प्रशांत तिवारी की खरी खरी।
भाग 1- विषय अध्यापक वर्ग के कतरे जा रहे पर,।
मित्रों,एक ओर अध्यापक वर्ग अपने अधिकारों के लिए सन्घर्श करता है तो दुसरी ओर अधिकारी वर्ग उनके पर कतर रहा है,चूकि अध्यापक,शिक्षा विभाग का कर्मचारी है,और उसके नेता श्रेय की राजनीति में व्यस्त हैं,इसलिए उसके साथ हो रहे अहित पर चर्चा की फुरसत कम ही लोगों को मिलती है।कल भाइ सुरेश यादव से जानकारी मिली कि अध्यापक वर्ग को अर्जित अवकाश की पात्रता तो 2008 में समाप्त कर दी गई है।किन्तु बहुत से नेताओं तक को जानकारी नहीं है।अनुकम्पा नियुक्ति के नियम इतने कठिन बना दिये कि साफ जाहिर कि सरकार की इच्छा नहीं है,अनुकम्पा नियुक्ति की।अब क्या अर्जित अवकाश के लिए भी अान्दोलन करना पड़ेगा।मुझे याद है कि एक बार लम्बी हडताल के बाद शिक्षा कर्मियों को महगाइ भत्ता देकर निपटा दिया था।सवाल फिर वही,किश्तों में हडताल कब तक?शिक्षा विभाग में सम्विलियन हो,सेवा शर्तों में समानता हो,कर्मी कल्चर वास्तविक रूप से समाप्त हो और 500-.से .25000 का राग अलापना बन्द हो क्योंकि लगभग इतने ही समय में,1991 में नियुक्त उप शाला शिक्षक तो 300. से .38000 पर पहुंच गए।सच यही है,कटु सत्य कि हमें तुलनात्मक रूप से मिला कम खोया अधिक। अध्यापक शिक्षा विभाग का कर्मचारी नहीं है,उसे पंचायत विभाग का कर्मचारी अाज तक माना जाता है।और हमारे कुछ साथी अाजिवन पन्चायत विभाग में रहकर अत्यंत प्रसन्न महसूस करते हैं।
प्रशांत तिवारी की खरी खरी।
भाग-2:- विषय प्रदेश में अध्यापक वर्ग के अच्छे दिन अा गए हैं।
शुरुआत हुई,पाटिदार जी ने एक ही प्रयास में छटवे वेतन मान के अादेश जारी कराए।इसके बाद माननीय जगदीश यादव,मा दर्शन सिंह जी,इत्यादि ने जानकारी मिलते ही सम्विदा वालों के रुके वेतन के लिए अावन्टन जारी कराया।फिर अध्यापक वर्ग की कटौती जमा कराने प्रयास किया।अभी अाज के समाचार के अनुसार हडताल अवधि के कटे वेतन को जारी करवाने के प्रयास किए जा रहे हैं और यह सब सोशल मीडिया पर जानकारी मिलते ही किए गए।रास ने शुरुआती दिनों से ही अध्यापक,शिक्षा कर्मी के हित में सतत और अनथक प्रयास किए हैं और इसमें सभी साथियों द्वारा सहयोग दिया गया है।इसलिए मुझे पूर्ण विश्वास है कि विविध वर्षों में नियुक्त अध्यापक वर्ग को नियुक्ति तिथि से पूर्ण वेतन का एरियर्स,2005 के पूर्व नियुक्त अध्यापक,शिक्षा कर्मी को g.p.f.. के दायरे में लाने,छटवे वेतन मान की गणना 2006 से करने और अध्यापक वर्ग का शिक्षा विभाग में सम्विलियन करने के मुद्दों पर भी ध्यान दिया जाएगा और यथोचित अादेश कराए जाएंगे।कर्मी कल्चर के वास्तविक रूप से समाप्त हो ने से मानवीय मुख्यमंत्री जी की ही मंशा की पूर्ति होगी।
नोट 📝 लेखक स्वतंत्र विचारक है और तटस्थ भाव से अध्यापक हित में लिखने में विश्वास रखता है।पुनश्च,वर्तमान गतिशीलता में,भाइ नागेंद्र त्रिपाठी,भाइ अजित जाट,भाइ सियाराम पटेल,भारत भार्गव,सुरेश यादव,सन्जय सेन इत्यादि का योगदान महत्वपूर्ण है।
प्रशांत तिवारी की खरी खरी
Saturday, 19 March 2016
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