आत्मीय शिक्षक बंधुओ
सादर नमस्कार प्रणाम
साथियो प्रदेश के वर्तमान शैक्षिक परिदृश्य पर यदि दृष्टि डाली जाये और उसका ईमानदारी से विश्लेषण किया जाये तो अनेक तथ्य सामने आते हैं। भूतकाल से ही सरकार ने जिस उच्च स्तर की शिक्षा गुणवत्ता का लक्ष्य सामने रखा और उसके क्रियान्वयन के लिए अपने स्तर पर प्रयास भी किये। शासन की मंशा के अनुरुप प्रदेश के शिक्षकों ने भी अपनी क्षमतानुसार इस कार्य को मूर्त रूप देने के लिए मेहनत की।
सरकारी स्तर से गुणवत्ता बेहतरी के लिए समय समय पर अनेक नियम कानून भी जारी किये जाते रहे। और RTE इसमें सबसे महत्वपूर्ण परिवर्तन हुआ।
लेकिन यह भी सत्य है कि ये सारे नियम कानून केवल और केवल शिक्षक के लिए ही हैं। और होने भी चाहिये क्योंकि शिक्षक शासन के अधीनस्थ जो है।
इतनी नकेल कसने के बाद भी एक कड़वा प्रश्न यह भी है क्या सचमुच इन नियमों के प्रभाव से बहुत बड़ा परिवर्तन हुआ। तो जमीनी उत्तर नहीं में होगा। हाँ आंशिक परिवर्तन हुआ है। ऐसा हम जरूर कह सकते हैं।
इसके पीछे पूर्ण ईमानदारी से वास्तविक विश्लेषण करने की आवश्यकता है।
जब मैने इस विकराल प्रश्न का उत्तर जमीनी स्तर पर समाधान के रूप में खोजने की कोशिश की तो में उस नतीजे पर पहुँचा जिससे मेरी समझ में शायद सरकार भी परिचित होगी।
कि "बगैर जनभागीदारी के यह काम असंभव है"। केवल शिक्षक को नियमों में बांधने से बहुत कुछ नही बदल सकता।
शासन को तो गर्व होना चाहिए अपने प्रदेश के शिक्षको पर जो अन्य पड़ोसी राज्यों की अपेक्षा इतने न्यूनतम वेतन पर भी सारे आदेशों का पालन सुनिश्चित करते हैं।
सारे विश्लेषण के पश्चात् में जहाँ तक पहुंच पाया उसमे मेरे स्वयं के विचार से यदि तीन महत्वपूर्ण बातों को अमल में लाया जाये तो बहुत कुछ बदलाव देखने को मिल सकता है।
1:- शिक्षको से उनका मूल कार्य केवल शिक्षण ही कराया जाये।
2:-ग्रामीण परिवेश का अभिभावक अपने बच्चे को नियमित शाला भेजने लगे।
3:-शिक्षको को आर्थिक तंगी के कारण तनाव महसूस न हो।
इन 3 बिंदुओं में प्रथम 2 का पालन ही वास्तविक रुप में हो जाये तो भी परिणाम बहुत अच्छे होंगे।
क्योंकि हम शिक्षको के लिए अर्थ न कभी प्रथम रहा और न ही रहेगा बस...
भगवन इतना दीजिये जा में कुटुंब समाय।
में भी भूखा न रहूँ साधु न भूँखा जाय।।
हमारी अभिलाषा धन के लिए उक्त पंक्तियों से परिलक्षित होती है, वही है।
अब बात नए युवा ऊर्जा से परिपूर्ण शिक्षको की। जिन्हें हम संविदा शिक्षक के नाम से जानते हैं। ये ऐसा शिक्षक है जो शिक्षण प्रशिक्षण प्राप्त और अध्यापक पात्रता की परीक्षा पास कर सेवाएं देने आया है। और आते ही जिस जोश के साथ युवा संविदा शिक्षको ने अपना प्रदर्शन किया है वो वास्तव में काबिले तारीफ है। और किसी से छिपा भी नहीं।
हमारी वेतन की चर्चा करने का यहां कोई औचित्य ही नही है वो तो फिक्स है। और हमने 3 वर्ष की अवधि में कभी ऐसी कोई मांग भी नही रखी। ये हमारी उदारता का परिचायक है। जबकि अनेक संविदा भाइयो की सेवाएं अपने गृह जिले से हजार किमी तक की दुरी पर हैं। यदि उसके परिवार की जिम्मेदारी उसी पर होगी तो उसकी स्थिति वो और भगवान ही समझ सकते हैं। लेकिन फिर भी उसने कभी अपने चेहरे पर इस आर्थिक पीड़ा को झलकने तक नही दिया और हमेशा हँसते हुए पूर्ण लगन से उत्तरदायित्व का निर्वहन किया है।
कहने का तात्पर्य है कि शासन- प्रशासन को इन योग्य ऊर्जावान युवा शिक्षकों का सकारात्मक उपयोग करना चाहिए। और में यह बात हवा में नही बल्कि पूर्ण विश्वास के साथ कह रहा हूँ कि यह युवा पीढ़ी किसी भी बदलाव के लिए समर्थ है। और भविष्य में भी ऐसे ही ऊर्जावान साथी आने बाले है। यदि यहाँ से परिवर्तन की शुरुआत होती है तो यकीन मानिए वह समय दूर नही होगा जब हमारी शैक्षिक व्यवस्था के उदाहरण अनेक जगह दिए जाएंगे जैसे आज बहुत कुछ कृषि क्षेत्र में पैदावार के लिए दिए जाते हैं।
अंत में यही कहना चाहता हूँ कि हम और आप कदम से कदम मिलाकर राष्ट्र के प्रति समर्पण की भावना लिए हुए सम्पूर्ण राष्ट्र की उन्नति में ही मेरी उन्नति है और मेरी उन्नति में राष्ट्र की। ऐसा विचार मन में रखते हुए मेरी शाला का प्रत्येक बच्चा मेरा बच्चा है, और शासन के लिए प्रत्येक शिक्षक उसका। दोनों बराबर ध्यान रखेंगे तो अब वह दिन दूर नही होगा जब हम अपने लक्ष्य को प्राप्त करेंगे।
🙏🏻सादर वंदे🙏🏻
हरेन्द्र मिश्रा संविदा शिक्षक
बेगमगंज, जिला रायसेन
दूरभाष:-9644360079
नोट: उक्त विचार लेखक के स्वयं के हैं।
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