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अध्यापकों का शिक्षा विभाग मै संविलियन असंभव है तो महानुभाव मै आपके नौकरशाहों को चुनौती देता हूँ : हिमांशु पाण्डे

Tuesday, 5 April 2016

आदरणीय श्रीमान शिवराज सिंह चौहान मुख्यमंत्री मध्यप्रदेश शासन, महोदय जहां तक मुझे जानकारी है कि आपने बरकतउल़ला विश्वविद्यालय से स्नातकोत्तर की उपाधि प्राप्त की है एंव 1990 मै पहली बार विधायक बनकर अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत की तत्पश्चात पांच बार सांसद रहने के साथ - साथ विभिन्न महत्वपूर्ण संसदीय समितियों मै कार्य करने के पश्चात, बाबूलाल गौर के मध्यप्रदेश शासन के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देने के पश्चात अभी तक आप लगातार मध्यप्रदेश शासन के मुख्यमंत्री के पद पर अपने दायित्वों का निर्वहन एक संवेदनशील मुख्यमंत्री के रूप मै करते आ रहे  है, एंव समाज के सबसे नीचे के तबके को  साथ लेकर  जर्जर हो चुके मध्यप्रदेश को विकास की राह पर लाने का कार्य पूर्ण ईमानदारी के साथ किया ऐसा इसलिए संभव हो सका कि आप उच्च शिक्षित होने के साथ-साथ आपके पास  एक लंबा राजनीतिक एंव प्रशासनिक जीवन का पूर्ण अनुभव है, इसलिए आप पर कभी भी नौकरशाही हावी नही हो सकी और आपने बहुत सी जन कल्याणकारी योजनाओं को सफलता पूर्वक चालू किया जो अभी भी नियमित रूप से चालू है ,परंतु महोदय कुछ समय से मध्यप्रदेश की नौकरशाही निरंकुशता की ओर बढती हुई दिखाई दे रही है और यह बात आपने स्वंय कई बार स्वीकार की है, महोदय किसी भी राज्य मै कार्यपालिका का मुखिया उस राज्य का मुख्यमंत्री होता उसके अधीनस्थ मुख्य सचिव से लेकर अलग - अलग विभागों के प्रमुख सचिव मुख्यमंत्री को किसी भी मुद्दे पर सलाह तो दे सकते है, परंतु अंतिम निर्णय मुख्यमंत्री का निर्णय ही स्वीकार्य होता है लेकिन कुछ समय से ऐसा लग रहा है जैसे मध्यप्रदेश के नौकरशाह निरंकुश होते जा रहे है जिनसे मध्यप्रदेश की आम जनता से लेकर आपके कबीना के मंत्री और विधायक भी पीड़ित हो रहे है और इसका असर आपकी छवि पर भी स्पष्ट रूप से पढ रहा है ।
                    महोदय चूँकि मै एक अध्यापक हूँ और इस विषय पर आपके अधिकारियों द्वारा जिस तरह से आपको हमारे विषय पर गलत सलाह एंव एंव गलत जानकारी दी जा रही है वह बहुत ही चिंताजनक है एंव आप पर भी अध्यापक संवर्ग के साथ धोखा देने के आरोप लग रहे है एंव आपके द्वारा एक अध्यापक को विधायक बनाकर जिस प्रकार से अध्यापकों के अधिकारो का सौदा किया गया उससे आज अध्यापक संवर्ग का इतना शोषण हो रहा है कि जहां  2013 मै अध्यापकों के सिर्फ तीन संगठन थे आज  11 से  12 संगठन तैयार हो चुके है और एक या दो संगठनो को छोड़कर सभी अपनी - अपनी महत्वाकांक्षाओं को पूर्ण करने के प्रयास मै लगे हुए है और इससे  सबसे  ज्यादा शोषण गरीब और असहाय अध्यापक का हो रहा है, उपर से आपके नौकरशाह आपको गलत जानकारी एंव सलाह देकर आपसे गलत घोषणाएं करवा रहे है, जिससे यह स्पष्ट हो रहा है कि या तो आपके नौकरशाह योग्य नही है या फिर आप अब उन पर अपने आप से ज्यादा भरोसा कर रहे है जिससे शायद ऐसा लग रहा है कि आपकी अफसरशाही पर पकड़ कमजोर होती जा रही है, महोदय जैसा कि आपको बताया जा रहा है कि अध्यापकों का शिक्षा विभाग मै संविलियन असंभव है तो महानुभाव मै आपके नौकरशाहों को चुनौती देता हूँ कि वे सिद्ध कर दे कि इसके पहले मध्यप्रदेश मै कभी स्थानीय निकाय के शिक्षकों का शिक्षा विभाग मै संविलियन नही हुआ है और अगर आपके यह अल्पज्ञानी नौकरशाह  सिद्ध कर दे तो  मध्यप्रदेश का अध्यापक कभी भी शिक्षा विभाग मै संविलियन की मांग नही करेगा, महोदय दूसरा विषय आपके समक्ष प्रस्तुत करना चाहता हूँ कि अगर आपके यह  निरंकुश अफसरशाह 1184 करोड़ रुपये मै पूर्ण छटवें वेतनमान की गणना करता है तो छटवें वेतनमान मै गंभीर  विसंगतियां होना तय और ऐसी स्थिति मै हम अध्यापकों के समक्ष एकमात्र विकल्प रह जाता है कि हम न्यायपालिका की शरण मै जाकर अपने अधिकार की मांग करें और ऐसी स्थिति मै मध्यप्रदेश शासन की जो स्थिति अनुदान प्राप्त स्कूलों के शिक्षकों संबंध मै हुई थी एंव मध्यप्रदेश शासन को न्यायपालिका के समक्ष नीचा देखना पड़ा था उससे खराब स्थिति अध्यापक संवर्ग के विषय मै होगी अतः श्रीमान जी सनम्र निवेदन है कि मध्यप्रदेश शासन की निरंकुश हो चुकी अफसरशाही  की लगाम अपने हाथ मै लेकर अध्यापक संवर्ग की मांगो का नियमानुसार एंव उचित निराकरण करें ताकि अध्यापक संवर्ग कुछ अपने ही महत्वाकांक्षी साथियों एंव मध्यप्रदेश शासन के निरंकुश अफसरशाहों के हाथों की कठपुतली बनने से एंव अपने शोषण होने से बच सके एंव अपने परिवार के भविष्य निश्चिंत से  होकर मध्यप्रदेश की शिक्षा की गुणवत्ता पर कार्य करें एंव मध्यप्रदेश को विकासशील राज्य से विकसित राज्य के निर्माण मै अपनी महती भूमिका निभा सके आचार्य चाणक्य ने कहा है कि " जिस राष्ट्र मै गुरु को उचित सम्मान नही मिलता वह कभी भी उन्नति की ओर अग्रसर नही हो सकता है " अंत मै ईश्वर से हाथ जोड़कर प्रार्थना करता हूं कि ईश्वर आपको उचित निर्णय लेने हेतु आत्मबल एंव दृड- ईच्छाशक्ति प्रदान करें एंव आप पहले की तरह मध्यप्रदेश शासन के नौकरशाहों की लगाम मजबूत पूर्वक अपने हाथ मै पुनः थामकर  अपनी छवि लोकनायक एंव जननायक के रूप मै स्थापित कर सके ।
मेरा अपने समस्त अध्यापक साथियों से निवेदन है कि हमारी  इस पोस्ट को इतना अधिक शेयर करें कि हमारा निवेदन मध्यप्रदेश शासन के मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान तक एंव हमारी चुनौती  मध्यप्रदेश शासन  की बहरी एंव निरंकुश अफसरशाही तक पहुंच सके कि अब आम अध्यापक अपने अधिकारों के प्रति सजग व संवेदनशील हो गया है और अब  संयुक्त होकर  हम अपने अधिकारों के लिए किसी भी हद तक लडने को तैयार है और हम हर हालत मै अपने अधिकारों को  लेकर ही मानेंगे

   आपके राज्य का आम अध्यापक हिमांशु पांडे दमोह

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