जहाँ भी हो ,जल्दी आओ
छ्टे वेतन
तुझे क्या हो गया रे
कहाँ जा कर
खो गया रे
आने से पहले
चर्चा हो गया
आमदनी से ज्यादा
खर्चा हो गया
मिठाई बांटी
फोड़े पटाखे
पड़ने लगे है
अब तो फांके
खस्ता हो गई
हालत माली
उम्र दे रही
हमको गाली
कहाँ भला
अटक गया रे
राह चलते
भटक गया रे
विसंगति पर
लट्टू हो गया
चलता चलता
निखट्टू हो गया
काहे मुख
मोड़ रहा है
स्वप्न सजीले
तोड़ रहा है
खुशियाँ सारी
चढ़ी जनाजे
तेरे पीछे
गाजे बाजे
घाव ह्रदय में
लगे है गहरे
उतरे उतरे
सबके चेहरे
मास्टर मुख पर
दाड़ी बढ़ गई
मुस्कान मैडम की
फीकी पड़ गई
हवा हो गए
लटके झटके
घूमते हम तो
भटके भटके
कब आओगे
नहीं अंदेशा
कोई न देता
शुभ संदेशा
निष्ठुर ह्रदय
न तड़पाओ
जहाँ भी हो
जल्दी आओ।
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