साथियो , सादर वंदे
हमें तो अपनों ने लूटा सनम ..........
🌷कुछ समय पूर्व किसी अनुभवी से एक कहानी सुनी थी जिसमें एक अंग्रेज व्यक्ति कैकड़े बैचने वाले के पास जाता है, तथा एक खुले टोकरे में रखे कैकड़ो को देखकर आश्चर्य चकित होते हुए प्रश्न करता है कि यह कैकड़े निकलकर भागेंगे नही ? प्रश्न के जवाब में भारतीय जो कैकड़े बैच रहा था बोला साहब यह भारतीय कैकड़े है, एक निकलेगा तो दूसरा उसकी टांग पकड़कर नीचें खींच लेगा।🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷
जनाब आज यही कहानी दोहराई जा रही हे , किसी को भी किसी की भी सफलता हजम नही हो रही हे बस सभी इसी जलन में लगे हे की तेरी साडी मेरी साडी से सफेद कैसे ? कहि कोई ज्यादा लोकप्रिय होकर हमसे आगे न निकल जाए वरना हमारी दूकान दारी बंद , सभी अध्यापक हित छोड़कर एक दूसरे की टांग खीचने में लगे हे , चार लोग मिलकर संयुक्त मोर्चा बनाया और काम कुछ नही, जब भी लगे की फसने वाले हे तो एक दूसरे पर ढोल देंगे की हमने कुछ नही किया ये आजाद वाले नही मान रहे थे , तो भाई फिर क्यों किसी मोर्चे में शामिल होवे जब कोई जवाब दारी ही नही लेना चाहता ,आरोप प्रत्यारोप और भाषा भी ऐसी की देवनागरी भाषा भी शर्मा जाए ,व्यक्तिगत संबंधो का भी लिहाज नही ,छोटी छोटी बाते मन में रखने से बड़े बड़े रिश्ते कमजोर हो जाते हे कहावत हे की किसी का किया अहसान कभी भूलो मत अपना किया अहसान कभी याद मत करो , 6टा वेतनमान समय पूर्व मिला ये आजाद की ही बदौलत हे गणना पत्रक तो कभी भी आये पर बढ़े वेतन का मिटर 1 जनवरी 2016 से ही शुरू होगा । अगर किसी को कुछ देना हे तो उसे अच्छा वक्त दो जिस दिन आपने अपनी सोच बड़ी कर ली बड़े बड़े लोग आपके बारे में सोचना शुरू कर देंगे , आजाद अध्यापक संघ बड़ी सोच लेकर चल रहा हे । उन्ही को मिलती हे सारी उंचाइयां जो गिरते रहे और सम्भलते रहे , यदि अध्यापको की सारि समस्याओं का हल कोई करवा सकता हे तो वो "आजाद अध्यापक संघठन" ही हे और दोस्तों आजाद ने एक बार फिर संघर्ष का बिगुल बजा दिया हे 15 तारिख तक गणना पत्रक का इन्तेजार करना हे अन्यथा 18 को सभी साथी एक बार फिर "सागर "के प्रांतीय अधिवेशन में "गागर" भरने को तैयार है । हम किसी भी खास समय के लिए इन्तेजार नही कर रहे हे बल्कि अपने हर समय को ही खास बनाने की पूरी तरह से कोशिश कर रहे हे ।
🌷"अभी न पूछो हमसे मंजिल कहा हे अभी तो हमने चलने का इरादा किया हे ...............
न हारे हे न हारेंगे कभी , किसी और से नही खुद से ये वादा किया हे ।
याद रखिये मंजिले चाहे कितनी भी ऊँची क्यों न हो रास्ते हमेशा पेरों के निचे ही होते हे ।
मनोज पुरोहित
जिला प्रवक्ता आस उज्जैन
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