सादर वंदन
साथियो आज दुषित राजनीति से कुछ संघ बिषेला वातावरण बनाकर एक दूसरे को नीचा दिखाने की प्रतिस्पर्धा कर रहे है।यदि उनका यही रवैया रहा तो वह दिन दूर नही कि प्रदेश का समस्त अध्यापक ऐसे संघो से ऊपर से लेकर निचली पंक्ति तक नकार देगा।फिर आप आराम से अपनी पद और महत्तवाकांक्षा की प्रतिस्पर्धा करते रहे ।आज बदलते हुये समय के फेर को देखते हुये सभी संघो से निवेदन है कि सभी संघ एकता का परिचय देते हुये अपने लक्ष्य में लग जाये।जो भी संघ यदि एकता में बाधक बनता है।उसका सभी साथी मिलकर परित्याग करे।अंहकार में डूबने वालो को सीधा घर का रास्ता दिखाये।ऐसे नेताओ की अब कोई आवश्यकता नही।प्रदेश का अध्यापक अब सब जानता है।
समर्थन और विरोध केवल विचारों का होना चाहिये व्यक्ति का नही।मतभेद कभी मनभेद नही बनने चाहिये।एकता में शकति है सामूहिक कार्य और सहयोग से अद्दितीय चींजे भी हासिल की जा सकती है।
एकता का अर्थ यह नही होता कि किसी विषय पर मतभेद ही न हो।मतभेद होने के बाबजूद भी जो सुखद और सबके हित वाले परिणाम आये।उसे एकता की सच्ची परिभाषा दी जाती है। सभी संघो के ऊपर सेे निचली पंक्ति स्तर तक के पदाधिकारी अपने आप में मानसिक,बोध्दिक,वैचारिक और भावानात्मक स्तर पर एकरुपता को प्रदर्शित करे।जो ऐसा करने में अक्षम है।उसे दरकिनार कर दिया जायेगा।
धागा यदि संगठित होकर एक हो जाये तो वह भी शेर जैसे शक्तिशाली जानवर को बांध सकता है।विघटित 1000 व्यक्तियों से संगठित 10 बहुत है।संगठित होना ही प्रगति का प्रतीक है।एकता के बल पर ही शत्रु को पराजित किया जा सकता है।एक ऊंगली कुछ नही कर सकती पांच ऊंगलियों को मिलाकर ही हम सामने वाले को परास्त कर सकते है।एकता का किला सबसे सुरक्षित होता है।उसमें रहने वाला कभी दुखी नही होता।कुल की प्रतिष्ठा भी विनम्रता और सदव्यवहार से होती है।हेंकड़ी और ऐंठन से नही।सभी अपनी हेंकडी़ छोडे़ और सच का साथ दे।मेरे इतने लिखने के बाबजूद भी यदि कोई नही समझा।तो शायद उसे समझाना भी मुश्किल जैसे उल्लू को सूर्य दिखाई नही देता वैसे ही अंहकार में डुबे हुये व्यक्ति को सच दिखाई नही देता। छोटे जीव जंतु भी एकता के बल पर अपने सभी कार्य पूर्ण कर लेती है।मधुमख्खियां भी एक होकर बहुत बडे़ रस के पिण्ड का निमार्ण करती है।अलग अलग फूल भी सजकर क्यारी गुलशन बन जाती है।अलग अलग शब्दों से मिलकर भी एक कहानी बन जाती है।
यदि अभी भी आप समय रहते नही बदले तो ये सच की चिंगारी आपके अंहकार को भस्म कर देगी।
अंत में प्रदेश के सभी आम अध्यापको से निवेदन कर रहा हूं कि जो भी एकता मे बाधक बने उसे सभी लोग अपने अपने जिलो में उनका बहिष्कार करते हुये उनका पुतला फुंके।आप मेरे साथ चले बस फिर देखो हम एकता में बाधक बनने वालो को किस तरह दरकिनार करते है।
जब एक रात में सुभाष चन्द्र बोस आजाद हिंद फोज तैयार कर देश को आजाद करा सकता है।तो फिर हम क्यूं नहीं।जब चाणक्य अपनी बुद्दि से नंद वंश का तख्ता पलट सकता है तो हम क्यूं नहीं।हम उसी चाणक्य के बुध्दिजीवी वंशज है।अपने स्वाभिमान को पहचानो ।यदि ऐसा न कर पाये तो चाणक्य हमें कभी माफ नही कर पायेगा।और 2013 के नासूर की तरह 2016 भी हमेशा के लिये नासूर बन जायेगा।यदि हम एक रहे तो निश्चित ही 6टे वेतनमान के विसंगति रहित आदेश के लक्ष्य में आमूल चूल परिवर्तन कर पायेगे।यह मेरा विश्वास है।आओ सभी पुरानी भूली बिसरी यादो को तिलांजलि देते हुये एकता के साथ आगे बढे़।यदि यह एकता की विचारधारा यदि किसी भी संघ को नागवार गुजरती है।तो निश्चित ही उसका नेत्तव अध्यापकहित में नही होगा।
आओ हम सभी एक होकर अपने लक्ष्य की और कदमताल करे।
मै नही तू ,तू नही मैं ,कब तक चलेगा ये मतभेद,
आओ हम सभी मिलकर भुलाते है अपना विभेद
आस ,राश शास न करो हमें निराश,
आओ सब मिलकर एकता के साथ करें प्रयास
अध्यापक एकता जिंदाबाद
संयुक्त मोर्चा जिंदाबाद
अध्यापकहित सर्वोपरि
कौशल क्रांतिकारी चम्बल
9691171268
No comments:
Post a Comment