शिक्षक का तात्पर्य होता है जो अपने ज्ञान से अज्ञान रुपी अंधकार दूर करे और ज्ञान रुपी प्रकाश से आलोकित करें । शिक्षक न तो पक्ष का होता है न ही विपक्ष का वह तो निश्पच्क्ष होता है और निष्पक्ष होना भी चाहिए । अपना विश्लेषण गुण दोष के आधार पर करनी चाहिए । स्वामिभक्ति के आधार पर नहीं । हमारे आन्दोलन का मुख्य उद्देश्य अध्यापक संवर्ग का शिक्षा विभाग में संविलयन है और हमें इसी दिशा में कार्य करना चाहिए ।
किसी को गाली देना अपने ही भाइयों को गद्दार कहना मेरे समझ से शिक्षक के मर्यादा व आचरण के विपरीत है ।यदि हम अपनी उर्जा आपस में एक दूशरे को गाली देने में लगा देंगे तो फिर प्रशासन के खिलाफ क्या संघर्ष कर पायेंगे ।
संभवतः शासन प्रशासन अपने मकसद में कामयाब हो रही है कि हम आपस में लडते रहे औऱ मूल मुद्दे को भूल जायें। और अब यही दीखाई पड रहा रहा है ।
मेरे भाइयों आप लोगों से निवेदन है कि आपसी विचार विमर्श तो ठीक है मतभेद भी ठीक है पर गाली ठीक नहीं है । श्रेय कोई ले कोई फर्क नहीं पडता आम अध्यापकों का अहित नहीं होना चाहिए
हम लोग किसी राजनैतिक पार्टी के नहीं है औऱ न ही हमें चुनाव लडना है फिर ये तकरार किसलिए ।
मिलजुल के रहो औऱ प्यार करो
ये बात सभी को कहनी है।
हम उस देश के बासी है
जिस देश में गंगा बहती है ।
धन्यवाद।
एस एन पाठक
वरिष्ठ अध्यापक
शहडोल संभाग
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