अध्यापक सिंहस्थ मे :-
महाकाल की नगरी उज्जैन से और महादेव के समक्ष अध्यापकों के लिए घोषणा करने वाले प्रदेश के राजा अपनी बात पर न तो खुद कायम रह पाए न ही अधिकारियों से काम पूरा करा पाए ।
इसके उपरांत मुंबई से छठवें वेतन की घोषणा भी मात्र घोषणा होकर रह गई । आखिर क्यों? क्यों हमे मजबूर किया जा रहा है की हम खुद को कष्ट में डालें या प्रशासन को? क्या कारण है की इतनी महत्वपूर्ण घोषणाओं पर अमल नहीं किया जाता? क्या कारण है की हमें सड़क पर उतरने के लिए मजबूर किया जाता है? क्या कारण है की हर आदेश में कोई पेंच फंसाकर आगे के लिए कई दोगलाई कर दी जाती है? क्यों हर स्थिति के लिए अध्यापकों को समाज में बदनाम करने की रणनीति बनाई जाती है? क्या कारण है की हर बार आँदोलन के दमन के लिए हर कूटनीतिक चालें चली जाती है?
रणनीति :-
हम भी महाकाल के दरबार में पहुँचेंगे । अर्जी लगायेंगे, लंबी यात्रा तय करेंगे, जो मिलेगा उसको अन्याय से अवगत करायेंगे । जो संत महात्मा, आमजन सहयोग देगा लेंगे ।
तैयारी करो साथियों खुद को पदयात्रा के लिए । हमें सिंहस्थ से कोई नहीं रोक सकता । ये हमारी धार्मिक और जायज यात्रा रहेगी । 12 वर्ष में होने वाली इस विहंगम धर्म लाभ को हम भी अर्जित करना चाहते हैं । रूप धरो, भेष बदलो , नोटंकी करो, ध्यान आकर्षित करो की ये कौन हैं और क्या कहना चाहते हैं । देश विदेश का मीडिया रहेगा ।
जावेद खान
आदरणीय शिवराज जी
अध्यापक सिंहस्थ की और बढ़ने जा रहा है । तैयारिया शुरू हो चुकी है । अब भी समय है , अपनी ही कहीं गई बात का मान सम्मान रख लीजिये । आपने ही कहा था तबादला नीति मई में हर हाल में जारी होगी ।
आपने ही कहा था अप्रैल पेड मई दिया जायेगा ।
अफ़सोस आपकी बात का कोई मोल नहीं । मुख्यमंत्री होने के नाते आपके हर वादे पर विश्वास कर समय तक इंतज़ार कर अध्यापको ने अपना धर्म निभाया ।
मगर शिवराज जी आप विश्वास खोते जा रहे हो ।
हम मजबूर है आपकी वादा खिलाफी की शिकायत अब बाबा महांकाल से करने के लिए । अब अध्यापक हर मठाधीशो के पास जाएगा । हर नामी और गुमनामी संतो के पास जायेगा । हर अखाड़े में शरीक होकर ये दिखायेगा की एक मुखिया को झूठ बोलना शोभा नहीं देता । गुरु का महत्त्व आपने और आपके अफसरान ने तो नहीं समझा लेकिन श्री गुरु चरणों में जाकर गुरु अपने सम्मान के रक्षार्थ याचना करेंगे ।
आपके पास समय है यह आप रोक सकते हो । प्रदेश की छवि को आप अंतर्राष्ट्रीय पटल पर ख़राब होने से बचा सकते हो । अब आप यह कहोगे की प्रदेश की अस्मिता की रक्षा क्या अध्यापको की जिम्मेदारी नहीं तो , माफ़ कीजिये साहब हम अपने घर जलाकर दुसरो के घरो में अब रौशनी नहीं कर सकते ।
आप कदापि एक अच्छे सेवक नहीं बन पा रहे हो अपितु आप भी शासको के इस क्रम में आ चुके हो जिन्होंने शासन किया । फर्क सिर्फ इतना है की आप एक मृदु भाषी शासक हो ।
बृजेश शर्मा जी और तमाम साथियो के स्वास्थ्य के लिए हमारी दुआए उनके साथ है । हमारे लिए हर जान कीमती है । शिवराज जी ये सूचना आपको आपकी अधिकृत मेल id पर प्रेषित की गई है ।
इस बात की गंभीरता का आप आंकलन कर लीजियेगा की हम सभी संघ और धर्म की दीवारे लांघ कर लाखो की तादाद में महांकाल की नगरी में पहुच कर अप्रत्याशित करेंगे ।
आपसे हमें 7 वे वेतन की कोई उम्मीद नहीं है । जो शख्स एक तालिका जारी नहीं करवा सकता वो कितना असहाय है ये परिलक्षित होता है ।
कई अखाडा प्रमुखों से संपर्क बना लिया गया है क्योंकि उनके अध्यापक भक्त अपना काम कर रहे है । आपके अगले कदम की प्रत्याशा में ।
उम्मीद है संतो की नगरी से भक्ति का प्रवाह होगा ।
और कृपा कर हमें कोई वार्ता के लिए मत बुलाना क्योंकि हमें आदेश से कम कुछ मंजूर नहीं । अध्यापको की और से आपको एक बात और बता देना उचित है की यदि किसी भी आदेश में विसंगति रही तो आने वाले चुनावो में किसी भी प्रकार की विसंगति पूर्ण जनादेश की अंतिम जिम्मेदारी आपकी ही होगी ।
जय आजाद ।
समय, तारीख़ और स्थान शीघ्र ही बताया जाएगा ।
जय हिंद ।
प्रिती सिंह
जय आस जय आजाद
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