एक विचार मन में
आया है जरा सोचिये ---
अगर
1.कक्षा 1 से 8 तक के बच्चों को किसी भी कक्षा में फेल नहीं करना है तो अर्धवार्षिक परीक्षा और वार्षिक परीक्षा में प्रश्न पत्र छपवाकर करोड़ो रूपये खर्च करने का क्या अर्थ है?
2. सरकारी स्कुलो की शान बढाने वाले बच्चों को bpl बता कर शिक्षा के अधिकार के तहत निजी स्कुलो में सरकार ही दाखिल दिला रही है। और सरकारी स्कुलो में दर्ज कम क्यों हुआ इसका कारण शिक्षक से पूछती है ऐसा क्यूँ?
3. सरकार ने हाल ही में गुणवत्ता अभियान चलाया और स्कुलो को ABCD जेसे भ्रामक ग्रेड दिये ।।। जिसमें C और D ग्रेड वाले स्कुलो को AB में लाने पूरा सरकारी जुमला लगा दिए गये । परिणाम क्या आया ? सिर्फ शिक्षको को प्रतड़ित किया गया ।
दूसरी और Aऔर B ग्रेड से चिन्हांकित किया गया मैं जानना चाहता हु क्या ओ स्कुल वास्तव में Aऔर B की श्रेणी में आयेगा जहां 1ली से 5वी तक की कक्षाएं 2 कमरो मे संचालित करने को मजबूर है क्या ओ स्कुल A और B की श्रेणी में आयेगा जहाँ 5 कक्षाये है और शिक्षक सिर्फ 2 ये कैसा सरकारी गुणवत्ता का सरकारी मूल्यांकन ??
4. सरकार कहती है शिक्षक अयोग्य है तो उनसे राष्ट्रीय स्तर के कार्य क्यो कराती है?क्या उसके बाकि सरकारी नुमाइन्दे कामचोर है या अयोग्य है
5.सरकार निजी स्कुल और सरकारी स्कुलो की तुलना करवाती है और निजी स्कुल का ढोल पिटती है ।किसी ने ये क्यों नहीं देखा की जो 2 रूपये किलो चावल खाते है उनके बच्चे खाली बस्ता ले कर सिर्फ अपनी पेट की भूख मिटाने स्कुल आते है ।
ये क्यों किसी को नहीं दिखता ?
6. सरकारी फरमान उम्र के आनुसार कक्षा में प्रवेश जो बच्चा स्कुल का मुख नहीं देखा उसे भी दाखिल दो ओ भी ओ जिस कक्षा में पढ़ना चाहे हद हो गई
तो उसका क्या कुसूर जो दिन रात मेहनत करके साल भर पढता है परीक्षा दिलाता तब जा के अगले कक्षा में जाता है ।।।
जरा सोचिये आप जागरूक जनता है 🙏 आप तो शिक्षको की पीड़ा समझिये ।।।
कृपया यह सन्देश हर उस व्यक्ति तक पहुँचाने में योगदान दें , जो समाज के सृजनकर्ता के प्रति गलत धारणा रखते हैं!!!🙏🙏🌷🌷
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