सादर वंदन
साथियों ,
बुध्द को जिस वृक्ष के तले बैठा हुआ दिखाया गया है जहाँ उसे ज्ञान की प्राप्ति हुई ।न कि ज्ञानप्राप्ति बुध्द के बोध्दिक चिंतन से।वह वृक्ष बहुत महत्तवपूर्ण है जिसने ज्ञानरुपी वातावरण निर्मित कर बोध्द को ज्ञान देने मे महत्ती भूमिका निभाई ठीक इसी प्रकार हो सकता है कि आर्य समाजरुपी धर्मशाला वृक्ष के नीचे शायद ऐसा वातावरण निर्मित हो जाये जिसके ज्ञान से अध्यापकों के जीवन का अंधकार मिट जाये।प्रत्येक मनुष्य वह जो भी हो एक अपरिमित शक्ति वाला पुंज होता है।यदि उसका मार्ग सीधा सच्चा है तो वह समस्त प्रकृति पर विजय प्राप्त कर सकता है।लेकिन दुख तब होता है जब संसार उस सिंह का आदर करता है।जो हजारो मेमनो का वध करता है।लोगो को यह समझने का अवकाश नही कि सिंह के इस क्षणिक विजय का कारण हजारो मेमनो की मृत्यु है।हमें जीते जी बिना बध किये लोगो पर उनके विचारो पर विजय प्राप्त करना है।तभी सच्ची विजय कही जा सकती है।वैसे संसार मे कुछ लोग अपने चुम्बकीय व्यक्तित्व से संसार को हिला देते है।जिनकी सोच सैकडो़ हजारो लोगो के लिये सोचने के लिये कार्यशील है।
अब समय आ गया है उठ खडे होने का ।दूसरो को दोष देने का कोई अर्थ नही है।सब कुछ समय और परिस्थियां निर्मित करती है।जैसे अग्नि एक तरफ हमे सर्दी से बचाती है वही दूसरी तरफ हमें जलाकर भस्म भी कर देती है।यह सब परिस्थियो के निमित्व मात्र मे वशीभूत है।इसलिये दोषारोपण गलत है।अब समय आ गया है कि हम सभी मिलकर अपनी दृढ़ इच्छा शक्ति की आंतरिक अग्नि से हम सभी अपने एक दुसरे के दोषो को भस्म करते हुये इस अग्नि से शासन व उनके अंहकारी अधिकारियो के अंहकार को जलाकर अपने अधिकार छीने।
दुसरो को भ्रांत कहना एक अंधविश्वास है।ऐसे विचारो से मुक्ति पानी होगी।आज भोतिक साधनो से सम्पूर्ण जगत को एक बना लिया लेकिन अंतर्मन को पीडा़ उस समय होती है जब हम अपने ही शिक्षित समाज के बुध्दिजीवी लोगो के दिलो को एक करने मे अक्षम रहे।लेकिन कोशिश जारी है विश्वास है परिणाम सार्थक जरुर आयेगे ।समय कितना भी लगे।इस एकतारुपी सामंजस्य को लाने के लिये हम सभी को विचारो का आदान प्रदान करना होगा।त्याग करना होगा।कुछ दुखद बातों को भी सहन करना होगा पर इस त्याग के परित्याग के परिणामस्वरुप हमारा शिक्षित समाज निखर उठेगा और सत्य के सन्धान में आगे बढ़ते हुये हम अपने अधिकारो को शीघ्र ही प्राप्त कर सकेगे।
तो सभी साथियो से करबध्दनिवेदन है कि इस संयुक्त बैठक के महामिलन मेला अपना अमूल्य समय देकर 20 मार्च को आर्य समाज धर्मशाला भोपाल मे अवश्य पधारे ताकि हम अपने आंकाक्षाओ के सपनो को साकार कर सके।
कौशल क्रांतिकारी चम्बल
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