सादर वंदन
साथियो,
सितम्बर 2015 का आंदोलन संयुक्त मोर्चा का आंदोलन था जिसमें प्रदेश के हर अध्यापक का महत्तवपूर्ण योगदान था।लेकिन समझ मे ये नही आता कि इतने बड़े आंदोलन के बाद हमें क्या मिला.....??????
जिस 6पे वेतन का बार बार राग अलापा जा रहा है वह तो हमे 2013 में ही आई आर के रुप मे मिल गया था केवल इतना समझलो की जो एक किश्त हमें 2017 में मिलनी थी वह 2016 मे मिल गई ।वह भी ऐसा प्रतीत होता है कि विसंगतिपूर्ण।
क्या इतना बडा़ आंदोलन हमने केवल इसलिये ही किया था जिसके अभी विसंगतिरहित आदेश भी नही।और इसे देखकर ही लोगो में अंहकार आ गया मानो बहुत कुछ मिल गया हो।क्या सितम्बर 2015 का आंदोलन हमने इसी संतुष्टी के लिये किया था ।तो फिर क्यों अध्यापको को वो सुनहरे सपने दिखाये गये कि आंदोलन मुख्य दो प्रमुख मांगो के लिये होगा 6पे और संविलियन।क्यों कहा गया कि इतने से कम में मंजूर नही होगे।क्यो कहा गया एक तरफ प्रदेश के अध्यापक एक तरफ प्रदेश का सी एम होगा आमने सामने बैठकर वार्ता होगी।क्यों बीच मे से अध्यापको की मांगो को छोड़ दिया।क्यों संविलियन को दरकिनार कर दिया गया...????
साथियों क्या यह अध्यापको के साथ धोखा नही...,???छलावा नही.....???? कि उन्हें फसाकर वेतन कटवाकर बीच मे ही छोड़ दिया गया।क्यों नही उनके सपने साकार किये गये जो उनसे वायदे किये गये थे.."??
मैं कौशल क्रांतिकारी प्रदेश के प्रत्येक अध्यापको को सिर झुकाकर कोटि कोटि नमन करता हूं जिसने माननीय उच्च न्यायालय के आदेश जिसमे हड़ताल को वैधानिक बताया और 23 सितम्बर माननीय नरोत्तम मिश्रा जी जिन्होने हड़ताल समाप्त होने का बयान दिया इन सबके बयानो और न्यायालय के आदेश को साथ ही शासन प्रसासन की कडी़ पावंदी के बाबजूद समस्त बंदिशो को दरकिनार करते हुये कच्चे रास्तो मे कूदते हुये लालघाटी पर तिरंगा यात्रा निकालकर आंदोलन को सफल बनाया।अध्यापको ने अपना काम पूरे मनोयोग से करके अध्यापक नेताओ की छाती को चोड़ा कर दिया ।
क्या हमारे नेता अपने फर्ज अपने कर्तव्य पर खरे उतरे....????व
तो फिर आज ये अध्यापक नेताओ की बदलती बयान बाजी क्यों...?????
कभी आ डी हैंग.....???"? कभी परीक्षाओ का बहिष्कार.....??"??कभी परीक्षाओ की चिंता होना...???? कभी प्रदेश का कोई अध्यापक आंदोलन मे नही जायेगा...?????? कभी प्रदेश का अध्यापक आंदोलन से फिर से भोपाल को हिला देगा.....????? कभी विसंगति न दिखना .....????? कभी विसंगति दिखना.....????? कभी खुल जा सिम सिम आफर...???"?
क्या इनकभी सोचा है इन सब बातो से अध्यापकों के मानसिक स्तर पर क्या प्रभाव पडे़गा।तो फिर क्यों उन्हें बार बार भ्रमित करके छला जा रहा है।अरे भाईयो अध्यापक पहले से ही आर्थिक रुप से वेतन कटाकर अधमरा पड़ा है।ऊपर से उनके घावों में नमक भरना क्या यह सही है।यदि सही पूछो तो सबसे अधिक वेतन सीधे सच्चे अध्यापकों का ही कटा है।जिनका जमीर है।उनका ही कटा है।और आज भी उनका जमीर जिंदा है।
क्या आज हमैं इन सीधे सादे भोलेभाले मासूम अध्यापको पर तरस नही आता है।यदि आता है तो क्यों एकता की बातें नागवार गुजरती है......?????तो क्यों एकता की खिल्ली उड़ाई जाती है....???? तो फिर क्यों कुछ संघ एकता में बाधक बन रहे है....????? क्या उन्हें अध्यापकहितों की चिंता नही.....???? क्या प्रदेश के मुखिया से कोई संधि हो गई....???? तो फिर ऐसा कौनसा लाभ आडे़ आ गया जो हम सब मिलकर अपने हको की लड़ाई नही लड़ सकते।
तो क्यों कोई न कोई बहाना बनाया जाता है संयुक्त मोर्चा में आने के लिये..????? यदि आप सच्चे हितैशी है तो अध्यापको के हित के लिये पूर्व की बातो को क्यों नही भुलाया जाता ....???? या फिर ये समझा जाये कि आपका स्वाभिमान अध्यापकहितो से बड़ा है।
मैं प्रदेश के समस्त संघो से नमन करते हुये अपील करता हूं ।यदि आप वास्तविक अध्यापकहितेशी है तो 20 मार्च 2016 को भोपाल संयुक्त बैठक में अवश्य पधारकर अध्यापकहितों की लड़ाई के लिये आगामी योजना सभी मिलकर बनाये।शायद तभी सफलत मिल सकती है।
अध्यापक एकता जिंदाबाद
संयुक्त मोर्चा जिंदाबाद
कौशल क्रांतिकारी चम्बल
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