(1)किसे वेतन आय के रूप में माना जाता है?
आयकर अधिनियम की धारा 17(1) शब्द 'वेतन' को परिभाषित करती है। हालांकि, तकनीकी परिभाषा में न जाते हुए, सामान्य तौर पर नियोक्ता से एक कर्मचारी द्वारा प्राप्त किया जाने वाला नकद, वस्तु या किसी सुविधा [परिलब्धि] को वेतन के रूप में माना जाता है।
(2)भत्ते क्या हैं? क्या सभी भत्ते कर योग्य होते हैं?
भत्ते वेतन से भिन्न नियत आवधिक राशियां हैं जो नियोक्ता द्वारा कर्मचारी की कुछ विशेष जरूरतों को पूरा करने के प्रयोजन हेतु भुगतान किये जाते हैं, उदाहरण के लिए- टिफिन भत्ता, परिवहन भत्ता, वर्दी भत्ता,आदि।
आयकर के प्रयोजन हेतु भत्ते सामान्यतय: तीन प्रकार के होते हैं- कर योग्य भत्ते, पूरी तरह से कर मुक्त भत्ते और आंशिक रूप से कर छूट वाले भत्ते।
(3)यद्यपि कि वेतन से कोर्इ भी कर कटौती नहीं की गयी है, क्या मेरे नियोक्ता के लिए मुझे फार्म-16 जारी करना आवश्यक है?
फार्म -16 टीडीएस का एक प्रमाण पत्र है। आपके मामले में यह लागू नहीं होगा। हालांकि, आपके नियोक्ता को एक वेतन विवरण अवश्य जारी करना चाहिए।
(4)
क्या पीएफ व ग्रेच्युटी जैसे सेवानिवृत्ति लाभ कर योग्य हैं?
एक सरकारी कर्मचारी के लिए सेवानिवृत्ति पर ग्रेच्युटी व पीएफ की प्राप्ति को कर से छूट दी गर्इ है। गैर सरकारी कर्मचारी के लिए, ग्रेच्युटी इस संबंध में निर्धारित सीमा के अधीन कर मुक्त है और पीएफ प्राप्तियां कर मुक्त हैं यदि वे कम से कम 5 साल की निरंतर सेवा प्रदान करने के बाद एक मान्यता प्राप्त पीएफ से प्राप्त होती हैं।
(5)
क्या वेतन की बकाया राशि कर योग्य है?
हाँ। हालांकि, उन वषोर्ं के लिए जिनसे आय का प्रसार लाभ कम कर आपात दर के लिए उठाया जा सकता है। इसे आयकर अधिनियम की धारा 89 के तहत राहत के रूप में जाना जाता है।
(6)
क्या अवकाश नकदीकरण वेतन के रूप में कर योग्य है?
सेवा में रहने के दौरान प्राप्त किये जाने पर यह कर योग्य है। सरकारी कर्मचारी के लिए सेवानिवृत्ति के समय प्राप्त अवकाश नकदीकरण पर छूट दी गर्इ है। गैर सरकारी कर्मचारी के लिए अवकाश नकदीकरण पर आयकर कानून के तहत इस संबंध में निर्धारित सीमा अधीन छूट प्राप्त है।
(7)क्या, परिपक्वता पर बोनस के साथ जीवन बीमा पॉलिसियों से प्राप्तियां कर योग्य हैं?
धारा 10 (10घ) के अनुसार, बोनस सहित जीवन बीमा पॉलिसी के तहत प्राप्त कोर्इ भी राशि कर से मुक्त है। हालांकि निम्नलिखित प्राप्तियां कर का विषय है इस संबंध में निम्नलिखित बातों पर ध्यान दिया जाना चाहिए:
(1) धारा 80 घघ की उप-धारा (3) के अंतर्गत प्राप्त कोर्इ राशि
(2) मुख्य बीमा नीति के अंतर्गत प्राप्त कोर्इ राशि
(3) 1 अप्रैल 2003 को या उसके बाद जारी की गर्इ पॉलिसियों के संबंध में प्राप्त कोर्इ राशि, जब किसी भी वित्तीय वर्ष में ऐसी पॉलिसी के प्रीमियम पर किया गया भुगतान वास्तविक बीमित पूंजी के 20% (1 अप्रैल 2012 को या उसके बाद ली गर्इ पॉलिसी के संबंध में 10%) से अधिक है।
(4) जिसमें प्रीमियम की राशि वास्तविक पूंजीगत बीमाकृत राशि के 15% से अधिक होता है के संबंध में निर्दिष्ट व्यक्ति (1 अप्रैल 2013 को अथवा पश्चात् जारी) के जीवन बीमा के लिए प्राप्त कोर्इ राशि
कोर्इ व्यक्ति जो-
(i) धारा 80प के अंतर्गत निर्दिष्ट गंभीर विकलांग अथवा विकलांग व्यक्ति
(ii) धारा घ घ ख के अंतर्गत बनाए गए नियम में निर्दिष्टानुसार बीमारी अथवा रोग से ग्रसित
(8)
स्रोत पर कर कटौती क्या है?
करों के त्वरित और कुशल संग्रह के लिए, आयकर कानून ने आय के सृजन के बिंदु पर कर की कटौती की एक प्रणाली शामिल की है। इस प्रणाली को "स्रोत पर कर कटौती" कहा जाता है जिसे आमतौर पर टीडीएस के रूप में जाना जाता है। इस प्रणाली के तहत कर की कटौती, आय सृजन के मूल पर की जाती है। कर की कटौती भुगतानकर्ता द्वारा की जाती है और आदाता की ओर से भुगतानकर्ता द्वारा सरकार को प्रेषित की जाती है।
उदाहरण
मि. राजा ने एक्सवायीजेड बैंक में एक सावधि जमा किया है। जमा पर सालाना ब्याज 8,40,000 रुपये है। क्या बैंक मि. राजा को भुगतान किए जाने वाले ब्याज से किसी कर कटौती के लिए उत्तरदायी होगें?
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सावधि जमा पर ब्याज को टीडीएस प्रणाली के तहत शामिल किया जाता है और इसलिए, बैंक को ब्याज से कर कटौती करनी होगी और मि. राजा को निवल ब्याज का भुगतान करना होगा।
ब्याज पर टीडीएस की दर 10% है और इसलिए, बैंक ब्याज से 84,000 रुपए के कर की कटौती करेगा, और मि. राजा को 7,56,000 रुपये (अर्थात, 8,40,000 रुपये - 84,000 रुपये) के निवल ब्याज का भुगतान करेगा।
84,000 रुपये के टीडीएस का भुगतान सरकार को बैंक द्वारा किया जाएगा और 84,000 रुपये को मि. राजा का पूर्वदत्त कर माना जाएगा और अपनी आय विवरणी दाखिल करते समय वह अग्रिम कर के रूप में 84,000 रुपये की कर क्रेडिट का दावा कर सकते हैं।
आय सृजन के बिंदु पर कर की कटौती की उपरोक्त प्रणाली को टीडीएस प्रणाली कहा जाता है।
(9)
पैन (पैन) का अर्थ है परमानेंट एकाउंट नंबर (स्थायी खाता संख्या) और टैन (टैन) का अर्थ है टैक्स डिडक्शन एकाउंट नंबर (कर कटौती खाता संख्या)। टैन उस व्यक्ति को प्राप्त करना होता है जो कर-कटौती के लिए जिम्मेदार हो, यानी, कटौती-कर्ता। टीडीएस से सम्बंधित सारे दस्तावेजों में और आय-कर विभाग से टीडीएस से सम्बंधित सारे पत्राचार में, उसे अपना टैन उल्लेखित करना होता है।
टैन के लिए पैन का इस्तेमाल नहीं किया जा सकता, अत:, कटौतीकर्ता को टैन प्राप्त करना ही पड़ता है, अगर उसके पास पैन है तब भी।
हालांकि, भूमि और भवन ( धारा 194झक के अनुसार) की खरीदी पर, जैसा कि पिछले प्राय: पूछे जाने वाले प्रश्नों में उल्लेख हुआ था, कटौतीकर्ता के लिए टैन प्राप्त करना जरूरी नहीं और वह टीडीएस भरने के लिए पैन का इस्तेमाल कर सकता है।
(10)आयकर रिटर्न भरते समय रखी जाने वाली सावधानियों/कदम/अंक की सूची निम्न प्रकार से है:
♦ आयकर भरने का सबसे पहला और जरुरी एहतियात तो ये है कि उसे निश्चित तारीख से पहले भरा जाए। करदाता को देरी से रिटर्न भरने के अभ्यास को समाप्त करना होगा। देरी से रिटर्न भरने के निम्न परिणाम हो सकते है।
♦ नुकसान (घर की संपत्ति के अलावा अन्य )को आगे नहीं लाया जा सकता।
♦ धारा 234 क के तहत ब्याज की लेवी
♦ धारा 271 च के तहत 5000/- रुपये का जुर्माना लगाया जा सकता है।
♦ धारा 10 क, 10 ख, 80-झक, 80- झकख, 80- झख, 80 झग, 80-झघ तथा 80 झड़ के तहत मिलने वाली छूट/कटौती का लाभ नहीं मिलेगा।
♦ धारा 139(5) के तहत देरी से भरी गर्इ विवरणी को संशोधित नहीं किया जा सकता।
♦ कर दाता को फार्म 26 कघ डाउनलोड करना चाहिए तथा वास्तविक टीडीएस/टीसीएस/ कर भुगतान की पुष्टि कर लेनी चाहिए।
♦ किसी भी प्रकार का अंतर होने पर उसे सही करने के लिए कदम उठाए जाने चाहिए। बैंक स्टेटमेंट /पासबुक, ब्याज प्रमाण पत्र, निवेश सबूत जिनके लिए कटौती का दावा किया जा रहा है , बही खाते तथा बैलेंस शीट तथा पी/एल ए/सी (यदि लागू हो तो) आदि को एकिकृत कर उनकी बहुत सावधानी से जांच कर लेनी चाहिए। आयकर विवरणी के साथ कोर्इ भी दस्तावेज नहीं लगाया जाना चाहिए।
♦ करदाता को उस पर लागू होने वाले सही विवरणी फार्म की पहचान कर लेनी चाहिए।
♦ विवरणी फार्म में सभी जानकारियां बहुत सावधानी के साथ भरनी चाहिए।
♦ कुल आय ,कटौती (यदि हो तो),ब्याज (यदि हो तो), कर देयता/वापसी आदि की गणना की पुष्टि कर लेनी चाहिए।
♦ यदि विवरणी के अनुसार को कर देयता बनती है तो आयकर विवरणी भरने से पूर्व उसे भरना चाहिए, अन्यथा विवरणी को दोषपूर्ण विवरणी के रुप में माना जाएगा।
♦ सुनिश्चित कर लें कि अन्य सभी विवरण जैसे पैन, पता, र्इ मेल पता, बैंक खाते की जानकारी आदि सही हो।
♦ आयकर विवरणी में सभी जानकारियां भरने के बाद तथा सभी विवरण की पुष्टि के बाद, व्यक्ति आयकर विवरणी भरने की कार्रवार्इ कर सकता है।
♦ यदि इलेक्ट्रानिक रुप से भरी गर्इ विवरणी में डिजीटल हस्ताक्षर नहीं है तो विवरणी भरने की रसीद को आयकर सीपीस बैंगलोर (जैसा पहले बताया जा चुका है) पर पोस्ट करना ना भूलें।
र्इ फाइलिंग पर जानकारी के लिए www.incometaxindiaefiling.gov.in पर लॉगइन करें।
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