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पापी पेट की लड़ाई देखो : मनोज उपवंशी

Friday, 11 March 2016

पापी पेट की लड़ाई देखो कहा तक पहुच गई कल तक जो एकता की बात की दुहाई दे दे कर भीड़ इकठ्ठा करते थे आज उन्ही को संयुक्त मोर्चा के नाम से खुजली चालू हो गई है।अब ये बात कैसे हज़म होगी की संयुक्त मोर्चा घातक है ? किस गोली से हज़म होगी ? घातक क्या है मैं बताता हु।खुजली का कारन है इनकी लोगो द्वारा पीठ थपथपाई और इनकी श्रेय और नेतृत्व मैं रहने की लड़ाई ..आंदोलन के असली जयचंद है उससे बी ज्यादा वो तो थोड़ा ईमानदार था मीर जाफर बोले तो भी कम पड़ेगा।अभी फिर घोसणा हो चुकी पदाधिकारी भक्तो के लिए परीक्षा के बहाने से आप किसी भी कार्यक्रम मैं न जाए एवम् जाने वालो को रोको क्योंकि हम लोगो की लुटिया डूबने क़े आसार है संयुक्त मोर्चा बन गया तो। कुछ दिन पहले कहा था की परीक्षा का बहिस्कार करो आज बच्चों का भविष्य?? खालिश रणनीति खैर...वतन क़े गद्दार्रो मैं सुगबुगाहट चालू है मंत्रणा कर रहे की हमारा बडा नाम है अध्यापक हमारे साथ आएंगे।संयुक्त मोर्चा मैं नहीं जायेंगे।विडम्बना है की अध्यापक भला भला की रट लगाने वाले बगुला भगत उसी अध्यापक से मुंह टेडा कर रहे जिसने इन्हें सर पर बैठाया और दोनों हाथ सरकार के पैर पर है ..क्यों तो आप समझदार है।तो फिर इस बीमारी का इलाज़???~ठन्डे पानी मैं डुबाओ इन्हें ...अरे वो ठंडा पानी नहीं श्रेय लेन की खूब गर्मी चढ़ि है इनको तो बहिस्कार के ठंडा पानी मैं डुबाओ इनको फिर देखो तमाशा।
संयुक्त मोर्चा मैं अगर सभी संघ  आ गए तो सरकारी तत्व को एमर्जेन्सी लग जायेगी इतना तो पता है सभी को एक छोटी सी बात है ये इन्हें भी समझाओ...तो तैयार हो जाओ अपने हक़ की जंग के लिए और हा कोई रक्त बून्द नहीं बहाना मोत के बदले भी कुछ नहीं लेना कोई विस्फोट नही करना हम प्रेक्टिकल लोग है लोगो को भावनात्मक रूप से बहकाकर फिदाइन नहीं बनाना है  सीधा साधा आंदोलन करना है पापी पेट के लिये लड़ना है और अपना हक़ लेना है।

साथियों 2013 से बने नकली श्रेय पिपासु नेताओ और 2013 के पहले के कुछ तथाकथित असली जोकरों से सावधान...इन्हें सिर्फ श्रेय चाहिए या वजूद ,अध्यापक हित् नहीं....तो आगे क्या करना है आप समझदार है..और अगर ये आते है तो घर इनका है आँगन इनका है आंदोलन भी इनका है और मिलने वाला श्रेय भी इनका है।हमें कुछ नहीं हमें तो बस संविलियन चाहिए...

उंगलिया यूं न सब पर उठाया करो
खर्च करने से पहले कमाया करो

जिन्दगी क्या है खुद ही समझ जाओगे
वारिशों में पतंगें उड़ाया करो

शाम के बाद जब तुम सहर देख लो
कुछ फकीरों को खाना खिलाया करो

दोस्तों से मुलाकात के नाम पर
नीम की पत्तियों को चबाया करो

चॉद सूरज कहां अपनी मन्जिल कहां
ऐसे बेसों को मुंह मत लगाया करो

घर उसी का सही तुम भी हकदार हो
रोज आया करो रोज जाया करो

मनोज उपवंशी
9424937871
अध्यापक संयुक्त मोर्चा मध्यप्रदेश

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