सरकार भी उल्लू बनाने का कार्य करने का रिकॉर्ड बना रही है ।
"""कर्मी कल्चर""" समाप्त कर ने का दावा कर
"""अतिथि कल्चर """शुरू कर दिया है ।
10~10 साल से अतिथि पर ही शास. शालाओं का काम चल रहा है ।विडम्बना यह है कि जो भी भर्तियां हो रही है ।
वे उचित जगहों पर न हो कर , घर से बहुत दूर होती है ।
जबकि देखने में आता है कि जिन जगहों के लोग अपने घर से दूर संविदा शिक्षक या अध्यपक के पद पर सेवा दे रहे है, उनके गृह निवास के आस~ पास दर्जनों अतिथि शिक्षक सेवा दे रहे है ।
अब पुरे प्रदेश के अतिथियों की कार्यरत स्थान को रिक्त स्थान न बता कर शासन शोषण के कार्य के अतिरिक्त क्या कर रही है । अध्यापकों की स्थानातरण निति न लाकर वे क्या साबित कर रही है ।।
स्थानातरण नीति में क्या खर्च सरकार को आरहा है ये आज तक इसके सिवा समझ से परे है कि अध्यपकों को एक मुद्दा उनकी मांगों में जुड़ा रहे ।
यह शोषण कब खत्म होगा सभी देखते रहे।।वर्ना सरकार को बदल ने का मन बनाए ।
आप सभी राय दें ।
पर कोई भी सज्जन जो शासन के उच्च पद पर न हो वह शासन के ओर से सफाई देने का कष्ट न करे।
शासन के शोषण को उजागर करने में सभी अवश्य सहयता करें ।।
।।।।मक़सूद अहमद अंसारी ।।।
समाधान ग्रुप टीम
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