Ajit Pal Yadav जी की कलम से ⬇
1998 से निरन्तर आन्दोलनरत
2013 को एक पड़ाव ऐसा आया जिसमे मुख्यमंत्री जी ने साफ साफ कहा था जो दूँगा सबको दूँगा, हिसाब बना लो एकमुश्त दे दूँगा।
फिर अचानक ऐसी माथा पच्ची हुई कि वेतनमान छटवां देने के आदेश भी हुए।
पर ये क्या???
चार किश्ते वो भी अंतरिम राहत का नाम देकर। उसमे दो चीजे मुफ़्त मिली।
1 सहायक अध्यापक और वरिष्ठ अध्यापक की अंतरिम राहत विसंगति
2 तत्कालीन नेतृत्व को सत्ता में स्थान
उसके बाद प्रदेश में ऐसा लगा मानो अध्यापको की समस्या पर बात करने वाला कोई नही बचा।
अध्यापक कोर कमेटी के निर्देशन में आज़ाद अध्यापक संघ ने बीड़ा उठाया , उसके बाद अनमने ढंग से कुछ सयुक्त मोर्चा (ओल्ड) के घटक संघो ने मुख्यमंत्री से लेकर शिक्षा मंत्री, शिक्षा वित्त और dpi के अधिकारियो से सैकड़ो मुलाकाते की।
कुछ ने सूचना के अधिकार का भी प्रयोग किया।
ये ज्ञात करने कि ये विसंगति कहाँ, क्यों और कैसे है? किन्तु स्पष्ट कभी नही हुआ। सभी बोलते रहे कि सितम्बर 2017 से छटवां वेतनमान मिलेगा ।
अब सवाल आया कि 2017 से कैसा छटवां वेतनमान मिलेगा? इसका जवाब न तो शिक्षा विभाग ने कभी दिया और न ही अध्यापको के तत्कालीन नेतृत्व ने।
तब मुख्यमंत्री के गृह जिले की आस टीम ने बीड़ा उठाया कि आखिर गड़बड़ी कहाँ है पता करके रहेंगे। और इसके लिए कुछ साथियो ने भरत जी और सुरेंद्र भाई के साथ न्यायालय के माध्यम से इस विसंगति को दूर करने और वास्तविकता पता करने याचिका दायर की गई।
जो बात या विसंगति या गड़बड़ी सैकड़ो मुलाकातो से, सुचना के अधिकार के बावजूद कोई स्पष्ट नही कर सका, वो विसंगति शिक्षा विभाग से स्पष्टीकरण के रूप में निकलवा ही ली।
क्योकि यही वो विसंगति थी जो 2017 में हमारे सामने आती, जो आज स्पष्ट की गई है।
अब एक स्पष्ट बात यह कि विभाग का यह स्पष्टीकरण अंतिम एवम् सर्वमान्य तथा अपरिवर्तनीय है यह किसने कहा या ऐसा कौन समझ रहा है?
सिवाय 8 - 10 लोगो की एक चौकड़ी के।
विभाग तो 1.62 के मुद्दे पर भी ऐसा ही बोलता था। परिणाम क्या हुआ?
याचिका के सन्दर्भ में
6.1 क्या अध्यापक 1998 से 2007 तक की सेवाओ को भुला दे?
6.2 जनवरी 2016 से 6th वेतनमान दिए जाने का निर्णय लिया गया है तो क्या 6th वेतनमान का निर्धारित ग्रेड पे फॉर्मूला लागु नही करके सरकार अपने ही वित्त विभाग के नियमो की अवहेलना करेगी? कदापि नही
अब अंत में अंतिम लाइन "अभ्यावेदन को 11.12.2015 को अमान्य किया जाता है।"
जिसे हक की सच्ची लड़ाई और कुछ कर गुजरने की जिद से अगली दिनांक (उदा 15.04.16) को मान्य भी किया जा सकता है।
Arrear भुगतान में सरकार ना नुकुर जरूर कर सकती है जो गले की हड्डी बन गया है सरकार की, किन्तु ग्रेड पे में नही।
विरोध जरूर करे, किन्तु विसंगति का, विसंगति बनाने वाले अधिकारियो का, विसंगति पर मौन रहे नेतृत्व का न कि उसका जिसने विसंगति पर सबकी पोल खोल कर रख दी हो।
अब निर्णय आपका
विरोध आस का
या
???????
No comments:
Post a Comment