🌹सादर वंदन🌹
साथियों आज सरकार की कुटिल कूटनीतिक चालो से प्रदेश के आम अध्यापक को मानसिक वेदना की प्रताड़ना से गुजरना पड़ रहा है।एक तरफ आयुक्त महोदय का संतान पालन में तुगलकी फरमान वही दूसरी तरफ छटे वेतन की विसंगति और एम शिक्षा में आज प्रदेश के हर आम अध्यापक को मानसिक पीड़ा के समुन्द्र में फेंक दिया है।एक तरफ आयुक्त महोदय केवल शिक्षक संवर्ग को ही अवकाश पालन पात्रता है।वही दूसरी तरफ शिक्षा गुणवत्ता के नाम पर एम शिक्षा मित्र जो कि आदेशानुसार शिक्षक संवर्ग में होना लिखा है।फिर अध्यापकों को एम शिक्षा मित्र का नियम कैसे ...???
ये दोयम दर्जे की नीतियों से प्रदेश के अध्यापकों में काफी निराशा व्याप्त है।एक समय चाणक्यरुपी अध्यापक सत्ता को पलट देता है।वही दूसरी तरफ कलयुगी अध्यापक सत्ता की गोद में बैठने के लिये लालायित हो रहे है।धिक्कार धिक्कार धिक्कार...
अध्यापकहितेसी बनने बाले संघ अब आंदोलन का बिगुल बजाने को तैयार क्यों नही..??? क्या उन्हे अध्यापकहित दिखाई नही दे रहा है...??साथियो प्रदेश के अध्यापको को संयुक्त मोर्चा के बैनरतले आंदोलन का बिगुल बजा देना चाहिये।और जो भी संघ संयुक्त मोर्चा में आने कै पक्ष में नही होता है ।उस संघ को बहिष्कृत कर देना चाहिये।अब समय आ गया है चाणक्य के इतिहास को दोहराने का ।अपना सम्मान पाने का। वेतन कटे तो कट जाये ।लाठियां खानी पडे तो खायेगे बस एक बार की हानि जीवनभर का लाभ के दृष्टिकोण को देखते हुये जंग ए मैदान में कूदो।अब दूसरा कोई विकल्प नही।ऐसी त्राहि त्राहि मचा दौ कि जीवन में फिर से अफसरशाही अपने खिलाफ तुगलकी नीतियां बनाने का दुस्साहस करने की सोच भी न सके । पर पता नही आज कुछ संघ क्यो शांत...??? समझ से परे।आज शासन की दमनकारी नीतियो को कुचलने की आवश्यकता है कोई रथ में व्यस्त कोई स्वागत में मस्त।अध्यापक त्रस्त। आज फोकटिया बयानबाजी की आवश्यकता नही सीधा करो या मरो की नीति अपनाओ।आज कुछ रथ में चलने लगैहै कुछ स्वागत सम्मान करने में लगे।मूल अधिकार को छोड़ फालतू कै लफड़े में पड़े है ।अध्यापक बेचारे बीच मझदार मे खडे़ है।वाह संघो के क्या कहने संघो की राजनीति समझ में नही आता फिर संघ बनते ही क्यों..???क्या कारण???अपनी निजी स्वार्थ के लियै???अरे भाईयो अब तो समझ जाओ और ऐक हो जाऔ अपने लिये नही तौ एक बार मासूम पीडि़त शोषित अध्यापक के लिये मैदान में खडे हो जाऔ।आओ उठ खडें हो।प्रदेश का अध्यापक आपको पुकार रहा है।कह रहा है।कि मेरी पीड़ा दुर करो।संघीय राजनीति को छोड़कर आओ हम आप सभी आंदोलन का संयुक्त मोर्चा के नाम से बिगुल बजाते है।
"बीज की फिर शक्ति रुकती कहां..??
भाव की अभिव्यक्ति रुकती कहां..??
चाणक्य के सामने सत्ता टिकती कहां??
🌹कौशल क्रांतिकारी चम्बल🌹
9691171268
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