बदनाम करों कि ये पढा नहीं रहे । स्कूलों में जो अच्छा कार्य कर रहे उन्हें कोई प्रोत्साहन नहीं बस बदनामी इसका सीधा असर स्कूलों की दर्ज संख्या पर पड रहा बहुत से स्कूलों की दर्ज संख्या दस से कम हो रही कई स्कूल ऐसे है जिनमें छात्र ही नही वचे तो वहाँ के शिक्षकों को कही जाति प्रमाण पत्र बनबाने में तो कही रात की गस्त करवाने में लगाया जा रहा है । यह बहुत ही सोचनीय और शिक्षा जैसे पवित्र कार्य में लगे शिक्षकों का अपमान नहीं तो ओर क्या है ?
हम सभी को शासन प्रशासन की इस सोची समझी रणनीति का विरोध करना है जिससे हम सबका अस्तित्व बचा रहे वरना यह निश्चित है जब स्कूलों में छात्र/छात्राएं नहीं होगें तो हम भी नहीं रहेगें ।
हम सभी को पूर्ण मनोयोग से चिन्तन करते हुए अपने कदम बढाना है ।
नगेन्द्र त्रिपाठी
राज्य अध्यापक संघ म.प्र.
आजकल सोशल मीडिया पर अध्यापक हित के नाम पर स्वयं की राजनीति चमकाने वाले बहुत से अध्यापक नेताओं की मानो बाढ़ सी आ गयी है। ऐसे अध्यापक हितेषी नेता जिनका कभी संकुल ,बिकासखंड या जिला स्तर पर कोई अस्तित्व ही नही रहा आज वो सोशल मीडिया पर कई नए नए नामो से संगठन बनाकर राज्य अध्यापक संघ व माननीय पाटीदार जी का विरोध करने के चक्कर में सोशल मीडिया पर जहा आज हमारी बहिने भी हैं उनके व समाज के सम्मुख इस कदर अमर्यादित भाषा का प्रयोग करने यहाँ तक कि गाली गलौच के निम्नस्तर तक गिर शिक्षकीय गरिमा को धुल धूसरित करने में संलग्न है कि शायद वो ये भूल जाते हैं कि सोशल मीडिया समाज के सम्मुख अपने चरित्र चित्रण को प्रदर्शित करने वाला आइना है। ये हताशा, निराशा व अपनी नाकामियों के चलते राज्य अध्यापक संघ व पाटीदार जी को नीचा दिखाने के चक्कर अपने चरित्र का बखूबी चित्रण कर रहे हैं। ऐसे अमर्यादित शिक्षकीय गरिमा को धूल धूसरित करने वाले लोगो से सावधान ........।
ऐसे फर्जी लोगों जिनका वास्तविक चेहरा सबके सम्मुख है, जो बरगलाने के सिवाय कुछ नही करते विरोध करने का वक़्त आ गया है।
"जाकि रही भावना जैसी,
प्रभु तिन्ह देखि मूरत तैसी"
रात गुजरी फिर महकती सुबह आई … दिल धड़का फिर तुम्हारी याद आई.. आँखों ने महसूस किया उस हवा को … जो तुम्हें छु कर हमारे पास आई ..
सियाराम पटेल
प्रदेश मीडिया प्रभारी
आई टी सेल
राज्य अध्यापक संघ म.प्र.
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