सभी संघों एवं पदाधिकारियों को जबाव देना चाहिए कि आम अध्यापक संविदा गुरू जी कहॉ पीछे रहा ,
सुर बदलो ऐ खीचा तानी कई वर्षो से चली आ रही है !!
क्या परिवार नियोजन की तरह कोई व्यवस्था आयेगी मतलब संघ नियोजन विगत वर्षो से जो संघों के प्रजनन मे वृध्दि एवं कुछ गर्भ मे है मतलब जन्म की भूमिका बन चुकी है उन पर रोक लगे !!
मृत्युदर का रिकार्ड गिनीज बुक मे दर्ज होना चाहिए आज तक कोई संघ मृत नही हुआ !!
संघ बदल रहे है पदाधिकारी वही के वही ,
क्या फायदा इस प्रक्रिया से ,
हिन्दी का मुहावरा सटीक साबित हो रहा वर्तमान मे,
" जैसे सॉपनाथ वैसे नॉगनाथ"
गीता का उपदेश सही साबित हो रहा कि शरीर बदल जाता है पर आत्मा वही रहती है ,
संघ बदल रहे है और पदाधिकारी ..... कहने की जरूरत ही नही ,
मोर्चा ..... .......
समझ से परे शब्द होता जा रहा है !!
द्विवेदी जी
गुरूजी भाईयों का बहुत शोषण हुआ है , जिन्हौने सारा जीवन इस समाज के लिए बलिदान कर दिया उन्हे क्या मिला वस असफलता , दुश्मन भी यदि असफल गुरू जी को देखता है तो दुश्मनी भूल जाता है , उसके दिल से कभी बद्दुआ नही निकलेगी!!
क्योकि और किसी के वस मे नही कि इससे बुरा कोई कर सके गुरूजियों का !!
मेरे साथ ही एक ही संकुल मे दो साथी है जो असफल गुरू जी है उनका संविलियन अध्यापक संवर्ग मे जुलाई २०१६ मे होना है और रिटायरमेन्ट २०१८ की शुरूआत मे ही होना है, सोचो उन्हौने क्या पाया !!!
सोचो यदि अब भी खुद के हित लिए गुरूजी भाईयों का इस्तेमाल संघ करते रहेगें तो .......
निशब्द हू आगे लिखकर कलम का अपमान नही कर सकता!!
आपका अपना मनीष चौरसिया अधयापक सीहोर म.पृ.
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