क्या संविदा शाला शिक्षक पर महंगाई का प्रभाव नहीं पड़ता है?
माननीय मुख्यमंत्री जी ने अध्यापक संवर्ग को 6ठा वेतन देने की घोषणा कर दरियादिली का परिचय दिया
किंतु संविदा शाला शिक्षकों की एकमात्र मांग परिवीक्षा अवधि कम करने की नहीं मानकर यह संदेश दिया कि उनके हृदय में संविदा शाला शिक्षकों के लिए करूणा नहीं है।
माना संविदा अवधि में तीन वर्षों तक समेकित मानदेय निर्धारित है।
किंतु जब संविदा अनुबंध किया गया था तब और अब की परिस्थिति में बहुत अंतर आ गया है।
गत दो वर्षों में महंगाई बहुत तेजी से बड़ी है।
आज जो संविदा शाला शिक्षक का जो मानदेय है उसमें परिवार का पालन पोषण करना तो दूर की बात है, करने का सोचा भी नहीं जा सकता है।
आज संविदा शाला शिक्षक की परिवीक्षा अवधि कम करना व मानदेय बड़ाना समय की मांग है और पूर्णतः न्यायोचित है।
म. प्र. के मुखिया होने के नाते मुख्यमंत्रीजी का यह परम कर्तव्य है कि वे प्रदेश के किसी कर्मचारी का शोषण नहीं होने दें और प्रत्येक कर्मचारी को कार्य का उचित वेतन सुनिश्चित करें जिससे वे अपना व परिवार का पालन पोषण कर सकें। वर्तमान में नियुक्त संविदा शाला शिक्षक निर्धारित योग्यता (बी. एड./डी. एड.) को पूर्ण करते हैं फिर भी तीन वर्षों के लिए संविदा का बंधन कहाँ तक उचित है?
क्या मुख्यमंत्रीजी द्वारा इस और ध्यान नहीं देना यह नहीं दर्शाता है कि या तो उन्हें संविदा शाला शिक्षक की कोई चिंता नहीं है या उनकी नज़र में संविदा शाला शिक्षक पर महंगाई का कोई प्रभाव नहीं पड़ता है।
-मनीष सराफ
एक आम संविदा शाला शिक्षक
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