सादर वंदन
साथियों,
असली मर्द वो है जो सभी को साथ लेकर चले ,नारी शक्ति का सम्मान करें,परिवार का सम्मान करे,अंहकार से परे हो वही आज का सच्चा मर्द है।
रही बात एकमेव नेत्तव की जो हम पूर्व में सितम्बर 2015 मे दे चुके क्या हुआ संविलियन मुख्य मांग थी फिर क्यू नही करा पाये।निकल ग ई सब मर्दानगी ।अपनी जबान पर पायेबंद न रहना ,बदलती बयानबाजी करना,शेरो शायरी करना,सत्ता की गोद मे बैठकर स्वागत सत्कार करना,अभी छटे वेतन की तो दूर कटा वेतन न मिलना ,स्थानांतरण नीति का न होना जबकि जनवरी माह मे कहा गया कि दो माह मे स्थानांतरण नीति हो जायेगी।आज दिनांक तक न हुई, मूल मुद्दो को भूलकर खुल जा सिम सिम ।क्या यही है असली मर्दो की टोली ,क्या यही है असली मर्दो की बात।अध्यापको को भ्रमित मत करो भाईयो ।ये कैसे मर्द है कि अध्यापको को दर्द दे रहे है।यदि संयुक्त में न आ सको तो कम से कम एकता मे तो बाधक मत बनो।अन्यो को नामर्द समझना स्वयं को मर्द कहना सच्चे मर्दो की पहचान नही।हुक्मरानों के पीछे दुम हिलाना शूरों का काम नही।क्या ऐसी चाटुकारिता मर्द की निशानी होती है।क्यों सितम्बर 15 में कहा गया था कि संविलियन से कम कुछ नही।तब कहां गई थी मर्दानगी।असल मर्द है तो 20 को संयुक्त बैठक मे आकर सबके साथ मिलकर आगामी रणनीति बनाओ।तभी सच्चा अध्यापकहित माना जायेगा।
"बदल डालो फूट डाले जो अध्यापकों में,
तोड़ डालो जो फूट डाले हमारे बीच में,
सुला दो उनको नींद गहरी,
अब आम अध्यापक अपना स्वयं प्रहरी,
अब न कोई ऊंच न कोई नीच होगा,
अब फैसला जो सबके बीच होगा,
अब भस्म होगी ये कुरीतीयां,
भस्म होगी हीनता की महामारी,
अब सब एक साथ लड़ेगे,खुशी होगी बहुत भारी"
अध्यापक एकता जिंदाबाद
संयुकत मोर्चा जिंदाबाद
कौशल क्रांतिकारी चम्बल
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