आर्थिक अदाएं परेशान करती है सरकार की सहायक अध्यापको से कुछ ज्यादा ही इश्क है इन्हें ..इतनी लंबी मोहब्बत कही नहीं देखि की स्तिथिया अवांछित हो जाएं प्यार करते करते। बहुत पुराना याराना है अधिकारीयों और सहायक अध्यापको का।नकारात्मक दौर से गुजरता रहा हमेशा कुछ मोहब्बत के दुश्मनो ने खरीद फरोख्त की है।"कल कोई और था आज कोई और है वो भी एक दौर था येभी एक दौर है"अब समीकरण बदलेंगे ये आसार ज़रूर है किन्तु फिर 2013 बोलकर पता नहीं क्यों कोसते है उन्हें जो असल मैं अपना चैन घर बार बच्चे रिश्ते नाते छोड़कर 20 सालो से ........पोस्ट कार्ड से लोगो को जोड़ जोड़ कर आज इस मुकाम पर है उन्होंने जो तकलीफ झेली उसे तो कभी सलाम दुआ में भी नहीं लाये......खैर वो क्या तकलीफ जानेगा जो whats up फेसबुक पर जिन्दा है शायद कोई पर्सनल भड़ास है क्योंकि मैच का मुजरिम तो विधायक बन बैठा और ईमानदार बाहर आज भी शिक्षक बनना चाहते है और इमानदारो को कौन कोसेगा आप को बताने की ज़रूरत नहीं मुझे...साथियों ये जो कोसने वाले है न इनकी मानसिकता सिर्फ भडास निकालना ही है एक बात बताओ किसी को कोसने और अध्यापक को अधिकार मिलने मैं क्या सम्बन्ध है।ओरतो की तरह बैठ कर whatsup मैं फेसबुक मैं मिलने बहस करने वालो से कितनी उम्मीद है आपको?..और संयुक्त मोर्चा बना कर अध्यापक हित मैं काम करने वाले सही नहीं?.. इतनी नफरत कही नहीं देखि इनका उद्देश्य ही नहीं समझ आज तक मैं.. आप समझे क्या??...क्या एकता को ""डर्टी शब्द"" बनाने वाले मोर्चा को कोसने वाले सही??ऐसा करने से क्या संविलियन होगा? या एकता के हमारे तुम्हारे या मोर्चा के प्रयाश से होगा? या उससे जिसने कोई विशंगति नहीं बोल कर आज धोखा दिया आम अध्यापको को।बावजूद इसके की ir मैं विशंगति है मालुम था.... फैसले किसी के सही हो तो मिटटी पर भी गर्व करे यू हिजड़ा कचरा गोबर बोल कर हम अपनी तहज़ीब और मर्यादाएं दिखाते है इसकी कीमत चुकानी हो गई तुम्हे अध्यापकों.!!!..अब कोई आजाद नही कन्हैया का ज़माना है ""मैं आजाद हु"" ये डॉयोलॉग अमिताभ बच्चन को ही सूट होता है यहाँ फर्जी राजनितिक तकियाकलाम है...कैसी लोकप्रियता है जो दुविधा पैदा करने का फैशला करती है हकीकत ये है की भूखे पेट आजादी नहीं आती।मेरे साथियों...और गरीब आजाद नहीं होता भाई वो तो भुखा होता है..अध्यापक से जितना प्यार सर्कार ने किया उससे कही ज्यादा हमारा आजाद समुदाय करने लगा है...विसंगति को दरकिनार कर क़े...मशिन के सारे पुर्ज़े चीख चीख कर कह रहे मेरी स्तिथि तो देखो कब तक घिसोगे??? पर दीवाने सख्शियत मानते नहीं और ये आत्मा चीरने वाली बात है आम अध्यापक की हा इज्जत सम्मान, वेतन ,वतन के भूखे अध्यापक की...
संयुक्त मोर्चा मैं सभी अध्यापक आएं और सपोर्ट करें अपने भविष्य के लिए..सोचिये समझिये..अगर मेरे विचार गलत हो तो बेशक कमेंट कर बोलिये...
आजाद अध्यापक संघ्
राज्य अध्यापक संघ्
दोनों फ़ैल हो चुके...अब सिर्फ संयुक्त मोर्चा से ही उम्मीद करो आप...
इनकी यात्रा का उद्देश्य आज परिणित एकता को "डर्टी शब्द"का सम्मान मिला..
चिंतनीय..
ऐसी रात की कभी सुबह नहीं !!
आपका साथी
मनोज उपवंशी
अध्यापक संयुक्त मोर्चा
मध्यप्रदेश
No comments:
Post a Comment