आयुक्त महोदय का तुगलकी फरमान
सभी बुद्धिजीवियों को सादर नमस्कार
मध्यप्रदेश शासन के मुखिया माननीय मुख्यमंत्री महोदय द्वारा विगत 24 दिसंबर 2015 को मध्य प्रदेश के समस्त अध्यापक संवर्ग को शिक्षकों के समान छठे वेतन दिए जाने की घोषणा को डेड माह उपरांत भी आदेश जारी नहीं हो ना अपने आप में कही न कही माननीय मुख्यमंत्री महोदय जी एवं हमारे आईएएस अधिकारियों की मनसा को प्रदर्शित करता है
इस समय चल रहे सीसीएल चाइल्ड केयर लीव पर माननीय आयुक्त महोदय शिक्षा जी के द्वारा की गई प्रेस कॉन्फ्रेंस एक तुगलकी फरमान के रुप में सामने आई है जिसमें यह स्पष्ट किया गया है कि महिला अध्यापिकाओं के लिए संतान पालन अवकाश की पात्रता नहीं होगी इस विषय में मैं यही कहना चाहूंगा की
"जो शासन मातृत्व शक्ति एक मां के रूप में एक मां को अलग अलग भागों में विभाजित कर सकती है वह शासन कुछ भी कर सकती हैं"
इस समय मेरे मन में कुछ प्रश्न चल रहे हैं उनमें प्रमुख प्रश्न यह है कि
1.चूंकि हमारे cm महोदय प्रदेश की समस्त महिलाओ को बहिन व् बेटी मानते है उनके बच्चों को भांजा व् भांजी तो वो अपनी अध्यापिका बहिनो के साथ ये अन्याय कैसे होने दे सकते है।
2.क्या महिला अध्यापिका एक मॉ नहीं होती ।
3.क्या महिला अध्यापिका के बच्चे मानव के बच्चे नहीं होते।
4. क्या महिला अध्यापकों को बच्चों की देखभाल नहीं करनी पड़ती।
5.क्या महिला अध्यापक के बच्चे बिना पालन पोषण के ही बड़े हो जाते हैं।
जहां तक मैं समझता हूं उसके पीछे सीधा सा उद्देश्य आम अध्यापकों का ध्यान अपने मूल लक्ष्य से जोकि छठवें वेतनमान के विसंगति रहित आदेश शीघ्र पारित होना है से भटकाकर आदेस को लेट लतीफ़ करना है साथियों शासन की इस मन्सा को समझते हुए मातृशक्ति के साथ एकजुट होकर खड़ा होना ही है साथ ही अपने मूल लक्ष्य को भी ध्यान में रखना है ताकि शासन या शासन के अधिकारी अपने उद्देश्य में सफल न हो पाये।
हम सबने अब यह ठाना है
लड़ते लड़ते ही मर जाना है।
शोषण अब और सहा जाता नही।
कर्तव्य पथ से विमुख हुआ जाता नही।
या देवी सर्वभूतेषु मातृरुपेण संस्थिता ॥ नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः ।
आपका अपना अध्यापक साथी
नरेंद्र शर्मा मुरैना चंबल
9098011017
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