आयुक्त लोक शिक्षण संचलनालय ने 20 जनवरी को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग में प्रदेश के सभी deo को निर्देश दिये है की ,की संतान पालन अवकाश का लाभ प्रदेश की महिला अध्यापको को नहीं मिलेगा ,यह प्रदेश की महिला शासकीय कर्मचारियो को प्राप्त होगा । सोश्यल मिडिया से जानकारी भी सामने आई की धार,शिवपुरी और विदिशा के deo में तत्काल आदेश निकाल कर ,अध्यापक संवर्ग को लाभ देने से मना कर दिया,और जो महिला अध्यापक आवकाश लाभ ले रही हैं उन्हें वापस बुला लिया ।
साथीयो मुझे लगता है कमिश्नर साहब नियम कायदों को समझते ही नहीं है ,या जनभुझ का उनका उल्लंघन कर रहे है ।तभी उनके द्वारा अध्यापको की वेतन की फ़ाइल में विसंगति डाली गयी ।क्योकि वे मुख्य मंत्री की मंशा और नियम नहीं समझ पाये ।
साथियो राज्य शासन 2008 में अध्यापक भर्ती एवं सेवा शर्ते नियम में ,अध्यापक संवर्ग को प्रदेश के शिक्षक संवर्ग के समान सभी अवकाश की पात्रता का नियम बना चूका है ।
साथियों जैसा की आप सभी जानते है नियम शासन द्वारा राज्य पाल के नाम से जारी किये जाते है । उसका पालन करना और करवाना सभी विभाग्ध्यक्षो (आयुक्त /संचालक)का कार्य होता है ।
लेकिन विभागाध्यक्ष (आयुक्त) स्वयं ही नियमो का उलन्घन करे तो क्या किया जा सकता है ।
साथियो आप को एक सामान्य जानकारी बताता हूँ किसी भी आईएस को आयुक्त बनने में 13 वर्ष और राज्य प्रसाशनिक सेवा से आये अफसर को 25 वर्ष लगते है । फिर भी इतनी लापरवाही की एक आयुक्त आपने मातहतों को गलत निर्देश दे,और शासन के नियमो का उल्लंघन करे ,यदि यही गलती हमारा कोई अध्यापक साथी कर देता तो ,निश्चित ही उन पर सजा की कार्यवाही प्रारम्भ हो गयी होती। लेकिन आयुक्त महोदय पर क्या ,कुछ कार्यवाही हो पायेगी ?
धन्यवाद
आप का
सुरेश यादव
कार्यकारी जिलाध्यक्ष
राज्य अध्यापक संघ
जिला रतलाम ।
9926809650
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