18 अप्रैल 2016 सागर मंथन आजाद अध्यापक संघ का,
उसके पूर्व मप्र अध्यापक कोर कमेटी के विचार........
साथियो आप सभी को हमारा प्रणाम।।
अध्यापक कोर कमेटी की संतति आजाद अध्यापक संघ के प्रथम कार्यकाल की पूर्णता के अवसर पर हम आप सभी से पुनः रूबरू हो रहे हैं। वर्ष 2013 में अध्यापक अपनी अस्मिता और आत्मसम्मान के संघर्ष में निरंतर गतिमान थे , किन्तु आंदोलन का समापन जिस तरह से हुआ उसका बार बार उल्लेख करना हम यहां उचित नहीं मानते।
निराशा और अविश्वास के भंवर में अध्यापकों का भविष्य सन 2017 तक सत्ता की चौखट पर गिरवी रख दिया गया था, किन्तु तत्कालीन अध्यापक नेतृत्व की विवशता ने सम्पूर्ण अध्यापक जगत को आक्रोशित कर दिया।
इस बीच प्रदेश के कुछ स्वतंत्र तो कुछ विभिन्न संघों और संगठनों के प्रति आस्था रखने वाले अध्यापकों ने सरकार से हुए समझौते का विरोध करने का निर्णय ले लिया। यह विरोध तत्कालीन अध्यापक नेतृत्व के साथ साथ सरकार से भी था।
अजीत पाल यादव, मनीष शंकर तिवारी, सुबोध झारिया, श्री कृष्ण शिवहरे, दिनेश साल्वी , केशव रघुवंशी , दीपक तिवारी, नितिन पाटिल नईम पठान, डी के भदौरिया, मनीष वर्मा , देवेन्द्र तोमर, डॉ विनायक शोपरा, जी एल पिपल सहित चंद मुट्ठी भर अध्यापकों (ज्ञात हो कि विभिन्न व्यक्तियों द्वारा समय समय पर स्वयं को आस और ऐसीसी का निर्माता और संस्थापक बता कर भ्रम फैलाने का कुप्रयास भी किया जाता रहा है) ने इस विषय पर तत्कालीन आंदोलन के नेतृत्वकर्ताओं को पंजीकृत डाक से पत्र प्रेषित कर संघर्ष को आगे ले जाने का अनुरोध किया । किन्तु प्रति उत्तर प्राप्त न होने पर फेसबुक के माध्यम से एक नया संदेश प्रदान करते हुए अध्यापक कोर कमेटी का जन्म हुआ,इसे विचार को संबल प्राप्त हुआ योगेश सरवाडऔर शरद क्षीरसागर जैसे जीवट साथियों का।
सर्व प्रथम नीलम पार्क भोपाल में सिर्फ नौ लोगो ने अध्यापक कोर कमेटी के विचार को अमली जामा पहनाया।
जन्म के साथ ही कोर कमेटी ने सभी संघों को एकजुट करने मजदूर भवन में बैठक रखी, जिसमें सर्व संघ एक मंच के प्रस्ताव को काफी जद्दोजहद उपरांत तत्कालीन बडे बडे नेताओ ने खारिज कर दिया।फिर भी अध्यापक कोर कमेटी ने हार नहीं मानी क्योंकि कोर कमेटी एक और नये संघ का जन्म नहीं चाहती थी, कमेटी तत्कालीन नेतृत्व के माध्यम से ही अध्यापको के संघर्ष को नये मुकाम पर ले जाना चाहती थी। और इसी दिशा में छुटपुट विरोध के साथ कोर कमेटी प्रदेश स्तरीय कार्यक्रम करने की दिशा में अग्रसर हुई और कृष्णपुरा छत्री इंदौर और दशहरा मैदान भोपाल में अपनी सशक्त उपस्थिति दर्ज कराई जिसमें दिग्विजय सिंह चौहान जी ने कोर कमेटी के सफल प्रयास में सहभागिता प्रदान की।
संघर्ष पथ पर अध्यापक कोर कमेटी ने चलते हुए महसूस किया कि तत्कालीन नेतृत्व वर्ष 2017 तक किसी भी हालत में प्रबल विरोध दर्ज कराने की स्थिति में नहीं है।
तब अध्यापक कोर कमेटी ने स्वयं एक नवीन संघ की स्थापना का निर्णय लिया। कोर कमेटी के समक्ष पूर्व के संघों और उसके नेताओं , पदाधिकारियों का और उनके आजीवन कार्यकाल का अनुभव था, अतः नवीन संघ निर्माण के पूर्व इन अनुभवो से सीख लेने की आवश्यकता थी।
काफी विचार मंथन और अध्यापक की भावनाओं को ध्यान रखते हुए निर्णय लिया गया कि संगठन की शक्ति किसी एक व्यक्ति विशेष में निहित न की जाकर एक कोर कमेटी में समाविष्ट हो। और इसी तारतम्य में अध्यापक कोर कमेटी द्वारा आजाद अध्यापक संघ के नाम से नवीन संघ की स्थापना की गई। इस संघ के प्रथम अध्यक्ष आदरणीय भरत पटैल जी के नेतृत्व में संगठन ने अल्प समय में ही सम्पूर्ण प्रदेश में अध्यापक जगत में एक पहचान बनाई,
पहचान अन्याय से संघर्ष की,
पहचान अध्यापको के भरोसे की।।।।
अपने दूसरे कार्यकाल में प्रवेश करते हुए अध्यापक कोर कमेटी अपनी पारदर्शी सोच, ईमानदार नेतृत्व और अध्यापक हित सर्वोपरि की भावना लिए प्रतिबद्ध है।
अध्यापक कोर कमेटी , आजाद अध्यापक संघ के माध्यम से यह विश्वास दिलाती है कि
किसी भी स्थिति में अध्यापको के हितो से खिलवाड नही होने दिया जाऐगा।
किसी भी हालत में संघ को पदाधिकारियो और नेतृत्व की जागीर नही बनने दिया जाएगा।
हर हालत में अध्यापक हित में संघर्ष करने वाले व्यक्ति, समूह और संघ का समर्थन किया जाएगा।
अध्यापक हित का ढोंग रचने वालो द्वारा प्रदेश के किसी भी अध्यापक को अपमानित करने के प्रयासों की खुली आलोचना की जावेगी।
और सबसे महत्वपूर्ण बात अध्यापक कोर कमेटी पूरी तरह प्रदेश के अध्यापक संवंर्ग की भावनाओ के अनुकूल कार्य करने कटिबद्ध है।
नव वर्ष में नव पथ की ओर अग्रसर
आपकी अपनी
अध्यापक कोर कमेटी
बस मुट्ठियाँ भींच लेने से इन्कलाब नहीं आते,
इन्कलाब आते हैं अविरल उद्यम से, श्रम से,त्याग से,
सदा सत्य समर्पित निरंतर साधना के क्रम से,
उद्वेलित होना
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