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जब प्रयास सभी संघो ने किये तो भरत भाई ने अकेले श्रेय क्यों लिया : कौशल क्रांतिकारी चम्बल

Tuesday, 16 February 2016

          सादर वंदन
चम्बल के क्रांतिकारी का सच........

साथियों आज कुछ लोग अभी भी भ्रांतियों के भंवरजाल में डूबे हुये है।एकता के नाम से कुछ लोगो को डर है कि कहीं उसका बजूद खत्म न हो जाये।आज सभी साथियों की भ्रांतियां दूर कर रहा हू।

राज्य अध्यापक संघ------

01- साथियों ये जरुर मानना पडे़गा कि किसी न किसी संघ के योगदान से हमें कुछ न कुछ मिला है।किसी की एक भूल के कारण उसके समस्त योगदान को भुला देना न्यायोचित नही।माना कि पाटीदार जी सत्ता की चमक में टिकिट के लालच में सत्ता की गोद में जा बैठे लेकिन ये भी मानना पडे़गा कि उनके ही सतत प्रयासो से हमें समान वेतन समान कार्य का लाभ मिल पा रहा है।क्या उनके इस योगदान को भूलना चाहिये।मेरा ऐसा मानना है कि नही।क्योकि जिस व्यक्ति ने घर बाड़ छोड़कर अध्यापक हितों के लिये मशाल जगाई ।क्या एक गलती के लिये उसके पूर्व के योगदान को भुलाना सही होगा।उस व्यक्ति ने इतना तो दिलाया ।यदि वह व्यक्ति कुछ भी प्रयास नही करता तो क्या शायद आपको आज जो भी मिल रहा है।वो मिल पाता...??????लेकिन इस समय राज्य अध्यापक संघ को नीजीकरण छोड़ ६टे विसंगतिरहित  आदेश करवाने में अधिक प्रयास करना था।इसके बाद हम सभी नीजीकरण के विरोध में शंखनाद करते।तो शायद बेहतर.......????

03-शा.अध्यापक संघ---------

आदरणीय ब्रजेश शर्मा जी एक बेदाग सत्ता की चमक से कोसो दूर सहज और उदार व्यक्ति के धनी,एकता में विश्वास रखने वाला व्यक्तित्व ।  आज भी उनका आचरण वही खडा़ है।जो पहले था ।न कभी बिका न कभी बिकेगा।प्रतिस्पर्धा की लड़ाई छदम युद्द से कोसो दूर है।उनका इतिहास रहा है।उन्होने कभी दिखावे की राजनीति नही की।जहां भी अध्यापकहित लगा ।बुलाबे की इच्छा किये बिना सभी संघो के साथ आंदोलन में खडे़ हुये।और ना ही कभी वाहवाह और श्रेय की राजनीति की।इसे शास की कमजोरी समझने की गुस्ताखी न करे कोई उसका लक्ष्य सदैव आगे बढ़ना ही रहा है।यह अपने आप में समभाव गुणो को प्रदर्शित करते हुये सभी संघो को एकता के साथ आगे बढ़ने का संदेश दे रहा है।जो कि अध्यापकहित में है।सभी संघो को इस अदभूत पहल का स्वागत करते हुये अंहकार को छोड़कर आगे हाथ बढ़ाना चाहिये।यदि नही बढ़ाता तो प्रदेश का अध्यापक सब समझता है कि कौन अध्यापकहितेषी और कौन अध्यापक विरोधी।
नादानी करना छोडिये।नाम की शोहरत की वासना को त्यागकर आगे की सोचिये।

03-आजाद अध्यापक संघ-------

      १-अभी ६टे वेतन की तो दूर की बात अभी कटे वेतन के आदेश भी नही। कुछ मिला भी नही उससे पहले ही सत्ता की गोद में बैठने के लिये लालायित।क्या यह सही है...????
२-कहते है कि आंदोलन आजाद ने किया।यदि आंदोलन आजाद ने किया तो उनका क्या जिन्होने अपना वेतन कटवाया लाठियां खाई और कुछ साथी बलिदानित भी हो गये।13 सितम्बर से जब आंदोलन शुरु हुआ तब आंदोलन मृत अवस्था में पडा़ था लेकिन अन्य संघो की महानता कि जिन्होने आंदोलन में साथ देकर आंदोलन की जीवित किया।नहीं तो आंदोलन खड़ा भी नही हो सकता ।
            जब 17 सितम्बर को सभी संघो के सहयोग से आंदोलन उग्र बना तभी माननीय मुख्यमंत्री जी से वार्ता हुई।उससे पहले सी एम साहब ने अकेले भरत जी से वार्ता क्यूं नहीं की।

३-अन्य सभी संघो के मृत पड़े आंदोलन में सहयोग दिया ।और आजाद संघ द्वारा किये गये आंदोलन को उग्र बनाया ।तो फिर अन्य संघो का शुक्रिया क्यों नही......जबकि भरत जी ने ही अकेले ही वाहवाही और श्रेय लूटना प्रारंभ कर दिया।तो फिर क्या कहना गलत है कि आंदोलन भरत जी ने शुरु किया हमने तो सहयोग दिया।
यदि भरत जी श्रेय और वाहवाही की राजनीती नही करते तो शायद कोई संघीय पदाधिकारी ऐसा नही कहता।लेकिन इससे भरत जी की पदीय महत्तवाकांक्षा और वाहवाही लूटने की राजनीति और अंहकार का होना  प्रदर्शित करती है।

३-भरत जी सी एम साहब के पैरो में लोटना बिना विसंगतिरहित आदेश हुये बिना क्या सत्ता की गोद में बैठकर चाटुकारिता करना क्या सही था।

४- संक्षेपिका में विसंगति का न दिखना ।और यह कहना कि शिक्षक संवर्ग का वेतन मिलना क्या सही है।क्या 1125 करोड़ में विसंगति दूर हो सकती है।

५-बार बार आदेश होने के लिये अध्यापकों को भ्रमित करने वाली बदलती अलग अलग तारीख घोषित करना...????क्या यह सही था????

६-जब सभी संघो ने इनके आंदोलन को उग्र बनाने के लिये सहयोग दिया इसके बाबजूद उन संघो का शुक्रिया तो दूर संयुक्त मोर्चे से अलग होना क्या यह सही था.....????

७-मोर्चे में रहकर मोर्चे के नियमों का पालन न करना क्या यह सही था...??
मोर्चे में रहकर भी कभी भी मोर्चे के लेटरपेड़ो झंडा बैनर का उपयोग न करना क्या यह सही था।....????

८-अभी ६टे वेतन के आदेश हुये नही और ७वे वेतन की वाहवाही लूटना क्या यह सही था।.......?????

९- विघटन की राजनीति करना क्या यह सही .......???यदि  वास्तव में अध्यापकहित चाहते है तो मोर्चे से कन्नी क्यों काट रहे ......??

        साथियों इन सभी तथ्यों  को दृष्टिगत रखते हुये बिना अंधभक्त बने मनन चिंतन करके सोचे कि कौन सही और कौन गलत

   साथियों अभी भी कुछ नही हुआ यदि अभी भी समय रहते सभी एक हो जाये तो हम अपने लक्ष्य को प्राप्त कर सकते है।और विसंगतिरहित आदेश करा सकते है।

   सच परेशान होता है लेकिन पराजित नही।

विचार करे।और लक्ष्य की ओर बढ़े।

एक रहे.....नेक रहे....

अध्यापक एकता जिंदाबाद

संयुक्त मोर्चा जिंदाबाद

अध्यापकहित सर्वोपरि

  कौशल क्रांतिकारी चम्बल
   म.प्र.शा.अध्यापक संगठन
      संभागीय मीडिया प्रभारी

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