एक दुखी अध्यापक की चिट्ठी
साथियो एक संघ अपने उज्जैन जिले में यात्रा लेकर आया है शासकीय विद्यालयो का निजीकरण के विरुद्ध, लेकिन एक बात समज से परे है शासन द्वारा अभी तक तो किसी भी विद्यालय का निजीकरण करने का कोई आदेश जारी नहीं किया है साथ है विभागीय मंत्रीजी ने भी साफ कह दिया है कि किसी भी विद्यालय का निजीकरण नहीं किया जावेगा। अगर इनके पास कोई आदेश हो तो बताओ आम अध्यापक को दिखाओ, अगर नहीं है तो फिर इस यात्रा का क्या औचित्य ??????
इस यात्रा के नाम पर अब ये बुजुर्ग संघ के अध्यापक नेताओ जिनकी जेबें खाली हो चुकी है क्योकि इतने बड़े सफल आंदोलन (आस के)में इनकी दाल नहीं गली।
अब ये यात्रा के नाम पर आम अध्यापक से उनकी मेहनत ईमानदारी की कमाई से चंदा एकत्र करने का कार्य करेगे उसके बाद सभी अध्यापक जानते है चंदे का क्या करेंगे ऐसे लोगो से सावधान !
साथियो ये उसी संघ के नेता है जिन्होंने अपने उज्जैन जिले में ir के तीसरी क़िस्त के आदेश को बदलवाया था जिसके कारण जिले में जहा ir की तीसरी क़िस्त मिल रही थी वो भी इनकी मेहरबानी से बंद हो गई थी मेरी भी बंद हुई थी। इन्होंने आम अध्यापक के पेट पर लात मारी थी ये आम अध्यापक को भूलना नहीं चाहिए। साथियो जागो इनकी असलियत को पहचानो। इनका मुख्य काम ही ये है इनकी सोच गन्दी है। सोच समज कर अपना भला बुरा देख कर ही किसी संघ को समर्थन दे।
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एक दुखी अध्यापक
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