आदरणीय साथियों,
सादर वंदे
1995 में ग्रामपंचायत स्तर पर स्थानीय पढ़े लिखे बेरोजगार को शिक्षाकर्मी नाम से पंचायत स्तर से भर्ती किया गया।
उस समय मानदेय था
वर्ग 01 -1000
वर्ग 02- 700
वर्ग03- 500
पुर्णतः अस्थायी नियक्ति
वेतन- साल भर एक या दो बार ही मिल पाता था।
उस समय खिरकिया जिला हरदा से ही मेरे साथी खिरकिया निवासी श्री उमेश नामदेव सबसे पहले शिक्षाकर्मी संगठन के प्रांताध्यक्ष बने।
और शिक्षाकर्मियों ने अपनी आवाज बुलंद की।भोपाल की सड़कों पर आंदोलन प्रांरभ हुआ और सरकार से न्याय की मांग शुरू हुई।
आंदोलन से एक रास्ता निकाला और सरकार ने 1998 में अधिकतम 25 अंक देकर शिक्षाकर्मी की स्थायी नियुक्ति का रास्ता साफ किया।
यह संगठन की पहली सफलता थी।1998 से शिक्षाकर्मी का सफर चलता रहा। पाटीदार जी शिक्षाकर्मी संघ के प्रांताध्यक्ष बने आंदोलन चलते रहे।
एक बहुत ही अल्प वेतनमान से सिलसिला चला।
शिक्षकों के सामान अवकाश की पात्रता मिली।
शिक्षाकर्मी के खाते में यह दूसरी सफलता थी।
बस हम लड़ते गए कभी मंहगाई भत्ते के लिये तो कभी सुविधाओं के लिए।
सीढ़ी दर सीढ़ी हम हर आंदोलन से कुछ न कुछ प्राप्त करते है।
इसी बीच वैचारिक मतभेदों के चलते शिक्षाकर्मी संघ से टूटकर एक और संगठन म.प्र.शासकीय शिक्षाकर्मी संघ बना ।
दोनों संगठनों ने अलग अलग एवं संयुक्त मोर्चे के रूप में शिक्षाकर्मी की आवाज बुलंद की और अनुकम्पा,मेडिकल अवकाश की पात्रता,प्रसूति अवकाश,अर्जित अवकाश आदि सुविधाओं को पाया ।
इसी बीच सरकार ने एक और न्य खेल शुरू किया शिक्षाकर्मी भर्ती बंद कर संविदा शिक्षक भर्ती प्रारभ कर दी।
परन्तु लड़ाई बंद नहीं हुई लगातार लड़ाई चलती रही हमें कई बार जेलों में डाला गया।
लाठी चार्ज तो शिक्षाकर्मी की नियति बन गया था ।सैकड़ों बार भोपाल की सड़कों पर लाठियां खाई।
आंदोलन भोपाल की सड़कों से आगे बड़ा और प्रदेश का शिक्षाकर्मी हजारों की संख्या में दिल्ली के ऐतिहासिक रामलीला मैदान में अपनी आवाज बुलन्द करने पहुच गया।
जंतर मंतर पर कर्मचारी इतिहास का ऐतिहासिक आंदोलन चला ।
मुझे याद है वो दिन जब जंतर मंतर पर सड़क पर हमारी बहनों ने हरतालिका का पावन व्रत किया तो आसपास की कालोनी के दिल्ली निवासी भी बहनों के उस व्रत के भागीदार बने थे बड़ा ही मार्मिक और ऐतिहासिक क्षण था वो।
इधर भोपाल की सड़कों पर ब्रजेश शर्मा के नेतृत्व में आमरण अनशन एवं आंदोलन गति पर था।
ब्रजेश शर्मा जी के आत्मदाह की घोषणा और प्रयास से राज्य सरकार भी अचंभित थी। उधर दिल्ली का दबाव इधर संगठन का दबाव से सरकार ने कुछ हल निकाला एवं अध्यापक संवर्ग का गठन किया गया।
शिक्षाकर्मी के खाते में एक और सफलता आई।
अध्यापक संवर्ग के गठन के बाद भी हमारी लड़ाई चलती रही एक सफलता मिली तो दूसरी का प्रयास शुरू हो जाता था।लगातार लड़ाई प्रारभ रही।
प्रमोशन
स्थान्तरण
अंशदायी पेंशन
सामान मंहगाई भत्ता
संविदा शिक्षक का तीन साल बाद अध्यापक संवर्ग में संविलियन
आदि सुविधाएँ मिलती गई।
साथियों हर बार एक पायदान हम बड़े चलते रहे थके नहीं।
सामान कार्य सामान वेतन और शिक्षा विभाग में संविलियन ही शुरू से लक्ष्य रहा।
आंदोलन 2013 भी ऐतिहासिक था लक्ष्य था सामान कार्य सामान वेतन और शिक्षा विभाग में संविलियन प्ररन्तु सरकार कभी भी पूरी मांगें एक साथ मानने को तैयार नहीं होती चाहे आंदोलन 2013 हो। या आंदोलन 2015 शिक्षा विभाग में संविलियन एवं भोपाल से शिक्षक बनकर जाने के विश्वास को लेकर आंदोलन2015 का आगाज हुआ था साठीययों हमने सबने मिलकर आंदोलन किया परंतु मिला क्या यह हम सब जानते है।
इसी तर्ज पर सरकार ने 2013 के आंदोलन में भी सामान कार्य सामान वेतन। को किस्तों में देना स्वीकार किया ।
संयुक्त मोर्चे को सामान कार्य सामान वेतन किस्तों में स्वीकार करना पड़ा क्योकिं इसके। सिवा कोई विकल्प भी नहीं था।
और इस प्रकार एक नई अवधारणा ने जन्म लिया ।
2013 में शिक्षक के सामान वेतनमान की नीव डली।
ये सब कहानी इसलिए बताई जा रही है कि आरोप लगाना बहुत ही सरल होता है।
मैंकिसी पर आरोप नहीं लगा रहा हूँ ।परंतु फिर भी बताना चाहता हूँ कि अगर सरकार आंदोलन के दौरान हमारी सभी मांगें जस की तस मन लेती तो आंदोलन 2015 हमें शिक्षा विभाग दिला देता आज हम शिक्षक होते ।
परंतु सरकार ऐसा करती नहीं है।
2013 का आरोप ही गलत है क्योकि 2013 की डली नीव लिखी गई इभारत ने ही हमें 2015 की आंशिक सफलता दिलाई है।
सीढ़ी दर सीढ़ी हम आगे बड़े है। और बढ़ते रहेंगे।
साथियों
हमने जहाँ से लड़ना शुरू किया था और जहाँ तक पहुंचे है यह सफलता भी कम नहीं है।
अतः निराधार आरोप न लगाकर आगे राह पर बढ़ें।
तभी हमें पूर्ण सफलता मिलेगी।।
आओ सब साथ होकर अपनी आवाज बुलंद करें।
अशोक कुमार देवराले
प्रांतीय उपाध्यक्ष
म.प्र.शासकीय अध्यापक संगठन
सदस्य
अध्यापक संयुक्त मोर्चा म.प्र.
Sir mujhe bhi anukampa niyukti ki patrata nahi he meri mammi shiksha karmi verg3 m thi jinka nidhan 12/2/2007 me hua tha iske bad anukampa niyukti ke badle mujhe 1 lakh musht rashi ka letter issue kare ki anukampa ke badle 1 lakh rashi di jaygi par aaj 8,9 moahine beet gaye mujhe vo rashi ki patrata bhi nahi he bolte he adhyapak samverg ke logo ko hi patrata he sir ko upay bataye me bhot tantion me hu
ReplyDeleteMy contect number 8815292566
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