भारत भार्गव की कलम से
आओ ज्ञापन ज्ञापन खेले।
कोई खोल ना दे पोल,
और देख
ना ले अपने निचे के रेले।।
आओ ज्ञापन ज्ञापन खेले।।
डर भरा है मन में की कही दूकान हो ना जाए बन्द नेतागीरी की ।।
इसलिए पकड़ के रखो ,जकड़ के रखो ।।
कही भाग ना जाए अध्यापक किसी और की दूकान पर ।।
बस इस झमेले और झूठी शक्ति ,झूठी अट्टहास , झूठी शान में ।।
आओ ज्ञापन, रैली खेले।
🏹दम नही है बाजुओ में ।
दम नही है जिगरा में।
इसलिए गणना पत्रक की देरी की आड़ लेकर ।
आओ ज्ञापन रैली खेले।
💥अभी तो ये अंगड़ाई है।।
गणना पत्रक आये ना आये हमे तो सिर्फ संघ संघ की दूकान चलानी है।।।
💥 क्या है गम की
ना बीमा है ना पेंशन है।।
मिलता है तो मिले नही तो हजार बार ना मिले।।
क्या फर्क पड़ता है।।
हमे तो
सिर्फ संघ संघ की दूकान चलाने का टेंशन है।।
💥
ये कैसा सिस्टम कैसा संघ ।।
अरे भाई जैसा सिस्टम वैसा संघ।।।
💥हर जोर जुल्म की टक्कर में ।।
दिखावे की दूकान चलाना हमारा नारा है।।
💥 अध्यापको का ये अपमान ।।।
और जोर से बोलो नही सहेगा हिन्दुस्तान।।
🏹रोज चलाओ रेलियो और ज्ञापन की दूकान।।।
💥कब तक चलेगी घिसी पिटी ये दूकान।।
🏹सरकार तो यही चाहती है की ।।
बंद हो सरकारी शिक्षा के सस्थान।।
💥 ज्ञापन ज्ञापन खेलो तुम ।।
सरकारी शिक्षा की बर्बादी को झेलो तुम।।।
एक वक्त ओ भी आएगा।
ना रहेगा बांस और ना बजेगी बासुरी।।
💥फिर कहते रहना की
जब ड्यूटी हमारी पूरी है ।।
तो तनखा क्यों अधूरी है।।
💥
सब कहते है बार बार।।
🏹की अभी तो ये अंगड़ाई है ।।
आगे और लड़ाई है।।
बस यही तो ये फंडा है ।
की हम खुद नही चाहते की अब की बार🏹
🏹अब आगे और लड़ाई नही
बल्कि अंतिम ये लड़ाई है ।।।
अच्छा तो यही है की एक ही बार आर पार की चला लो दूकान।।।
बस अंतिम शब्द
🏹की कुछ ऐसा कर लो की दस-दस ,बिस-बिस संघ संघ का खेल बन्द हो और इस नूरा कुश्ती में सिर्फ एक ही पहलवान (संघ) जिन्दा रहे ।
और सोमवार, मंगलवार, बुधवार के ये बुलावे बन्द हो ।
सभी अध्यापक एक जाजम में ,
🙏🙏एक संघ हो ।
और उसका सर्वसम्मत्ति से कप्तान ऐसा हो जो छल कपट रहित होकर काम करे और जिस को विधायकी के सपने ना आते हो ।।
बात कड़वी है ।
माफ़ करियो ।
हमारी कलम से सच निकलता है और सच के सिवा कुछ नही ।
आपका अपना साथी भारत भार्गव
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