संयुक्त मोर्चा के बनाने पर रखे सभी संगठनो ने अपने विचार :-
सब लोग एकता व मोर्चा की बात कर रहे है व किसी एक संघ को निसाना बना रहे है
एकता होना व मोर्चा बनाना अच्छी बात है सब तैयार भी हो सकते है पर एक बहुत बड़ा प्रसन है की मोर्चा की कमान किसके हाथ में दोंगे
क्योकि मोर्चा का नेता भी होना जरूरी है उसके बगैर काम नहीं चलेगा इसलिए मोर्चा बनाना सरल है पर उसके नेता का नाम भी अभी से सभी को तैयार कर लेना चाहिए तभी सफलता मिलेगी और में तो सभी नेताओ में योग्य सुरेश यादव या भारत पटेल व दर्शन सिंह को ही मानता हु जिनके नाम पर सभी अध्यापक एक हो सकते है
और यदि ये नहीं होंगे तो कुछ नहीं होगा केवल मोर्चा ही बना रहेगा और कुछ नहीं होगा इसलिए सभी से निवेदन है की यदि एकता लानी है तो सर्वमान्य नेता होना भी जरूरी है और जेसी आप सभी पंचो की राय हो।
: अरुण दुबे सागर
माननीय दर्शन जी योग्य कर्मठ एवं जुझारू व्यत्ति है।मैने नरसिहपुर की सभा मे आपको सुना है।मै उनकी बातो व तौर तरीको से बहुत प्रभावित हूं।आप ही हमारे योग्य नेता होंगे मेरा पूर्ण विश्वास है।
सुशोभित श्रीवास्तव
मात्र एक विकल्प आस का साथ जिन्होने अध्यापक को जो 2017मे मिलना था आधा अधूरा उसे पूरा करने का साहस हिम्मत करके अकेले आगे बढ़ते चले गये किसी ने रथ का मान किया तो किसी ने अनदेखा किया फिर भी कारवां चलता रहा औेर 2017को 2016 मे बदल कर एक इतिहास रचा तब विश्वा हुआ होगा अब हमे कर्ज चुकाना हैं भरत भाई का साथ पूरा निभायेगी जब तक दम मे दम अब न आयेंगे छलने और छलाँने में अध्यापक समझ गया कोन सही कौन गलत अपने आपसे ही पूँछ लीजिये भरत भाई ने क्या गुनाह किया की क्या धन कमाया क्या सौदा किया किसी का वह व्यक्ति बुरा होई नहीं सकता हैं जिस कार्य को हम 18वर्ष से लड़ लड़ कर भी 2017में पूरा करने जा रहे थे वह एक वर्ष में ही एक वर्ष पहले कर दिखाया हमे आस को और मौका दीजिए।
रणजीत सिंह आलोट
मित्रो हमे तो हमारी माँग हल करबा दे चाहे कोई बन जाये हमे कोई आपत्ति नही है अध्यापक तो आंदोलन का शंखनाद होते ही चाहे जिसके पीछे चलने लगेगा हमे कौनसा नेता बनना है या हमे नाम कमाना है हमे मतलब है संविलियन और सम्मानजनक वेतन और अन्य जरूरी सुबिधाओ मिल जाय चाहे आदरणीय ब्रजेश जी बन जाय चाहे भरत जी चाहे मनोहर जी या दर्शन जी मुश्ताक जी या फ़िर जाबेद जी अध्यापको को तो अपनी समस्या हल हो एसी कामना करते है
मित्रो अगर कुछ गलत लिख दिया हो तो माफ़ी चाहूँगा ।
मित्रो हमारे हिसाब से तो जिस अध्यापक का वेतन ज्यादा कटा हो उसको संयुक्त मोर्चा की कमान दे दो क्यों की उसने पूरे मनोयोग से साथ दिया है बो बेचारा सब अध्यापक परिवारो का भला होने मे अपने घर ग्रहस्थी की आर्थिक क्षति झेली और शेष हमारे मित्रो की जैसी राय
सुरेश पाठक
मुरेना चम्बल
दोस्तों संयुक्त मोर्चा की कमान देने की चर्चा गरम हे , अध्यापक हित मे यदि ऐसा होता है बहुत अच्छी बात है ।मैं सबसे पहले उन मित्रों को धन्यवाद देना चाहता हूँ जिन्होंने इसके लिए प्रयास किया ।साथियों मेरी यह निजी राय हे संयुक्त मोर्चा की कमान किसी मातृशक्ती (सिंहनी) को मिलना चाहिये क्योंकि 1996 से आज तक इन्हें नेत्रत्व करने का मोका नही मिला ।संयुक्त मोर्चा प्रमुख के प्रोग्रामर एवं देख रेख के लिए एक कोर कमेटी बनाई जाये जिसमे सभी संगठनो के प्रांतीय पदाधिकारी हो एवं प्रतिनिधि के लिए जिले से एक पदाधिकारी को सामिल किया जाए ।
लखन अग्रवाल अध्यापक कांग्रेस
संयुक्त मोर्चा सिर्फ नाम के लिए बनते है हम 18-20 वर्षों से देख रहे है ।गुना जिले मे अध्यापक संवर्ग का इस वार संयुक्त मोर्चा नही बनाया गया वार-वार कहने पर भी कुछ संगठनो के पदाधिकारियों ने संयुक्त मोर्चा नही बनाया ।बल्कि अध्यापको को आन्दोलन के समय स्कूल जाने के लिए कहा गया ।भोपाल जाने के लिए मना किया ।कि पुलिस आप को पकड़ कर जेल मे डाल देगी ।लेकिन अध्यापक भाई /बहिनो ने किसी की नही मानी ।जय आस जय आजाद
कैशव त्यागी
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