कौशल क्रांतिकारी चम्बल
सादर वंदन
साथियो,
आज कुछ लोगो के अंधभक्ति मे डूबकर सच्चाई को नकारने वाले नजारे देखे जा सकते है।जो अंधभक्ति में इतने डूबे है कि उन्हें सच और झूठ में अंतर समझ पाना मुश्किल लग रहा है।
बडा़ कष्ट होता है जब अंधभक्तो का आका विसंगतिरहित वेतनमान की बात करता है।और इनके भक्त भी मोनवृति मे रहकर अपने आका का विरोध करने की जगह गुणगान करने मे मस्त है।हम आज भी सत्य को परिभाषित करते हुये फिर कह रहे है कि आदेश विसंगतिरहित ही होगे क्यूंकि 1200 करोड़ रुपये मे कोई भी सरकार ६पे वेतनमान नही दे सकती।साथ ही स्थानातंरण जैसी अन्य मांगो का न होना ।क्या इन सब मांगो के लिये पुन:संघर्ष नही करना चाहिये...?????क्या इस संघर्ष के लिये संयुक्त मोर्चा जरुरी नही .....????तो फिर कुछ संघ मोर्चे से क्यो दूर भाग रहे है।क्या अध्यापकहित में मोर्चे मे आना गलत...????या फिर सरकार से कोई संधि तो नही.....??क्या अध्यापको को इस तरह आंदोलन में खड़ा करके बीच मे लटकाना सही है .....??"" जबकि अभी एक मांग भी सही तरीके से पूरी नही हुई।मांग की पूर्ति तो दूर कटा भी नही मिला।क्या यही असली मर्दानगी है।
यदि नही तो अध्यापको की मांग पूरी करवाओ ।चाहे मोर्चे मे रहकर चाहे मोर्चे से बाहर रहकर क्यूंकि आंदोलन के श्रेय का राग भी आप ही अलाप रहे हो।यदि आजाद ने आंदोलन सफल बनाया तो मांग बीच मे क्यूं लटकी ...??????
यदि मांग पूर्ति करवाना आपके वश में नही तो सभी बहाने छोड़के मोर्चे मे शामिल हो जाओ ।यही आपके लिये और अध्यापकहित मे बेहतर। बिना एक रहे मांग पुर्ति होना अंसभव है।यदि नही होना चाहते तो हमे बीच मे लटकाकर धोखा मत दो हमारे आदेश विसंगतिरहित करवाओ क्यूकि आपका आंदोलन संविलियन से कम कुछ भी नही के लिये था और हम सबने आपके विश्वास मे आकर पूर्ण सहयोग भी किया।अगर नही करवा सकते तो इसके जिम्मेदार आपको समझा जायेगा।
आस के अंहकारी नेताओ नेता बनकर कार्य मत करो अपितु सेवक के रुप में।ध्यान रखना नेता बनकर अध्यापको की सेवा नही की जा सकती।किंचित मात्र भी मासूम अध्यापको को अधिकार के झूठे सपने दिखलाने से उनमें ईर्ष्या का भाव उत्पन्न होता है।जिससे सब कुछ नष्ट हो जाता है।इसलिये दिखावा न करते हुयेअध्यापको के प्रति समर्पित होकर सेवा भाव से कार्य करों और जो सुनहरे सपने उन्हें दिखाये गये उनसे वादा किया था उन्हें पूर्ण करो।अन्यथा प्रदेश के अध्यापको की देह से हलके नीले रंग की तंरगे निकलेगी जिसकी अग्नि आपके सम्पूर्ण अंहकार को भस्म कर देगी।
यदि आप इन नीली तरंगो से बचना चाहते हो तो अध्यापकों के उन सपनो को पूर्ण करवाओ जो आपने दिखाये थे या फिर एक दूसरा विकल्प भी है।वो है संयुक्त मोर्चे मे अपने को विलय कर देना ।
शायद यही आपका अंतिम प्राश्चित हो।
संयुक्त मोर्चा जिंदाबाद
अध्यापक एकता जिंदाबाद
एक रहे.....नेक रहे
🙏कौशल क्रांतिकारी चम्बल🙏
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