सादर वंदन
साथियो,
कल लालोट की घटना को जिस प्रकार तूल दिया गया वह नितान्त गलत है।विवाद हर जगह हर संगठन में होते है।लेकिन दुख तब हुआ कि उस विवाद को किसी ने सुलझाने के बजाय लोग तूल देने और दुष्प्रचार मे लगै रहे जबकि ऐसा नही होना चाहिये।हो सकता है कि उनका निजी मामला हो।यदि ऐसी घटनाओ को तूल देने लगे तो स्वाभाविक है कि एकता विखण्डित होगी जिससे कभी भी अध्यापक हित नही हो सकता हमे तोड़ने की बजाय जोड़ने पर बल देना चाहिये चाहे मुद्दा किसी भी संघ संगठन का हो।हम बुध्दिजीवी समाज से संबधित है क्या हमे यह बात शोभा देती है कि हम किसी के विवाद को सुलझाने के बजाय उसका मजाक बनाकर हास्याप्रद करे।
सभी साथियो से निवेदन है कि इस बिषय पर चर्चा न करते हुये आगामी रणनीति तैयार करे जिससे हमें अपने अधिकार मिल सके।अभी तो हमारे सामने बहुत सी समस्याये है जैसे ए ई ओ की भर्ती सहायक अध्यापक विसंगति ।यदि समय रहते इन बिन्दुओ पर गंभीर चर्चा कर आगामी रणनीति तैयार नही की गई तो हम अपने साथियो से आँख भी नही मिला पायेगे।सभी बातो पर मिट्टी डालते हुये आगे बढे पुरानी बातो को खोदना बंद करे शायद तभी सार्थक परिणाम आ सकते है।वैसे सरकार ने तो हमे विघटन करने के लिये विसंगति का फारमूला तैयार कर हमे अपने चकरव्यूह मे फसा लिया है।लेकिन दुख तब होता है कि अभी भी पढा लिखा समाज इस कुटनीतिक चाल को नही समझ पा रहा है।मै क ई दिनो से देख रहा हू कि आये दिन हमारी बहस के कारण ग्रुपो मे से हमारे बहुत से साथी हमें छोड़कर जा रहे है।अब हमें एक दुसरे पर कटाक्ष न करते हुये अध्यापकहित पर रणनीति बनाये।यदि यही रवैया रहा तो प्रदेश का अध्यापक का अध्यापक हमे कभी भी माफ नही करेगा और ना ही कोई संघ संगठन भविष्य मे कोई आंदोलन खडा कर सकेगा।इसलिये सभी से निवेदन है कि एकता का परिचय देकर हम आपस मे प्रेम और आनंद के साथ आगामी रुपरेखा तैयार करे फिर देखो कितना आनंद और कितनी शक्ति मिलती है हमें।अरे भाईयो सबसे पहले तो हम अध्यापक है जब हम ही नही रहेगे तो संघ संगठन कहां से आयेगे पहले हमे एक होकर एकता कि मिशाल कायम करनी है।संघ तो आते जाते रहते है।कल फिर कोई नया संघ आयेगा लेकिन अध्यापक यही का यही रह जायेगा।यदि यही स्थिति रही तो।
कौशल क्रांतिकारी चम्बल
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