अब अध्यापक चाहेगा वो ही होगा निर्णय नेतागीरी होगी समाप्त
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आदरणीय अध्यापक साथियों
सादर वंदे
साथियों प्रदेश का अध्यापक किसी नेता के हाथ की कठपुतली नहीं है,।
किसी भी संघ या संगठन की ताकत है प्रदेश का आम अध्यापक परंतु वर्तमान में देखा जा रहा है कि उसकी राय कोई संघ नहीं ले रहा है कोई यह नहीं देख रहा है कि प्रदेश का अध्यापक क्या चाहता है।
जब नेताजी चाहेंगें तब आंदोलन होगा और जब नेता का मन नहीं हो आंदोलन नहीं होगा।साथियों यह अब नहीं है स्वीकार.....
जब प्रदेश का अध्यापक चाहेगा आंदोलन होगा और अध्यापक की इच्छा ही सर्वोपरि होगी।
साथियों हम किसी भी संगठन या संघ की कठपुतली नहीं है।
अगर प्रदेश का अध्यापक चाहता है की संयुक्त होकर लड़ाई प्रांरभ हो तो सबको संयुक्त होना ही पड़ेगा।
अब जो भी आंदोलन हो आम अध्यापक के लिए ही होना चाहिए किसी नेता के लिये नहीं।
निर्णय आपको करना है अध्यापक भाइयों से अपील है कि अपनी ताकत को पहचाने और अपनी आवाज इतनी बुलंद करे कि कोई भी आपकी इच्छा के विपरीत कदम भी न उठा सके।
आप एकता की बात पूरी ताकत से उठायें ।
आपकी आवाज सबको एक होने पर मजबूर कर देगी..........l
अशोक कुमार देवराले
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