आदरणीय अध्यापक साथियों मध्यप्रदेश शासन के स्कूल शिक्षा विभाग ने आदेश क्रमांक/एफ़ 1-4/07/बीस-1 भोपाल दिनांक 28-06-2007 के आधार पर मध्यप्रदेश पंचायत विभाग,आदिम जाति कल्याण विभाग एवं नगरीय प्रशासन विभाग के अंतर्गत आने वाले शिक्षकर्मियों एवं संविदा शिक्षकों का 01 अप्रैल 2007 में उनका संविलियन अध्यापक संवर्ग में करके उन्हें नियमित किया और उनके लिए वेतनमान निर्धारित किया,उस समय जहां सहायक शिक्षक का वेतनमान 4000-100-6000 था और सहायक अध्यापक का वेतनमान 3000-100-4000 था उच्च श्रेणी शिक्षक का वेतनमान 5000-150-8000 और अध्यापक का वेतनमान 4000-125-6500 एवं व्याख्याता का वेतनमान 5500-175-9000 एवं वारिष्ठ अध्यापक का वेतनमान 5000-175-8500 निर्धारित थे।
परंतु उस समय तक मध्यप्रदेश अथवा केंद्र शासन ने छटवें वेतनमान कि घोषणा नहीं कि थी,परंतु केंद्र शासन कि घोषणा के पश्चात मध्यप्रदेश शासन के वित्त विभाग कि अधिसूचना क्रमांक:एफ़-8/2009/नियम/चार भोपाल दिनांक 28 फरवरी 2009 से मध्यप्रदेश वेतन पुनरीक्षण नियम 2009 बनाए जिसको उन्होने 1 जनवरी 2006 से लागू किया, हाँलाकि यह नियम भी केंद्र शासन के नियमों के आधार पर विसंगतिपूर्ण ही थे,परंतु छटवें वेतनमान में सहायक शिक्षक का वेतनमान 5200-20200+2400 निर्धारित किया गया, उच्च श्रेणी शिक्षक का वेतनमान 9300-34800+3200 एवं व्याख्याता का वेतनमान 9300-34800+3600 निर्धारित किया गया और अध्यापकों को छटवें वेतनमान में केवल आनुपातिक लाभ दिया गया जिसके फलस्वरूप अध्यापकों और नियमित शिक्षकों के वेतन के बीच एक लंबी खाई आ गई हाँलाकि दोनों के कार्य बिलकुल एक समान थे और यही से अध्यापकों ने समान कार्य के बदले समान वेतन कि मांग कि और कई आंदोलनों के पश्चात मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने 01 सितम्बर 2013 से अध्यापक संवर्ग को समान कार्य के लिए समान वेतन कि घोषणा चार किश्तों में देने कि घोषणा कि परंतु मध्यप्रदेश शासन कि निरंकुश अफसरशाही ने समान कार्य के लिए समान वेतन कि घोषणा को छटवें वेतनमान में परिवर्तित कर दिया,और जहां उसी मध्यप्रदेश शासन कि निरंकुश अफसरशाही ने अध्यापक संवर्ग के लिए पदोन्नति एवं क्रमोन्नति के लिए वारिष्ठता नियुक्ति दिनांक से निर्धारित कि वही छटवें वेतनमान का लाभ उनके अध्यापक संवर्ग में संविलियन के दिनांक से देने के आदेश जारी किए जो कि पहली विसंगति थी इसके बाद जब 01-अप्रैल-2007 से काल्पनिक गणना कि बारी आई तब एक बार फिर अध्यापक संवर्ग के साथ धोका हुआ और मध्यप्रदेश शासन के वित्त विभाग के आदेश क्रमांक:एफ़-8/2009/नियम/चार भोपाल दिनांक 20 अगस्त 2009 के अनुसार 01 जनवरी 2006 के पश्चात नियुक्त होने वाले कर्मचारियों को उनके ग्रेड वेतन के आधार पर नौकरी में नियुक्ति हेतु मूल वेतन निर्धारित किया गया जिसके आधार पर जहां सहायक अध्यापक के ग्रेड पे 2400 के अनुसार मूल वेतन 7440+2400=9840 निर्धारित होना था उसे 5200+2400=7600 तथा अध्यापक के ग्रेड पे 3200 के अनुसार मूल वेतन 9300+3200=12500 तथा वारिष्ठ अध्यापक के ग्रेड-पे 3600 के अनुसार मूल वेतन 10230+3600= 13830 उसे 9300+3600=12900 पर निर्धारित करके विसंगतिपूर्ण अंतरिम राहत के आदेश जारी कर दिये लेकिन जब सरकार एवं उसके अफसरों से ज्ञापन एवं पत्राचार के माध्यम से विरोध दर्ज कराया गया तब उन्होने स्पष्ट किया वेतनमान समायोजन के समय सभी विसंगतियों को दूर कर दिया जायगा।
इसके पश्चात केंद्र सरकार ने अपने कर्मचारियों को 01 जनवरी 2016 से सातवाँ वेतनमान देने हेतु वेतन आयोग का गठन किया,तब पुनः अध्यापकों ने अपने एवं अपने परिवार के भविष्य के लिए एकजुट होकर आंदोलन किया जिसमें मुख्यमंत्री जी ने 01 जनवरी 2016 से अध्यापकों को पूर्ण छटवां वेतनमान देने कि घोषणा कि लेकिन मध्यप्रदेश शासन के मंत्रिमंडल के पास अध्यापकों को पूर्ण छटवां वेतनमान देने संबंधी जो नोटशीट सामने आई उसके अनुसार छटवें वेतनमान कि जिन विसंगतियों के विरोध में हमने अपना विरोध दर्ज कराया था वही विसंगतियाँ हमारे सामने आ गई और इसके अलावा नियम अनुसार जिस दिनांक से अंतरिम राहत निर्धारित होती है उसी दिनांक से वेतनमान का समायोजन किया जाना चाहिए परंतु अध्यापकों के वेतन का समायोजन 01 सितम्बर 2013 कि जगह 01 जनवरी 2016 से निर्धारित किया जो कि पूर्णरूप से हमारे साथ अन्याय है,इसके उपरांत जहां नियमित शिक्षकों/कर्मचारियों को क्रमोन्नति पर अगले पद का वेतनमान दिया जाता है हमें केवल संवर्ग वेतनमान दिया जा रहा है यह एक और नियम विरुद्ध कार्य हमारे साथ किया जा रहा है और 1998 में नियुक्त शिक्षकर्मियों को अध्यापक संवर्ग में संविलियन के समय जिन वेतनवृधियों को दिया गया था उनका भी वेतन निर्धारण में किसी प्रकार उल्लेख नहीं किया गया है,हमारी मांग समान कार्य के बदले समान वेतन को विसंगतिपूर्ण छटवें वेतनमान में बदलकर सरकार और उसके निरंकुश अफसर हमें धोखा देने कि फिराक में है क्योकीं सरकार के द्वारा हमें छटवें वेतनमान के लिए जो बजट आवंटित किया है उसमें हमें किसी भी स्थिति में विसंगति रहित छटवां वेतनमान मिलना असंभव है जिसका कि दंश हमें भविष्य में भी झेलना पड़ेगा।
हिमांशु पांडे संयुक्त मोर्चा म.प्र.
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