एक देश एक पाठ्यक्रम
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कहने को यह बहुत छोटा सा समाचार है ।लेकिन ईतना छोटा भी नहीं है । राज्य शासन की किताबो में इस प्रकार की त्रुटियाँ आम हैं। तथ्यों से जिनका कोई सम्बन्ध नहीं है । यही नहीं हम "हार की जीत","पंचपरमेश्वर","ईदगाह "या "सतपुड़ा के घने जंगल" ,"पुष्प की अभिलाषा","आ रही रवि की सवारी "जैसा कुछ अपनी आने वाली नस्लो को दे भी नहीं पा रहे हैं ।
असलियत यह है की पुरे देश में कई प्रकार के पाठ्यक्रम चल रहे है ,सीबीएसई के अलग है ,तो पब्लिक स्कुल के अलग ,इसमे भी हिंदी माध्यम और अंग्रेजी माध्यम में अलग अलग पाठ्यक्रम ,इसी प्रकार हर राज्य का अलग पाठ्यक्रम है।
देश में सबसे प्रमाणिक किताबें और पाठ्य क्रम ncert का माना जाता है । जो राज्य के विद्यालयो में नहीं चलता है ।इस प्रकार पाठ्य में भी भेदभाव किया जा रहा है ।
आप सभी जानते हैं ,शिक्षा का सीधा सम्बन्ध श्रम से है, लेकिन कक्षा 8 वि तक किसी भी परीक्षा में अनुत्तीर्ण नहीं किया जा सकता इस प्रकार परीक्षा का महत्व ही समाप्त कर दिया गया है ।अब तो कक्षा 10 वि की बोर्ड भी ऐच्छिक की जा चुकी है (सीबीएसई) में ।
वंही दूसरी तरफ भृत्य की भर्ती में भी प्रतियोगिता परीक्षा ।
आप सभी विचार कीजिये परीक्षा से दूर हो चूका बच्चा प्रतियोगिता परीक्षा का सामना किस प्रकार करेगा ।
असलियत में शिक्षा क्रान्ति यात्रा का उद्देश्य भी यही है की "राष्ट्रपति हो या मजदुर की सन्तान सबको शिक्षा एक समान ", हम पुरे देश में समान स्तरिय व् गुणवत्ता पूर्ण पाठ्यक्रम की मांग भी कर रहे हैं ।साथ ही परीक्षा प्राणाली की बहाली भी की जाये। गुणवत्ता पूर्ण और समान शिक्षा हर भारतीय अधिकार है जय हिन्द।
आप का साथी
सुरेश यादव
कार्यकारी जिलाध्यक्ष
राज्य अध्यापक संघ मध्य प्रदेश
जिला रतलाम
9926809650
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