🌹सादर वंदन🌹
साथियों बीते कुछ समय से एक कुसंस्कारित अंहकारी संघ के कुछ जिम्मेदार पदाधिकारियो द्वारा मासूम अध्यापको को झूठे सपने दिखाकर उनकी कुसंस्कारित अंहकारी भाषा ने समूचे अध्यापक जगत को कलकिंत कर दिया है ।इन राक्षसी प्रवृति के भस्मासुरी अध्यापको ने भाषा का नंगा नाच कर कायर,छक्का,हिजड़ो ,मर्दो की टोली जैसे शब्दो से सम्पूर्ण शिक्षक समाज को शर्मसार किया है।
वाह रे मेरे अध्यापक मित्रो किसने तुम्हे अध्यापक बनाया कि पूरा शिक्षक समाज शर्म से झुक गया।पर तुम्हे लाज नहीं आई।तुम्हारी कलम तनिक भी शर्मिन्दा नही हुई।तुम्हारे भाषा के ऐसे शब्दो ने नंगा नाच नाचा है।तुमने भाषा की द्रोपदी का चीर हरण कर दिया।पढ़कर आंखे फड़फड़ा गई।रातभर आंसू बहाती रही।लेकिन तुम्हारी आत्मा की आवाज और हाथो की नग्न कलम व्हाटसेप के कागज पर कुसंस्कारित अर्मयादित भाषा लिखती रही।न तुम्हारे हाथ कांपे न तुम्हारा जमीर कांपा।तुम किस सभ्य समाज का नेत्तव करने का दंभ भरते हो।क्या तुम्हारा नेत्तव यही है।एकता के बाधको क्या अधिकार है तुम्हे अध्यापकों का नेतत्व करने का ।तुम्हें नेतत्व मिलना भी नही चाहिये तुमने शिक्षा के नाम पर अध्यापक समाज को कलकिंत किया है।तुम्हारा तो बहिष्कार होना चाहिये।तुम किसी काम के नहीं और ना ही तुम्हारा नेत्तव किसी काम का।ग्रुपो मे हमारी बहनो का भी ध्यान नही रहा जो छक्का और हिजड़ो जैसे शब्दो का प्रयोग किया जिन्हे हमारी बहनो के सम्मान का ख्याल उन्हें नेतत्व की जिम्मेदारी का कोई हक नही।तुम्हारा विध्यार्थी भी तुम्हारी अवांछनीय भाषा को देखेगा तो वो भी गला फाड़कर रो पड़ेगा।वाह रे मेरे अध्यापक वीरो इस भाषा के चीरहरण को देखकर भी कुछ अध्यापक वीर अंधभक्ती डूबकर तमाशा देख रहे है।सभी एडमिनो से मेरा विनम्र निवेदन है कि भाषाई दुस्सासनो का सामाजिक बहिष्कार कर समस्त ग्रुपो मे से बाहर का रास्ता दिखा देना चाहिये।ऐसे वीभत्स शब्दों को देखकर कुछ अंधभक्त चुप्पी साधकर अपनी आंखो से उन शब्दो को निहार रहे है।और अपने आकाओ की वाहवाही करने मे मस्त है।
इस पर आज निर्णय लेने की जरुरत है,नही तो कल फिर दुस्सासनो की टोली जो अपने को मर्दो की टोली कहती है।फिर से भाषा का चीरहरण करेगी।
🙏कौशल क्रांतिकारी चम्बल🙏
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