प्रिय साथीयो सादर नमस्कार
एक मन की पीड़ा हे जिसे में आप लोगो में व्यक्त करना चाहता हु । बैसक मेरे विचारो से कई मित्र शायद पूर्ण रूप से सहमत नही होंगे ।हम ने और कई शिक्षक संग़ठनो ने सेकड़ो लड़ाई अपने अधिकारो के लिए लड़ी हे औऱसफल भी रहे है । अभी कुछ माह पूर्व हम अध्यापक संविदा भी अपने अधिकारो के लिए लडाई लड़ी है । कई बार शासन ने हमारी मांगो को मना भी हे । परंतु क्या हम सभी ने पूरी निष्ठा ,लगन ,ईमानदारी से अपने साथियो को कर्तव्य ,दायित्वों का पालन करने के लिए कभी हमने आंदोलन किया ? क्या कारण हे की आज विद्यालय ओ में पढ़ाने वाले शिक्षक शिक्षिका ओ को हेय दृष्टि से देखा जाता हे?क्यों आज हम लोगो का सम्मान कम होता जा रहा हे?क्यों आज का निर्मित समाज हिंसा,असभ्य,अशिष्ट हो ता जा रहा हे?क्या संपूर्ण दोष समाज का ही हे ? इस विकृत समाज के निर्माण के लिये हमरा कोई दोष नही ?
'"कई चिराग भुझ् जाते है हमारी गलतियों से हर बार कसूर हवा का नहीं होता""
हम दुनिया के सर्वश्रेष्ठ कलाकार है जो एक पत्थर को भी तराश कर भगवान् बनाकर मंदिर बैठा कर पूज्यनीय बना सकते है । गुरु वशिस्ठ,शान्सदीपनि,द्रोणाचार्य,चाणक्य आदि सैकड़ो गुरुओ से इतिहास भरा है । परन्तु हम इस भ्रस्ट विकृत सरकारो व् समाज को सभ्य इमानदार , अपने उत्तम गुणों,संस्कारो से बनाने में अक्षम है । क्या हममें कोई कमी है ?हमारी बौद्धिक छमताओ पर हमे विश्वास नहीं ? क्या हम इस देश~प्रदेश में बौद्धिक क्रांति नहीं ला सकते ? विकृत सोचने वाले चन्द लोग आ ज देश में हिंसा,सांप्रदायिकता,फैलाने भ्र्स्टाचार फेलाने में सफल हो रहे है और हम क्या इसकी सुरक्षा केलिए वीर पुरुषो,वीरांगनाओ को नहीं बना सकते ?
आओ दोस्तों देश समाज के कल्याण के लिये सम्पूर्ण बौद्धिक बल का प्रयोग श्रे ष्ट नागरिक बनाने में लगाने के लिए अव्हांन करता हूँ। देश-प्रदेश के सत्ताधारी लोगो को अपने शिक्षक होंने का अहसास करा दे । एक शुसासन-सभ्य समाज में शिक्षक का महत्व क्या होता है।
इस बात का अहसास हम उन चन्द लोगो को बताए जो इस देश के सम्मान से खिलवाड़ कर रहे है। आदिकाल से कलयुग तक राष्ट्र निर्माण में गुरुओ की अति महत्वपूर्ण भूमिका रहती है ।
माना इस भौतिक युग में धन दौलत महत्वपूर्ण है ।
राष्ट्र हमारा है तो इसके प्रति हमारे दायित्व भी अनिवार्य है ।
मै केसर आप से निवेदन भी करता हूँ की अपने कर्तव्य स्थल पर पूरी निष्ठा, ईमानदारी ,सम्पूर्ण बौद्दिक बल ,समर्पण भाव सेअर्पित होकर इन बच्चों को श्रेष्ठ आत्मबल,देशप्रेम से श्री कृष्ण, राम ,गांधीजी, विवेकानंद, चन्द्रगुप्त ,अर्जुन , भगत सिंह,आजाद,बोस,सरदार पटेल,अम्बेडकर आदि जेसे महान राष्ट्रभक्त शिष्य जिन्होंने असत्य और अन्याय के खिलाफ खड़े होकर निरंकुश शासन के खिलाब खड़े होकर उनका नाश किया । ऎसे नागरिक बनाओ ताकि आपका नाम रोशन हो । अभी तक हमने अपने लिए ही लड़े हे अब थोडा अपने अधिकार के साथ दायित्व के लिए आंदोलन करे । हमारी कक्षा के जो जेसे भी हो उन्हें तन्मयता पढ़ाई । पुरे समय विधालयो में उपस्थित रहकर लोगो की हैय दृस्टि से बचिए। जो इस यज्ञ पुण्य में अपनी आहुति दे रहे है उन्हें नमन करता हूँ ।यदि आप तैयार हो तो सभी लाईक कर अपने साथी को पोस्ट करो । यदि आप असहमत है तो माफ़ कर देना । क्योकि एक कलाकार ही गीली मि ट्टी से देवता और राक्षस बना सकता है । आप किया बना रहे है सोचने का वक्त है ।आज के बच्चे कल के नागरिक है जो दिया है वही तो आज मिल रहा है । गलत लगे तो माफ़ करना भाईयो ।
कल्याण सिंह राजपूत देहरिया साहू ,जिला-देवास( म.प्र.)
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